15-12-2017, 03:17 PM | #1 |
Diligent Member
Join Date: May 2014
Location: east africa
Posts: 1,288
Rep Power: 66 |
निराशा ... आशा
कई बार जीवन में ऐसे अवसर आते हैं जब हम खुद को बिलकुल अकेला महसूस करते हैं और कई बार कुछ जीवन में होने वाली घटित घटनाएं हमें निराशावादी बना देती है , नकारात्मक सोच से मन को भर देती है। तब ऐसा लगता है की जी कर क्या करना है और नकारात्मक विचारों के बवंडर हमें इतना घेर लेते हैं की हर तरफ उदासी खिन्नता और निराशा ही निराशा नज़र आती है
जिस प्रकार कमजोर नीव पर ऊँचा मकान खड़ा नहीं किया जा सकता ठीक इसी प्रकार यदि विचारो में उदासीनता, नैराश्य अथवा कमजोरी हो तो जीवन की गति कभी भी उच्चता की ओर नहीं हो सकती। निराशा का अर्थ ही लड़ने से पहले हार स्वीकार कर लेना है और एक बात याद रख लेना निराश जीवन मे कभी भी हास्य (प्रसन्नता) का प्रवेश नही हो सकता और जिस जीवन में हास्य ही नहीं उसका विकास कैसे संभव हो सकता है ? जीवन रूपी महल में उदासीनता और नैराश्य ऐसी दो कच्ची ईटें हैं, जो कभी भी इसे ढहने अथवा तबाह करने के लिए पर्याप्त हैं। अतः आत्मबल रूपी ईट जितनी मजबूत होगी जीवन रूपी महल को भी उतनी ही भव्यता व उच्चता प्रदान की जा सकेगी। |
Bookmarks |
|
|