04-08-2011, 09:30 AM | #10 |
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Re: ||कहानी शीला, मुन्नी, रज़िया और शालू की||
हाँ तो शीला
बस से उतरते ही शीला को कोंलेज के लड़के संभाल लेते.. उनका बस चलता तो वो शीला को लेने उसके घर तक चले जाते.. लेकिन वे लडकियों के आत्मनिर्भर होने वाली सोच के पक्षधर थे.. लडकियों और लडको को समान अधिकार मिलने चाहिए.. ऐसा उनका मानना था (और लेखक का भी यही मानना है) तो कोंलेज के गेट से वो हैंडल विद केयर टाईप से शीला को क्लासरूम में ले जाते.. यू ले जाना तो वो बैडरूम में चाहते थे पर इस दुष्ट समाज के ओछेपन जिसमे कि लडकियों को छेड़ना एक अपराध था, वो राम राज की उम्मीद करके बस क्लासरूम से ही काम चला लेते.. उन्हें इस बात की तसल्ली थी कि कम से कम रूम शब्द तो आ ही रहा है..
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