02-06-2018, 10:21 PM | #1 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
महाभारत के पात्र: भीष्म पितामह
महाभारत के पात्र: भीष्म पितामह
भीष्म पितामह महाभारत की कथा के एक ऐसे नायक हैं जो प्रारंभ से अंत तक इसमें बने रहे। उन्होंने जीवन भर अपनी प्रतिज्ञा का पालन किया और हस्तिनापुर को सुरक्षित हाथों में देखकर ही अपने प्राणों का त्याग किया। भीष्म पितामह पूर्व जन्म में कौन थे, किसने श्राप के कारण उन्हें मनुष्य योनि में जन्म लेना पड़ा। उनके गुरु कौन थे और उन्हें क्यों अपने ही गुरु से युद्ध करना पड़ा। आइये इन बातों के बारे में जाने. गंगापुत्र भीष्म पिछले जन्म में द्यौ नामक वसु थे। वसिष्ठ ऋषि के श्राप के कारण उन्हें मनुष्य योनि में जन्म लेना पड़ा। इस कथा का उल्लेख महाभारत के आदिपर्व में मिलता है, जो इस प्रकार है- एक बार पृथु आदि वसु अपनी पत्नियों के साथ मेरु पर्वत पर भ्रमण कर रहे थे। वहां वसिष्ठ ऋषि का आश्रम भी था। एक वसु पत्नी की दृष्टि ऋषि वसिष्ठ के आश्रम में बंधी नन्दिनी नामक गाय पर पड़ गई। यह गाय समस्त कामनाओं की पूर्ति करने वाली थी। उसने उसे अपने पति द्यौ नामक वसु को दिखाया तथा कहा कि आप इसे हर लें। >>>
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 02-06-2018 at 11:23 PM. |
Bookmarks |
Tags |
भीष्म, भीष्म पितामह, महाभारत, bhishm, bhishm pitamah, mahabharat |
|
|