04-04-2024, 08:31 PM | #1 |
Diligent Member
|
है शिकन नहीं रुख़ पर (ग़ज़ल)
है शिकन नहीं रुख़ पर
■■■■■■■■■■ है शिकन नहीं रुख़ पर आँख में ख़ुमारी है ज़िंदगी भले हमने दर्द में गुजारी है मानता हूँ दुनिया में राज है तेरा लेकिन वक़्त की नज़र में तो हर कोई भिखारी है कह न दे कोई बुज़दिल फिक्र है यही मुझको इसलिए ज़माने से जंग मेरी जारी है दूसरों की बातों को जो नहीं तवज्जो दे और कुछ नहीं उसको दंभ की बीमारी है हर कदम दिया हमको आपने दग़ा 'आकाश' आप से वफ़ा करना क्या ख़ता हमारी है ग़ज़ल- आकाश महेशपुरी दिनांक- 27/03/2024 ■■■■■■■■■■■■■■■ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 ______________________ मापनी- 212 1222 212 1222 |
Bookmarks |
|
|