25-11-2010, 08:20 AM | #641 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
संता (बंता से) - मैं श्रमदान करने गया था। बंता (संता से) - मैं समझा नहीं। संता (बंता से)- दरअसल मुझे छह महीने का सश्रम कारावास मिला था। |
25-11-2010, 08:21 AM | #642 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
संता सिंह एक बार ट्रक लेकर कहीं जा रहे थे। रास्ते में उनका ट्रक खराब हो गया। संता ने ट्रक ले जाने के लिए एक दूसरे ट्रक की व्यवस्था की और अपने ट्रक को खींचकर गैराज ले जाने लगे। रास्ते में एक ढाबे पर बंता सिंह दिखाई दिए। बंता, संता सिंह को ट्रक ले आते देख जोर-जोर से हंसने लगा। संता ने गुस्से में पूछा, अबे कभी तूने ट्रक नहीं देखा क्या? 'ट्रक तो देखा है, लेकिन ऐसा पहली बार देखा है कि दो ट्रक मिलकर एक रस्सी को ले जा रहे हैं। बंता ने जवाब दिया।
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25-11-2010, 08:21 AM | #643 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
संता सिंह (प्रीतो से)- जानती हो, जितनी देर में मैं एक सांस लेता हूं,
उतनी देर में देश में एक नया बच्चा जन्म लेता है। प्रीतो (आश्चर्य से)- हाय राम, तब तुम अपनी यह हरकत छोड़ क्यों नहीं देते? देश की आबादी पहले से ही इतनी बढी हुई है। |
25-11-2010, 08:22 AM | #644 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
संता (प्रेमिका से)- तुम्हें संगीत का शौक है?
प्रेमिका (संता से)- हां। संता (प्रेमिका से)- कौन-सा वाद्ययंत्र बजाती हो? प्रेमिका (संता से)- ग्रामोफोन। |
25-11-2010, 08:22 AM | #645 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
संता ट्रेन से कहीं जा रहा थे। उसके हाथ में एक दूरबीन थी। वह खिड़की से लगातार बाहर तो झाँक रहा था लेकिन दूरबीन कभी नहीं लगाता था। उसके साथ के एक यात्री ने पूछा कि भाई साहब, यह दूरबीन किस काम की है? संता सिंह ने कहा कि इससे दूर की चीजें दे खी जाती हैं।
यात्री को बड़ी उत्सुकता हुई। उसने पूछा कि आप यह दूरबीन क्यों लिए हुए हैं। 'दरअसल मैं अपने एक दूर के रिश्तेदार को देखने जा रहा हूं। |
25-11-2010, 08:23 AM | #646 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
टीचर : खरगोश के दो जोड़ और दो जोड़ और दो जोड़ मिलाकर कितने हुए।
संता : सात। टीचर : ठीक से सुनो, खरगोश के दो जोड़ और दो जोड़ और दो जोड़ मिलाकर कितने हुए। संता : सात। टीचर : अच्छा। बियर की बॉटल के दो जोड़ और दो जोड़ और दो जोड़ मिलाकर कितने हुए। संता : छह। टीचर : तो फिर खरगोश के तीन जोड़ मिलाकर छह क्यों नहीं हुए? संता : क्योंकि एक खरगोश पहले से ही मेरे पास है। |
25-11-2010, 08:23 AM | #647 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
हिन्दोस्तान से ताजा-ताजा विलायत पहुंचा एक पंजाबी जाट लंदन के एक रेस्टोरेंट में वेटर की नौकरी पर लगा। वहां उसे काम करते कुछ ही दिन हुए थे कि एक रोज मैनेजर ने उसे अपने ऑफिस में बुलाया और बताया कि पंजाब से उसके भाई का फोन था। वेटर ने फोन रिसीव किया और काफी देर टूटी-फूटी अंग्रेजी में अपने भाई से बात करता रहा। आखिरकार उसने फोन रखा तो मैनेजर ने उससे पूछा - अपने भाई से अंग्रेजी में बात क्यों की? अपनी जुबान में क्यों नहीं की?
साहब जी - वेटर हकबकाया-सा बोला - अब मुझे क्या मालूम था कि आपका टेलीफोन पंजाबी भी बोलता है। |
25-11-2010, 08:23 AM | #648 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
एक सरदारजी एक 25 मंजिला भवन की छत पर बैठे थे, तभी एक आदमी हांफता हुआ आया और कहने लगा कि 'संतासिंह आपकी पोती मर गई। सरदारजी ये खबर सुनकर बहुत हताश हो जाते हैं और बिल्डिंग से कूद पड़ते हैं। जब वो 20वीं मंजिल तक पहुंचते हैं तो उन्हें ख्याल आता है कि उनकी तो कोई पोती ही नहीं है। 10वीं मंजिल आने पर ध्यान आता है कि उनकी तो शादी ही नहीं हुई है और जैसे ही जमीन पर गिरने वाले होते हैं कि ख्याल आता है कि उनका नाम तो संतासिंह है ही नहीं।
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25-11-2010, 08:24 AM | #649 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
संतासिंह, उनका एक जापानी मित्र और एक ब्रिटिश घूमते हुए निर्जन टापू पर पहुंच जाते हैं। चलते-चलते उन्हें एक चिराग मिलता है। जापानी चिराग को घिसता है तो उसमें से एक जिन्न बाहर आता है। जिन्न कहता है कि मैं आप तीनों की एक-एक इच्छा पूरी करूंगा।
जापानी कहता है कि मैं अपने घर वापस जाना चाहता हूं। जिन्न हाथ घुमाता है और वो घर पहुंच जाता है। ब्रिटिश भी अपने घर जाने की इच्छा रखता है और वह भी घर पहुंच जाता है। संतासिंहजी सोच में पड़ जाते हैं और अपनी इच्छा बताते हुए कहते हैं कि भई, उन दोनों के जाने से मैं तो अकेला पड़ गया, तुम ऐसा करो उन दोनों को वापस बुला लो। जिन्न हाथ घुमाता है और वो दोनों वापस आ जाते हैं। |
25-11-2010, 08:24 AM | #650 |
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Re: गुदगुदाते, चुटीले और मजेदार चुटकले
संतासिंह और बंतासिंह दोनों बहुत बडे दुश्मन थे। ये दोनों एक ही बिल्डिंग में रहते थे। बंतासिंह
सातवें माले पर रहता था और संतासिंह पहले। एक बार बिल्डिंग की लिफ्ट खराब हो गई। बंतासिंह ने सोचा कि आज संता को सबक सिखाया जाए। उसने संतासिंह को फोन करके खाने पर बुलाया। बेचारा संतासिंह जैसे-तैसे सातवें माले पर पहुंचा और वहां जाकर देखा कि दरवाजे पर ताला लगा है और लिखा था कि 'कैसा उल्लू बनाया। संतासिंह को ये देखकर बहुत गुस्सा आया। उसने उस नोट के नीचे लिखा- 'मैं तो यहां आया ही नहीं था। |
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