24-01-2013, 02:20 PM | #11 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
24-01-2013, 02:21 PM | #12 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
मैं इन्हीं निर्माणकारी घटकों के कारण आशावादी हूं। मैं इसलिए भी आशावादी और रोमांचित हूं क्योकि मैं हमारे युवाओं की क्षमता, उत्कंठा, ऊर्जा को देख रहा हूं। हमें रोजगार की उनकी मांग को अब पूरा करना होगा। हमारी शिक्षण और प्रशिक्षण संस्थाओं को प्राथमिकता के आधार पर युवाओं को विश्व के श्रेष्ठतम रोजगार प्राप्त करने के लिए तैयार करना होगा। इसी प्रकार रोजगार सृजन के सम्बन्ध में निर्णयों को अतार्किक लाल फीताशाही एवं पुराने कानूनों से मुक्त करना होगा ताकि देश की युवाओं की अपार ऊर्जा खुलकर सामने आ सके।
अब मैं थोड़ा हिन्दी में, संगठन के बारे में बोलना चाहता हूं। आपने मुझे बहुत बड़ी जिम्मेदारी दी है, और ये एक पार्टी कहलाती है मगर सचमुच में ये एक परिवार है। इस बात को आप मानते हैं की ये हिन्दुस्तान का, शायद दुनिया का सबसे बड़ा परिवार है। और इसमें हिन्दुस्तान के सब लोग अन्दर आ सकते है। आपको क्या लगता है? बदलाव की जरूरत है या नही? है, तेजी से बदलाव की जरूरत है, मगर सोच समझ कर बदलाव की जरूरत है। और सबको एक साथ लेकर बदलाव की बात करनी है, और बदलाव लाना है। सोच समझ के करना है, और आप सबकी आवाज को सुनकर करना है। मैं पहले यूथ कांग्रेस का जनरल सेक्रेट्री हुआ करता था, एनएसयूआई का जनरल सेक्रेट्री हुआ करता था, अब मैं कांग्रेस पार्टी में वाइस प्रेसीडेन्ट हूं। आपको ये नहीं लगना चाहिए कि राहुल गांधी सिर्फ युवाओं की बात करता है। राहुल गांधी का परिवार यूथ कांग्रेस, एनएसयूआई, कांग्रेस पार्टी, महिला कांग्रेस सब हैं और आज से राहुल गांधी सबके लिए काम करेगा। और सबको, मैं एक वायदा करता हूं कि सबको मैं एक ही आंख से देखूंगा। चाहे वो यूथ कांग्रेस में से हो, चाहे वो बुजुर्ग हो, चाहे इनएक्सपीरियंस्ड हो, एक्सपीरियंस्ड हो, चाहे वो महिला हो, जो भी हो, जो आप कहेंगे मैं उसे सुनूंगा और समझने की कोशिश करूंगा। राजनीति में, मैं अब 8-9 साल से हूं और मैं एक बात समझा हूं, काम करना है, सोच समझ के करना है, गहराई से करना है, और जल्दी से नहीं करना है। बदलाव हो तो लम्बे तौर पर हो और गहराई से हो।
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24-01-2013, 02:21 PM | #13 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
एक दो चीजें मैं आप से कहना चाहता हूं, बदलाव की बात आपने कही, नियम और कानून की बात मैं कहना चाहता हूं। कांग्रेस पार्टी एक ऐसा संगठन है, दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है, मगर इसमें नियम और कानून नहीं चलते। शायद एक भी नियम और कानून इस पार्टी में नहीं है। हम हर दो मिनट में नए नियम बनाते हैं और पुराने नियम को दबा देते हैं, और यहां शायद किसी को भी नहीं मालूम कि कांग्रेस पार्टी के नए नियम क्या हैं? मजेदार संगठन है। कभी कभी मैं पूछता हूं अपने आप से, कि भैया ये चलता कैसे है, ये इलेक्शन कैसे जीतता है? ये बाकी पार्टियों को खत्म कैसे कर देता है? समझ नहीं आती है बात। मगर इलेक्शन के बाद, धड़ाक से कांग्रेस पार्टी जीत जाती है। वर्कर खड़ा हो गया, नेता खड़े हो गये। शीलाजी मुझसे कह रही थी कि भैया पता नहीं क्या होता है, इलेक्शन के पहले सब खड़े हो जाते हैं और धड़ाके से लग जाते हैं। ये गांधीजी का संगठन हैं, इसमें हिन्दुस्तान का डीएनए भरा हुआ है। बाकी संगठन और जो हमारे विपक्ष के है वो समझते नहीं है इस बात को, वो देखते हैं और कहते हैं भैया ये हो क्या रहा है? ये क्या कह रहे है लोग? कोई कहता है, भैया मैं किसी एक जात की पार्टी हूँ, कोई कहता मैं किसी एक धर्म की पार्टी हूँ और कांग्रेस पार्टी कहती है, भैया हमारा तो डीएनए हिन्दुस्तान का है। हम ना तो जात पहचानते हैं, ना धर्म पहचानते हैं, सिर्फ हिन्दुस्तान का डीएनए पहचानते हैं। सब के सब हैं इसमें। तो नियम और कानून की जरूरत है, पहली बात।
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24-01-2013, 02:22 PM | #14 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
दूसरी बात, हम लीडरशिप डवलपमेन्ट पर फोकस नहीं करते। आज से पांच-छह साल बाद ऐसी बात होनी चाहिए। अगर किसी स्टेट में हमें चीफ मिनिस्टर की जरूरत हो, तो जैसे पहले फोटो हुआ करती थी कांग्रेस पार्टी की, चालीस फोटो हुआ करती थी। नेहरू, पटेल, आज़ाद जैसे हुआ करते थे, दिग्गज होते थे, उनमें से कोई भी देश का पीएम बन सकता था। उनमें से कोई भी देश को चला सकता था। सिर्फ प्रदेश को नहीं, देश को चला सकें , ऐसे 40-50 नेता तैयार करने हैं। हर प्रदेश में हमारे पांच, छह, सात, दस ऐसे नेता हों जो चीफ मिनिस्टर बन सकें। और हर डिस्ट्रिक में, हर डिस्ट्रिक में ये बात हो, ब्लॉक में ये बात हो। और अगर कोई हमसे पूछे, भैया कांग्रेस पार्टी क्या करती है, कांग्रेस पार्टी हिन्दुस्तान के भविष्य के लिए नेता तैयार करती है। कांग्रेस पार्टी सेक्यूलर नेता, ऐसे नेता जो गहराई से हिन्दुस्तान को समझते हैं। जो जनता से जुड़े हुए, वैसे नेता तैयार करती है। ऐसे नेता तैयार करती है, जिनको हिन्दुस्तान के सब लोग देख कर कहते है भैया हम इनके पीछे खड़े होना चाहते हैं। तो लीडरशिप डवलपमेन्ट की जरूरत है और इसके लिए ढांचे की जरूरत है, सिस्टम की जरूरत है, इन्फॉर्मेशन की जरूरत है। क्योंकि यहां पर, जो नहीं होता है, इसलिए नहीं होता है कि कोई चाहता नहीं। इसलिए नहीं होता है क्योंकि सिस्टम नहीं है, और सिस्टम बनाया जा सकता है और इस सिस्टम को आप लोग बनाओगे और आप लोग चलाओगे।
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24-01-2013, 02:22 PM | #15 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
हम टिकट की बात करते हैं। जमीन पर हमारा कार्यकर्ता काम करता है, यहां हमारे डिस्ट्रिक प्रेसीडेन्ट बैठे हैं, हैं, ब्लॉक प्रेसीडेन्ट हैं, ब्लॉक कमेटी हैं, डिस्ट्रिक कमेटी हैं, उनसे पूछा नहीं जाता है। यहां डिस्ट्रिक प्रेसीडेन्ट हैं? टिकट के समय उनसे नहीं पूछा जाता, संगठन से नहीं पूछा जाता, ऊपर से डिसीजन लिया जाता है भैया, इसको टिकट मिलना चाहिए। होता क्या है? दूसरे दल के लोग आ जाते हैं, चुनाव के पहले आ जाते हैं, चुनाव हार जाते हैं और फिर चले जाते हैं, और हमारा कार्यकर्ता कहता है भैया, वो ऊपर देखता है, चुनाव से पहले पैराशूट गिरता है, धड़ाक, नेता आता है, दूसरी पार्टी से आता है, चुनाव लड़ता है, फिर हवाईजहाज में उड़कर चला जाता है, ये बदलना है। सबसे पहले कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता की इज्जत होनी चाहिए। सिर्फ और सिर्फ कार्यकर्ता की इज्जत नहीं, नेताओं की इज्जत। नेताओं की इज्जत का मतलब क्या है कि अगर नेताओं ने अच्छा काम किया है, अगर नेता जनता के लिए काम कर रहा है, चाहे वो जूनियर हो या सीनियर नेता हो, जितना भी छोटा हो, जितना भी बड़ा हो अगर वो काम कर रहा है तो उसे आगे बढ़ाना चाहिए। अगर वो काम नहीं कर रहा है, तो उसको कहना चाहिए भैया आप काम नहीं कर रहे हो, और दो-तीन बार कहने के बाद काम नहीं करें तो दूसरे को चांस देना चाहिए।
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24-01-2013, 02:23 PM | #16 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
और अंत में, जो हमारे ही लोग हमारे खिलाफ खड़े हो जाते हैं। चुनाव के समय इंडिपेंडेंट खडे हो जाते हैं, जो इंडिपेंडेंट्स को खड़ा कर देते हैं, उनके खिलाफ एक्शन लेने की जरूरत है। आप सभी ये चीजें जानते हैं। मैं भी जानता हूं। सब लोग जानते हैं। कमी इम्प्लीमेंटेशन में है, और हम इम्प्लीमेंटेशन मिलके करेंगे। यहां पर ज्ञान है, जानकारी है, हम ये काम कर सकते हैं। और जिस दिन हमने ये काम कर दिया, हमारे सामने कोई नहीं खड़ा रह पाएगा। जिस दिन जनता की आवाज कांग्रेस पार्टी के अन्दर गूंजने लगी, आज गूंजती है, बाकियों से ज्यादा गूंजती है, मगर जिस दिन गहराई से गूंजने लगेगी, जिस दिन पंचायत, वार्ड के लोग यहां आ कर बैठ जाएंगे, उस दिन हमें कोई नहीं हरा पाएगा। आज हमारे अन्दर कभी-कभी गुस्सा आता है, दु:ख होता है, फ्रस्टेशन आती है, वो भी कम हो जाएगी। मुस्कराहट आ जाएगी, लोग कहेंगे भैया मज़ा आ रहा है, अब जाते हैं विपक्षी पार्टियों को हराते हैं। मजे से लडेंगे, मजे से जीतेंगे।
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24-01-2013, 02:24 PM | #17 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
मैं पिछले आठ साल से यहां काम कर रहा हूं। और मैंने आपसे कहा कि आपने मुझे सिखाया। सीनियर नेता बैठे है। कल मैंने, ओलाजी का भाषण सुना, कितनी गहरी बात बोली उन्होंने और युवा भी बैठे थे, उन्होंने भी गहरी बात बोली। चिदम्बरमजी थे, एन्टनीजी थे, उन्होंने गहरी बात बोली, यहां पर कैपेबिलिटी की कोई कमी नहीं है। गहराई की कोई कमी नहीं है। जिस प्रकार ये पार्टी सोचती है, जितनी डेप्थ इस पार्टी में है, कहीं और नहीं है, पार्लियामेन्ट में दिखता है, सब जगह दिखता है। और मैं आपको ये बताना चाहता हूं कि मैं सब कुछ नहीं जानता हूं। दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो सब कुछ जानता है। कांग्रेस पार्टी में करोड़ों लोग हैं, कहीं न कहीं जानकारी जरूर है, मैं आपसे ये कहना चाहता हूं कि मैं उस जानकारी को ढूढूंगा। सीनियर नेताओ से पूछूंगा, शीलाजी बैठी हैं, गहलोतजी बैठे हैं, अल्वीजी बैठे हैं, बहुत सारे लोग हैं, सबके नाम नहीं ले सकता हूं, मगर मैं आपसे पूछूंगा, आपसे सीखूंगा, क्योंकि इस पार्टी का इतिहास, आपके अंदर है। इस पार्टी की सोच, आपके अंदर है। और मैं सिर्फ आपकी आवाज को आगे बढ़ाऊंगा। जो सुनाई देगा वो मैं आगे बढ़ाऊंगा, और फेयरनेस की बात होती है, कल मैंने मीटिंग में कहा, हर कचहरी में दो लोग होते हैं, लॉयर होता हैं, जज होता है, मैं जज का काम करूंगा, लॉयर का काम नहीं करूंगा। अब मैं वापस अंग्रेजी में बोलना चाहता हूं तो थोड़ा मैं आपको, अब इमोशनल बात कहना चाहता हूं, दिल की बात कहना चाहता हूं।
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24-01-2013, 02:25 PM | #18 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
आज सुबह मैं 4 बजे उठा और बालकनी में गया। मैंने सोचा कि अब मेरे सामने एक बड़ी जिम्मेदारी है और लोग मेरे पीछे खड़े हैं, लोग मेरे साथ खड़े हैं। सुबह अन्धेरा था और सर्दी भी थी। मैंने निर्णय लिया कि मैं वह बात नहीं कहूंगा, जो आप मेरे से सुनना चाहते हैं। मैंने निर्णय लिया कि मैं वही बात कहूंगा, जो मैं महसूस करता हूं। मैं आपको आशा और सत्ता के बारे में बताना चाहता हूं।
बचपन में बैडमिंटन से बहुत प्यार था, क्योंकि इस खेल ने मुझे इस पेचीदा दुनिया में सन्तुलन सिखाया। मैंने मेरी दादी के घर उन दो पुलिसकर्मियों से बैडमिंटन खेलना सीखा जो मेरी दादी की सुरक्षा में तैनात थे। वे मेरे दोस्त भी थे। फिर एक दिन उन्होंने मेरी दादी की हत्या कर दी और मेरे जीवन में सन्तुलन को मुझसे छीन लिया। मुझे बहुत दु:ख हुआ। ऐसा दु:ख पहले कभी नहीं हुआ। मेरे पिताजी बंगाल में थे और वह लौट आए थे। अस्पताल में बहुत अन्धेरा और गंदगी थी। जब मैंने अस्पताल में प्रवेश किया, उस वक्त बाहर बहुत बड़ी भीड़ थी। मैंने मेरे जीवन में पहली बार मेरे पिताजी को रोते हुए देखा। मेरे पिताजी बहुत बहादुर थे, किन्तु मैंने उन्हें रोते हुए देखा। मैंने देखा कि वह भी टूट चुके थे।
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24-01-2013, 02:27 PM | #19 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
उन दिनों हमारा देश ऐसा नहीं था, जैसा आज है। दुनिया की नजरों में हमारे पास कुछ नहीं था। हमें फालतू माना जाता था। हमारे पास पैसा नहीं था, कारें नहीं थी। प्रत्येक व्यक्ति कहता था कि हम गरीब राष्ट्र हैं। हमारे बारे में किसी ने नहीं सोचा।
उस दिन शाम को मेरे पिताजी ने टेलीविजन पर राष्ट्र को सम्बोधित किया। मैं जानता था कि वह भी मेरी तरह अन्दर से टूटे हुए थे। हमारे सामने जो चीज थी, उससे वह भी मेरी तरह भयभीत हो गए थे, किन्तु जब उस दिन काली रात को मेरे पिताजी बोलने लगे तो मैंने महसूस किया कि उनमें आशा की एक छोटी किरण थी। ऐसा लगा मानो अन्धेरे आकाश में रोशनी की एक छोटी किरण थी। मुझे उस समय की सभी बातें आज भी याद हैं। अगले दिन मैंने महसूस किया कि अनेक लोगों ने भी उस किरण को देखा था। आज जब मैं पीछे मुड़कर देखता हूं तो मेरे पास 8 वर्ष का राजनीतिक जीवन है और आज मेरी आयु 42 वर्ष है। मैं यह देख सकता हूं कि उस दिन की आशा की उस छोटी किरण ने भारत को भी बदलने में मदद की है। आज एक नया भारत है। आशा के बिना आप कुछ भी हासिल नहीं कर सकते। आपके पास विचार हैं, किन्तु यदि आशा नहीं है तो आप बदलाव नहीं ला सकते, आप भारत जैसे विशाल देश में बदलाव नहीं ला सकते।
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24-01-2013, 02:27 PM | #20 |
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Re: चिंतन शिविर में राहुल गांधी का भाषण
अब मैं आपको सत्ता (पावर) के बारे में बताना चाहता हूं।
पिछली रात सभी लोगों ने मुझे बधाई दी। आपने मुझे गले लगाया और बधाई दी। किन्तु पिछली रात मेरी मां मेरे कमरे में आई, मेरे पास बैठी और रोने लगी। वह क्यों रोई? वह इसलिए रोई, क्योंकि वह जानती है कि जिस सत्ता को बहुत लोग प्राप्त करना चाहते है, वह वास्तव में जहर है। मेरी मां यह बात देख सकती है, क्योंकि वह पावर से जुड़ी हुई नहीं है। इस जहर का तोड़ यही है कि हम इसे इसके वास्तविक रूप में देखें और इसके साथ अटैच नहीं हों। हमें सत्ता के पीछे इसके घटकों के कारण नहीं दौड़ना चाहिए, बल्कि हमें इसका उपयोग उन लोगों को सशक्त करने के लिए करना चाहिए, जिनके पास आवाज नहीं है। यह मेरी मां का पूरे जीवन का अनुभव है, यह मेरे 8 वर्षों का अनुभव है। मुझे पूरा विश्वास है कि आप में से जितने भी लोगों के पास प्रतिदिन सत्ता रहती है, वे मेरी बात को समझेंगे और सत्ता के सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का अहसास करेंगे। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि नकारात्मक पहलू भी हैं और आपको सत्ता का उपयोग करते समय इस बारे में सावधान रहना चाहिए।
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