03-07-2024, 04:20 PM | #1 |
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बिछाकर जाल जो बैठा
बिछाकर जाल जो बैठा...
◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️ बिछाकर जाल जो बैठा है उसके दर नहीं जाना फतिंगे की तरह तुम आग पीकर मर नहीं जाना तुम्हारी आत्मा में ही जहाँ भर का उजाला है किसी ढोंगी के पैरों में झुकाने सर नहीं जाना मुक्तक- आकाश महेशपुरी दिनांक -02/07/2024 ◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️◼️ वकील कुशवाहा 'आकाश महेशपुरी' ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन- 274309 मो- 9919080399 Last edited by आकाश महेशपुरी; 04-07-2024 at 07:01 PM. |
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