19-12-2017, 12:16 PM | #1 |
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नया वर्ष कुछ खास रहेगा
नया वर्ष कुछ खास रहेगा
●●● धूमिल हैं आशाएं सारी बने हुए सब हैं व्यापारी दिल की दौलत बेंच रहें हैं कैसी है यह दुनियादारी माना अबतक कष्ट मिला है नहीं एक भी फूल खिला है कितना कुछ हम रोज सहे हैं अच्छे अनुभव नहीं रहे हैं फिर भी यह विश्वास रहेगा- नया वर्ष कुछ खास रहेगा ●●● कितनी ठंडी रातें हैं ये कांप रहे हैं अंग हमारे घर है, बिस्तर, गरम रजाई फिर भी जीते आग सहारे लेकिन कैसे रहते हैं वे जाड़ा कैसे सहते हैं वे फुटपाथों पर बिन चादर के सोते हैं जो बिन आदर के यदि उनका आवास रहेगा- नया वर्ष कुछ खास रहेगा ●●● तन-मन के ये कच्चे कितने भीख मांगते बच्चे कितने इनकी भी है भारत माता लेकिन जो हैं बने विधाता लूट-लूट के खाएंगे ही पैसा-पैसा गाएंगे ही हक सबका ये मारेंगें ही भूखे-नंगे हारेंगे ही कैसे कह दूं आस रहेगा- नया वर्ष कुछ खास रहेगा ●●● बेटी को बोझ न मानेंगे बेटो सा इनको जानेंगे बेटी की सच्ची कीमत को जब लोग यहां पहचानेंगे जब नहीं भूर्ण हत्या होगी जब सुधरेंगे मन के रोगी पढ़ने का जो अवसर देंगे मजबूत इसे भी पर देंगे उड़ने को आकाश रहेगा- नया वर्ष कुछ खास रहेगा ●●● देकर खुशियों की सौगातें थे कष्ट सभी लेने वाले रोजगार ही खाते हैं ये थे रोजगार देने वाले जाति-धर्म की बात करेंगे खेलेंगे रिश्ते-नातों से सोच रहा हूँ कबतक भाई यूँ पेट भरेगा बातों से नहीं अगर उपवास रहेगा- नया वर्ष कुछ खास रहेगा ●●● नए नोट लेकर भी देखो जनता त्रस्त हुयी है कितनी नए साल से क्या उम्मीदें हो जाएंगी पूरी अपनी नए साल में लेकर यूँ तो वही पुराने गम जाएंगे उम्मीदों के पंख जलेंगे या मंजिल तक हम जाएंगे जो भी हो कुछ पास रहेगा- नया वर्ष कुछ खास रहेगा ●●● जिसकी लाठी भैंस उसी की जिसकी सत्ता ऐश उसी की कबतक दौर चलेगा बोलो वक्त आ गया है मुँह खोलो कबतक अत्याचार सहोगे होकर के लाचार सहोगे हक अपना जो जान गए तो खुद को भी पहचान गए तो समय सदा ही दास रहेगा- नया वर्ष कुछ खास रहेगा रचना -आकाश महेशपुरी |
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