13-04-2012, 07:44 PM | #41 |
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Re: मौलिक शायरी
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25-04-2012, 11:50 AM | #42 |
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Re: मौलिक शायरी
दास्ताँ ए गम छुपाई न गयी बात दिल की बताई न गयी
हँसते देखा था हरदम जिसे आज वो फिर हमसे रुलाई न गयी ख़ुशी उनकी में मेरा गम छुपा है अपना गम मिटाने को उनकी खुशी मिटाई न गई' Last edited by sombirnaamdev; 26-04-2012 at 09:23 PM. |
25-04-2012, 01:44 PM | #43 | |
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Re: मौलिक शायरी
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बहुत खूब! सोम भाई जी, बहुत ही आसान भाषा में बहुत अच्छा कह लेते हैं। |
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25-04-2012, 01:53 PM | #44 |
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Re: मौलिक शायरी
इंसानियत का तुझमें दीदार नहीं होता/ तू सच में इंसान है एतबार नहीं होता/ गर तू वाकई इंसान है तो बता 'सौरभ', क्यों किसी इंसान से तुझे प्यार नहीं होता/ Last edited by Suresh Kumar 'Saurabh'; 25-04-2012 at 02:09 PM. |
25-04-2012, 02:14 PM | #45 |
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Re: मौलिक शायरी
नफ़रत की बेड़ी काट दो तुम/ भेद-भाव की खाई पाट दो तुम/ आग लगाने से अँधेरा नहीं जाता, चराग़-ए-मोहब्बत जलाके अँधेरा छाँट दो तुम/ सु0 कु0 'सौरभ' |
25-04-2012, 07:24 PM | #46 |
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Re: मौलिक शायरी
क्षोभरहित मेरी कोई निशा न थी/
चलता रहा किन्तु कोई दिशा न थी/ जागृत की जीने की आकांक्षा तुमने, अन्यथा मेरी अब जिजीविषा न थी/ . . -------- सुरेश कुमार 'सौरभ' |
25-04-2012, 08:56 PM | #47 |
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Re: मौलिक शायरी
थोड़ा हँस लिया जाये-
. मेरे होटों से वादों का फूल झड़ता। मेरे पीछे भी जनता का रेला उमड़ता। काश कि मुझे भी जनता को उल्लू बनाना आता, तो मैं भी इस बार चुनाव जरूर लड़ता। . . -------- सुरेश कुमार 'सौरभ' |
25-04-2012, 11:13 PM | #48 |
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Re: मौलिक शायरी
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26-04-2012, 09:04 AM | #49 |
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Re: मौलिक शायरी
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26-04-2012, 09:14 AM | #50 |
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Re: मौलिक शायरी
रहम मुझ पर ज़रा कीजिए। सूखे ज़ख़्मों को न हरा कीजिए। मर चुका हूँ ज़िन्दा लाश हूँ मैं, मरे हुए पर यूँ न मरा कीजिए। . . -------- सुरेश कुमार 'सौरभ' |
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