30-05-2011, 11:21 PM | #18 |
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उत्तराखण्ड
कुमाऊँ और गढ़वाल के इतिहासकारों का कहना है की आरम्भ में यहाँ केवल तीन जातियाँ थी राजपूत, ब्राह्मण, और शिल्पकार। राजपूतों का मुख्य व्यवसाय ज़मीदारी और कानून-व्यस्था बनाए रखना था। ब्राह्मणों का मुख्य व्यवसाय था मन्दिरों और धार्मिक अवसरों पर धार्मिक अनुष्ठानों को कराना। शिल्प्कार मुख्यतः राजपूतों के लिए काम किया करते थे और हथशिल्पी में दक्ष थे। राजपूतों द्वारा दो उपनामों रावत और नेगी का उपयोग किया जाता है।
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
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