02-07-2015, 11:20 PM | #11 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
नवीन के पास अब सच में पचास हजार थे जो उसको सुदर्शन से मिले थे। उन पैसों से वह एक पुरानी बस्ती में किसी नाले के पास भाडे से एक शेड लेता है। उस में सांचा, कढाव, पीप, तेल, कच्चा सामान, चुल्हा वगैरह तैयार करता है। उस के पास अपने बाबुजी की दी गई डायरी तो थी ही जिस में साबुन का फोर्मुला लिखा था। नवीन पहले तो खुद ही साबुन बनाता है, पैक करता है । फिर साईकिल पर रख कर एक शहर के दुकानदारों के पास ले जाता है। पहले दुकानदार ने साफ मना कर दिया। नवीन ने बडे ईत्मीनान से कहा की आप पैसे मत दें, अगर ग्राहक फिर से माल लेने आए तो ही पैसे दिजीएगा। एसे ही नवीन ने कई दुकानदारों को फ्री एक एक दर्जन साबुन थमाए। वे सभी आनाकानी कर रहे थे लेकिन अपनी मीठी वाणी और दलीलों से नवीन ने अपना पहले दिन का स्टोक खत्म कर ही दिया।
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02-07-2015, 11:36 PM | #12 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
वैसे में बताना भुल गया की साबुन का नाम उसके पिता सत्यप्रकाश के नाम पर से 'प्रकाश डिटर्जन्ट सोप' रखा गया था। दुसरे दिन जैसे ही वह साईकिल स्टेन्ड पर रखता है, उसको देख दुकानवाला खुद ही कहता है की तीन दर्जन साबुन अभी दे दो। पीछले एक दर्जन के पैसे और कुछ एडवान्स भी वह नवीन को थमा देता है। (अनुराग कश्यप के मुंह पर एक्साईटमेन्ट बढता दिखाई दे रहा था! वह होंठ दबाए मुस्कुरा रहा था) दुसरी दुकान का दुकानकार उसे कहता है की तुम्हारा साबुन बहुत अच्छा है, आज ही कुछ ग्राहक यही साबुन मांगने आए थे। उसको पांच दर्जन साबुन दे कर जब आगे की दुकान में गया तो वहां भी यही हाल था! उस दुकानदार ने तो सारे साबुन मांग लिए! नवीन ने कहा की उसे आगे भी देने है, तो वह कहता है की उन्हें ओर ला के दे दो! जब नवीन खाली थैला लिए दुकान से नीकला तो तुरंत बाजुवाले दुकानदार ने कहा के मेरा माल कहां है? (ईस डाईलोग पर तिग्मांशु खुशी से खडे हो जाते है। अनुराग भी उसे ताली देते हुए हंसने लगता है। ) नवीन ने थोडी देर में आने का वादा कर के पसीना पोंछने लगा!!! (अपने ड्रोअर से नोट का एक बंडल मेरे सामन रखते हुए अनुराग कहता है...यह लो टोकन। यह कहानी हमारे प्रोडक्शन की हुई। तुम चाहो तो एक टेस्ट देने के बाद खुद यह फिल्म डाईरेक्ट कर सकते हो। मैं मानो सपना देख रहा था....वैसे हां...मैं सपना ही तो देख रहा था!)
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Last edited by Deep_; 07-08-2016 at 09:31 AM. |
03-07-2015, 12:09 AM | #13 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
(मेरा यह खयालीपुलाव पक चूका था। लेकिन नींद कोसो दुर जा चुकी थी। यह नोवेल मैने पीछले चार-पांच सालों से पढी नहीं है। लेकिन हर एक बात मुझे अब तक स्टेप-बाय-स्टेप याद आ रही थी! तो मैं अपनी याददाश्त चेक करने के लिए आगे याद करता गया...)
राजपाल अपने साबुन के बिझनस में अधिक फायदा कमाने क्वोलिटी में फेरबदल करता है। सत्यप्रकाश के न होते वह अब बेझिझक यह सब कुछ करने लगता है। मेनेजर कौशिक के समजाने पर वह कहता है की कंपनी अपनी गुडवील पर चलती है। (भरत कपुर को ही मैने राजपाल के रुप में हंमेशा देखा था!) राजपाल के घर में एक नौकरानी थी जिस पर राजपाल की नियत खराब थी। वैसे राजपाल को लडकीयों की कमी नहीं थी लेकिन कमलेश से शादी करने के चक्कर में वह फंस गया था। एकबार राजपाल ने अपनी नौकरानी को झुठ बोल कर नींद की गोलींया खिला दी थी और अवैध संबंध बांध लिए थे। फिर नौकरानी को शादी की लालच दे कर बार बार फायदा उठाता रहा।
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03-07-2015, 12:10 AM | #14 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
पांच दीन के बाद ही एक बडे दुकानदार ने नवीन के पास से पुरे गुजरात की एजेन्सी मांग ली। अब नवीन को कुछ लोग रखने पड़े। अपनी मार्केटींग स्ट्रेटेजी अपनाते हुए वह एक महीने में बहुत आगे निकल आया।
वह सामने से सुदर्शन को जा टकराया। सुदर्शन अपने पचास हजार के ईन्वेस्टमेन्त को ले कर परेशान था। नवीन उसको कहा की पुलीस की रेड पडी थी और सारा माल पकडा गया। बहुत से पैसे दे कर पुरा झमेला सुलझाना पडा, जिसकी वजह से वह ईन दिनों दिखाई नहीं दिया। सुदर्शन का मुंह बिगड गया। लेकन अपनी जेब से सत्तर हजार रुपये निकाल कर देते हुए नवीन ने कहा की यह तेरे पैसे और उसका सुत। ईस पर सुदर्शन बहुत खुश हो गया। आगे पुछने पर नवीन ने बताया की बाकी पैसों से उसने बिझनस स्टार्ट कर दिया है। जब सुदर्शन ने प्रकाश सोप सुना....तो वह चिल्लाया, "प्रकाश सोप? जिसके जींगल रात दीन रेडियो पर बजते रहते है, जिसके कई सेल्समेन पुरा दिन माल सप्लाय करते दिखाई देतें है, जिसने पुरे शहर में धुम मचा कर रखी है वह प्रकाश सोप तेरा है?" उसी मुलाकात में सुदर्शनने एक लाख रुपए और निकाल कर कर्णाटक, पंजाब की एजेन्सी ले ली। उसने उस सत्तर हजार को छुआ भी नहीं!
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03-07-2015, 12:35 AM | #15 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
कमलेश नवीन को लगातार साथ देती रही। दो महीने पुरे होने से पहले ही नवीन ने एक अच्छा घर खरीद लिया। (नवीन जैसा किस्सा शायद एसा फिल्मों में ही होता होगा...लेकिन कई बार ईससे भी बडी सफलता रीयल लाईफ में देखने को मिलती है!) होस्पिटल में ठीक होने के बाद अपनी मां को नवीन नए घर में ले आया। अभी तक उसने मां से नहीं कहा था की बाबुजी को जेल हो गई है। बल्की यही बताया था की मुकदमा चल रहा है।
ईस दौरान कहानी मे नवीन के बहन मोहीनी की खराब हालत भी बयां की गई है। लेकिन उसका पति उसे पुरा साथ देता है। वह खुद ही मोहीनी को सबसे मिलवाना चाहता है, लेकिन एसे छुप कर अपने परिवार से मिलना भी किसको गंवारा होता? सत्यप्रकाश को अच्छे वर्तने के कारण एक महीना जल्दी ही रिहाई मिल गई। नवीन सबसे पहले तो उस गराज में जाता है जहां बाबुजी की गाडी गीरवी रखनी पडी थी। वहां उसे पुरी नई जैसी करवा कर ही नवीन जेल में बाबुजी को लेने आता है। एक्टर सुब्बीराज को ही सत्यप्रकाश के रोल में मैने हंमेशा ईमेजीन किया है। सत्यप्रकाश का केरेक्टर एकदम संतोषी और गंभीर दिखाया गया है। कई बार लिखा गया है की...सत्यप्रकाश ने बडे संतोष से जवाब दिया, उनके मुख पर शांत मुस्कुराहट थी...वगैरह। वह बाहर निकल कर अपनी कार को पहचान लेतें है। रास्तें में नवीन ने अपने नए बिझनस के बारे में थोडा बहुत बताया। एक बडे से होर्डिंग को दिखा कर नवीन कहता है...देखिये बाबुजी यह आपका ही फोर्मुला है! सत्यप्रकाश गर्व से अपने बेटे को फिर उस होर्डिंग को देखने लगे। (यह सीन बहुत अच्छा लिखा गया है। जब जब में ईस सीन को पढता हुं, रोंगटे खुशी से खडे हो जातें है! यह सीन मुझे क्लाईमेक्स जैसी ही फील देता है। अब सब कुछ ठीक हो गया लगता है । शायद अनुराग भी यही सोचते। लेकिन फिर से मैं दिवास्पन में जा कर उन्हें बताता हुं....सर फिल्म अभी बाकी है! अभी कुछ ओर मोड आने वाले है!)
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Last edited by Deep_; 07-08-2016 at 09:33 AM. |
03-07-2015, 05:38 PM | #16 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
ईस दौरान राजपाल की कंपनी डुब रही थी। रही सही एजेन्सीस भी अपना पल्लु झाड रही थी। राजपाल ने अब साबुन की क्वालिटी संभालने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा न हुआ। मेनेजर कौशिक के साथ भी राजपाल की बहस हो गई। कौशिक ने साफसाफ कह दिया की प्रकाश सोप की क्वालिटी सचमुच ही बढिया है, यहां तक की मेरे घर पर भी अब यही साबुन ईस्तमाल किया जाता है।
नोंकझोंक के बाद कौशिक ईस्तफा दे देता है। उसे नौकरी की जरुरत तो होती ही है सो वह नवीन के यहां पहूंच जाता है। अबतक किसी को यह पता नहीं होता की प्रकाश सोप किसका है। जैसे ही कौशिक वहां नवीन को देखता है तो डर जाता है, क्युं की कौशिक ने ही शादीवाले दिन सत्यप्रकाश को फंसवाया था। लेकिन नवीन उसे नौकरी देता है और कहता है की बाबुजी की सजा भी कट चूकी है, सो कोई फायदा नहीं वापस गड़े मुर्दे उखाड ने से। लेकिन नवीन कौशिक को अपनी बहन मोहीनी के घर जरुर भेजता है जहां कौशिक सारे ससुरालवालों को सच्चाई बताता है, की सत्यप्रकाश निर्दोष है। ईस पर सभी को मोहीनी के प्रति किया गया दुरव्यहार पर ग्लानि होती है। पुरा परिवार फिर से मिलता झुलता है। नवीन भी सबको कमलेश से मिलवाता है। कमलेश को सब स्वीकार कर लेतें है।
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03-07-2015, 05:39 PM | #17 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
कमलेश के घर पता नहीं था की वह नवीन को जानती भी है। वह राजपाल को मिलने के बहाने से घर से निकलती है लेकिन कौशिक उसे रोक देता है। कहता है की अब राजपाल से मिलने की कोई जरुरते नहीं।
ईक्तेफाक से राजपाल उस वक्त दरवाजे पर ही खडा होता है । वह सारी बाते सुन आगबबूला हो जाता है, क्यों की यह बंगला भी उसी का था और कमलेश को पाने की लालच में कौशिक के नाम कर चुका था। कौशिक ओर राजपाल के बीच झपाझपी होती है और राजपाल धमकी दे कर से चला जाता है। तभी फोन बजता है। खबर आई थी की नवीन को पुलिस पकड कर ले गई है। कौशिक और कमलेश दोनों को धक्का लगता है। पता चलता है की किसी तरफ गलती से वह पासबुक जिसमें कमलेश ने ५ रुपये की जगह ५०००० कर दिए थे...बेंके के पास चली गई है। बेंकवालों ने नवीन पर केस कर दिया और नवीन को कस्टडी में जाना पडा।
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03-07-2015, 05:39 PM | #18 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
अदालत में नवीन पर मुकद्दमा चल रहा था। नवीन के सब दोस्त, रिश्तेदार भी आए थे। सिर्फ कमलेश को कौशिक ले कर नहीं आया था। नवीन के वकील ने दलील की थी के कभी चेक से पैसे उठाने का, वगैरह जुर्म नहीं हुआ है। एसे सफल आदमी के कई दुश्मन भी होतें है, या एसे ही किसी ने यह काम कर दिया गया है। ईससे पहले की अदालत फैंसला सुनाए, नवीन कुछ कहने की ईजाजत मांगता है। जहां वह कुबुल करता है की यह फ्रोड काम उसी ने किया था। जब उसे पैसे की जरुरत थी और सर पर छत भी नहीं थी, तब उसे किसी ने मदद नहीं की थी। ईस लिए ईस पासबुक दिखा कर उनकों चकाचौंध करना जरुरी था। यह भी कहा की अच्छे मार्क्स से पास होने और डिग्री होने के बावजुद कई नौजवान एसे ही कारणों से जीवनभर झुझते रहतें है। कोर्ट में ब्रेक हुआ। घंटे भर बाद न्यायाधीश ने कहा की जिस तरह नवीन आगे बढा है वही काबिलेतारीफ है। उनके दोस्तों को शर्म आनी चाहिए की उन्हों ने मदद नहीं की। बैंक ने अपना केस वापस खींचने शिफारिश की थी और साथ में यह भी कहा था की बेंक आगे से एसे नौजवानों के लिए लोन का प्रावधान करेगी जो महेनत से आगे बढना चाहतें है। लेकिन जुर्म आखिर जुर्म होता है। नवीन को अपने फ्रोड की सजा तो मिलनी चाहीए...यह कह कर जज ने सन्नाटा कर दिया। अंत मे उन्हों ने नवीन को कोर्ट की कार्यवाही पुरी होने तक कस्टडी में रखने की सजा दी! सुदर्शन और उसके दोस्त नवीन के पास आ कर माफी मांगते है। सभी लोग बहुत खुश थे।
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03-07-2015, 05:40 PM | #19 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
कौशिक जैसे ही घर पहुंचता है, घर में कुछ तोडफोड देख कर घबरा जाता है। कमलेश वह रो रही थी और उसके कपडे कहीं कहीं से फटे हुए थे। वह बताती है की राजपाल कुछ देर पहले आया था और उसने उसकी ईज्जत लुट ली।
गुस्से से पागल कौशिक अपनी बंदूक ले कर निकलता है । कमलेश के रोकने पर भी वह रुकता नहीं है। राजपाल के घर में जा धमक कर उसने राजपाल को बंदूक दिखा कर ललकारा। राजपाल के पिता जो फैक्टरी के मालिक भी थे उनको बताया की कैसे राजपाल ने सबको धोका दिया, सत्यप्रकाश को जेल भिजवाया। फिर यह कह कर की उसकी बेटी की ईज्जत भी लुटी है....राजपाल पर फायर कर दिया। लेकिन बीच में राजपाल की सगर्भा नौकरानी आ गई। नवीन को शायक कमलेश ने बताया होगा, सो दोनो साथ साथ यहां पहुंच गए। नवीन ने झपट कर बंदुक छीन ली और डोक्टर को फोन कर दिया। तब तक कौशिक अपने किए पर यह कह कर रोता रहा की पैसों की लालच में उसने किस तरफ अपनी बेटी को ईस जानवर के आगे पेश करता रहा। कमलेश तब यह राज़ उजागर करती है की राजपाल के साथ हाथापाई जरुर हुई थी लिकिन वह अपने ईरादों में कामियाब नहीं हो पाया था, और वह भाग निकला था। वह यही जताना चाहती थी के उसके माता-पिताने उसे जिस तरह हंमेशा पैसों के पीछे जाना सिखाया, राजपाल को ठगना सिखाया सब गलत था और परिणाम भयंकर हो सक्ते थे। वहां राजपाल भी शर्मिंदा है की नौकरानी ने उसे बचा लिया। वह सबके सामने नौकरानी से शादी करने को मान जाता है। डोक्टर आ के देखता है की गोली बांह में लगी थी और फिकर करने की कोई जरुरत नहीं। घरेलु सबंध के कारण वह पुलिसकेस भी नहीं करता।
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03-07-2015, 05:42 PM | #20 |
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Re: "आरोप" मेरी पसंदीदा नवलकथा - १
वहां से कमलेश और नवीन साथ में एक कार में आगे निकलतें है। नवीन अब भी हैरान है की कमलेश कौशिक की बेटी है...ओर कमलेश ने भी यह बात छुपाई थी! दोनों एकदुसरे में खोए थे और सामने थी जीवन की लंबी राहें! ( अनुराग भी गहन सोच में डुबे हुए है। तिग्मांशु को कुछ काम था तो वह भी चल दिए। मै अपना फोन नंबर छोड कर वहां से निकल आया। मै सोच रहा था कि मुझे ईन फिल्मों की जरुरत नहीं। मै नोवेल. कविता, फोटोग्राफी या बादलों-बारीशों में भी फिल्म देख लुंगा। लेकिन अगर फिल्मों को मेरी जरुरत है....तो वह मुझे जरुर बुलाएगी।) सुत्र लिखने के एक दिन पुर्व ही में "आरोप-मोड" में चला गया था। अभी भी तीन दिनों से लिख ही रहा हुं। सो वहां से वापस लौटने में थोडा वक्त लगेगा। शायद ईस के बाद मेरे दुसरी और आखरी मनपसंद नवलकथा के बारे में बताउंगा। अस्तु।
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