09-05-2011, 10:35 AM | #11 |
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Re: मनोहर कविताओ का संग्रह by Great_Brother.....
मेरा विश्वास है कि ये सूत्र भी आपका पूरा मनोरंजन करते हुए उपयोगी सिद्ध होगा .....
तुम ही तुम हो... तुम हो धूप , तुम छांव की तरह इस रेगिस्तान जिंदगी में, गांव की तरह। तुम्हें भूले से भी मैं, भुला नहीं पाता तुम हो मेरे जिस्म पर, लगे पुराने घाव की तरह। जिंदगी में तूफानों की, अब आदत-सी हो गई जो दामन है तेरा महफूज, नाव की तरह। ख्वाबों-ख्यालों में, रात और उजालों में तुम ही तुम हो सारा आलम, कोई नहीं है मुझमें। कैसे कहूं, तुम क्या हो? जीने की वजह, मरने का बहाना हो। तुम हो राज दिल का तुम ही जवाब की तरह। मित्रों आपका स्वागत है इस सूत्र को जारी रखने के लिए अपने विचार को देते रहे ...............
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मनोहर कविताओ.. व्यंगबाण.. शादी के बाद.. तकनिकी टिप्स..पसंद आने पर रेपो++ अवश्य दे...
' तमन्ना ' नसीब की, अब मैं नहीं रखता; ©º°¨¨°º©©º°¨¨°º© जो तुम हो मेहरबां, मुझपे दुआओं की तरह। ©º°¨¨°º©©º°¨¨°º© Note : I m just indexing the contents of other sites & forums. |
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