09-05-2011, 08:49 AM | #1 |
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अहसास
माँ में समर्पण है
माँ परिवार का दर्पण है माँ हैं अनुभूति है माँ संस्कारों कि विभूति है माँ है तो श्रद्धा विशवास है मै बस सुख का अहसास है माँ जग्दात्री दुर्गा कल्याणी है माँ करती जो उसने ठानी है माँ प्रेम त्याग कि मूर्ति है माँ हर क्षति कि पूर्ति है माँ सिखाती स्वाभिमान से रहना माँ जानती हर दुःख सुख सहना माँ बचपन कि एक याद है माँ प्रार्थना फरियाद है ममता है माँ मै समता है सब सुन लेने कि क्षमता है माँ एक सुनहरी धूप है माँ से ही मेरा स्वरूप है माँ से मेरी पहचान है माँ से ही कबीर ,रसखान है माँ है तो काशी काबा क्या माँ खुद गंगा का घाट है माँ से ही चिंतन मनन है मेरा माँ तो सपनो का हाट है क्या कहूँ क्या है मेरी माँ माँ है तो मेरी सांस है |
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