05-04-2011, 09:49 AM | #20 |
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Re: चाणक्य नीति (Chanakya Niti)
आपत्ति काल के लिए धन की रक्षा करनी चाहिए लेकिन धनवान को आपत्ति क्या करेगी अर्थात् धनवान पर आपत्ति आती ही कहाँ है ? तो प्रश्न उठा कि लक्ष्मी तो चंचल होती है, पता नहीं कब नष्ट हो जाए तो फिर यदि ऐसा है तो कदाचित् संचित धन भी नष्ट हो सकता है।
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