15-08-2012, 10:24 AM | #891 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
लॉस एंजिलिस। लिपस्टिक, हैंडवाश और इसी तरह की घर में इस्तेमाल आने वाली अनेक चीजों में एक रसायन ढर्रे से उपयोग किया जाता है जिससे दिल की परेशानियां पैदा हो सकती हैं और मांसपेशियों में दुर्बलता आ सकती है। कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने पाया कि घरेलू उपयोग के सैकड़ों सामानों में इस्तेमाल होने वाला रसायन ट्राइक्लोसान उस प्रक्रिया को बाधित कर सकता है जिससे हृदय समेत मांसपेशियां मस्तिष्क से सिग्नल प्राप्त करती हैं। चूहों पर प्रयोग में वैज्ञानिकों ने पाया कि ट्राइक्लोसान से संपर्क के 20 मिनट के अंदर हृदय की सक्रियता में 25 प्रतिशत की कमी आ जाती है। उन्होंने आगाह किया कि ऐसे मजबूत साक्ष्य हैं कि यह मानव स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। बहरहाल, नियामक और विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादों में ट्राइक्लोसान का स्तर सुरक्षित है और चूहों में इंजेक्शन से दी गई इसकी मात्रा उससे कहीं ज्यादा है जिसके संपर्क में मानव आते हैं।
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16-08-2012, 11:12 PM | #892 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
गर्भावस्था के दौरान शिशु को किमोथैरेपी से कोई नुकसान नहीं : शोध
लंदन। चिकित्सकों ने एक नए शोध में दावा किया है कि गर्भावस्था के दौरान किमोथैरेपी सुरक्षित है और इसका अजन्मे शिशु पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता। जर्मनी के शोधकर्ताओं ने पाया कि गर्भावस्था के दौरान कैंसर का उपचार कराने वाली महिलाओं के बच्चों में जन्मजात बीमारियां या कोई अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने का कोई खतरा नहीं होता है। डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि कैंसर के उपचार के जारी रहने के कारण गर्भावस्था को टालने , गर्भ को समाप्त करने, कैंसर के उपचार में देरी करने या कम असरकारक दवाएं लेने की कोई जरूरत नहंी है। इस बात के बेहद कम सबूत हैं कि इससे शिशु प्रभावित होता है । यूरोप भर से 400 से अधिक महिलाओं का अध्ययन करने के बाद यह नतीजे निकाले गए हैं । इन महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान शुरूआती चरण का स्तन कैंसर पता चला था और इनमें से करीब आधी महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान किमोथैरेपी उपचार कराया था। शोध में पाया गया कि जिन महिलाओं ने गर्भावस्था के दौरान किमोथैरेपी उपचार लिया था उनके शिशुओं का जन्म के समय वजन अन्य महिलाओं के बच्चों के मुकाबले कम था। लेकिन गर्भ में उन पर किमोथैरेपी का कोई नकारात्मक प्रभाव नहंी देखा गया । शोध करने वाले जर्मन बे्रस्ट गु्रप की प्रोफेसर सिबेली लोइबिल ने कहा, ‘यदि हमारे नतीजों की अन्य अध्ययनों से पुष्टि हो जाती है तो गर्भावस्था के दौरान गर्भ को प्रभावित किए बिना और उपचार में देरी किए बिना आगे बढ़ा जा सकता है।’
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17-08-2012, 07:53 PM | #893 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
नृत्य करती महिला ज्यादा खूबसूरत लगे तो समझिए अभी मां बनने के काबिल है
न्यूयार्क। डांस फ्लोर पर अपने खूबसूरत अंदाज में नृत्य करती महिला जब पुरूषों को ज्यादा आकर्षित लगती है, तो इसका मतलब वह मां बनने के काबिल है। जर्मनी में गोटिनगेन यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने यह पता लगाया है कि महिलाओं की रजोनिवृत्ति का पता इस बात से लगाया जा सकता है कि वह नृत्य करते समय पुरूषों को ज्यादा खूबसूरत दिखती है या नही और रजोनिवृत्ति के बाद उनमें उतना आकर्षण बाकी नहीं रहता। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि इसी तरह की ऐसी कई छोटी छोटी बातें हैं, जिनके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि महिला मां बनने की उम्र में है या उससे आगे बढ़ चुकी है। अध्ययन के अंतर्गत विभिन्न आयु वर्ग की 48 महिलाओं को एक जैसी लय ताल पर नृत्य करने को कहा गया और विभिन्न आयु वर्ग के दो सौ पुरूषों ने उनकी सुंदरता और आकर्षण को परखा। इस दौरान सभी महिलाओं को एक ही तरह के कपड़े पहनाए गए ताकि उनमें अधिक भिन्नता दिखाई न दे। इन पुरूषों को यह नहीं मालूम था कि यह अध्ययन महिलाओं की प्रजनन क्षमता का पता लगाने के लिए किया जा रहा है, इसके बावजूद उन्होंने मां बनने में सक्षम महिलाओं को अन्य महिलाओं की तुलना में अधिक सुंदर और आकर्षक करार दिया।
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17-08-2012, 07:54 PM | #894 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
सोते-सोते सांस लेने में दिक्कत को न करें अनदेखा
स्टाकहोम्स। सोते-सोते अचानक सांस लेने में दिक्कत होती है या सांस लेने के लिए थोड़ा प्रयास करना पड़ता है, तो सावधान हो जाइए यह सामान्य लक्षण नहीं, बल्कि स्लीप एपनोई नामक एक बीमारी है, जो पुरूषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाई जाती है। हाल के एक शोध में पता चला है कि सोते वक्त अचानक सांस धीमी हो जाना या सांस लेने में प्रयास करने से लगातार नींद में खलल पडने से सबसे अधिक महिलाएं परेशान रहती हैं और जिन महिलाओं को उच्च रक्त चाप होता है या अधिक मोटी होती हैं, उन्हें यह बीमारी जल्दी पकड़ती है। स्वीडन के उमीय विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कार्ल फ्रैंकलिन की अगुवाई में हुए इस शोध के लिए 400 महिलाओं को चुना गया। इन महिलाओं को एक प्रश्नावली दी गई और पूछे गए विभिन्न प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहा गया। नींद संबंधी इस जांच के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि 20 वर्ष की करीब 50 प्रतिशत महिलाएं आब्स्ट्रक्टिव स्लीप एपनोई (ओएसए) से पीड़ित थीं। यह बीमारी का बिगड़ा हुआ रूप है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सुबह तरोताजा महसूस नहीं करता, दिनभर सुस्ती आलस रहना, एकाग्र नहीं कर पाना जैसी समस्याओं से जूझता रहता है। लंबे समय तक यही अवस्था दूसरी अन्य बीमारियोंं का भी कारण बनती है। प्रोफेसर फ्रैंकलिन कहते हैं कि अक्सर यह माना जाता था कि स्लीप एपनोई से पुरूष ज्यादा ग्रस्त रहते हैं, लेकिन इस शोध ने हमें आश्चर्य मेंं डाल दिया। बड़ी संख्या में महिलाएं स्लीप एपनोई से पीड़ित पाई गर्इं। उच्च रक्तचाप से पीड़ित 80 प्रतिशत और 84 प्रतिशत मोटी महिलाएं स्लीप एपनोई की चपेट में हैं।
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18-08-2012, 10:14 AM | #895 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
अधिक शराब पीने वाली महिलाओं के संतानों का कम होता है विकास
वाशिंगटन। गर्भावस्था के दौरान प्रतिदिन अधिक मात्रा में शराब पीने वाली महिलाओं के बच्चों का विकास कम होता है। हावर्ड मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने एक ताजा अध्ययन में पाया कि प्रतिदिन तीन यूनिट तक शराब पीने वाली महिलाओं के बच्चों की लंबाई कम मात्रा या शराब नहीं पीने वाली महिलाओं के बच्चों की तुलना में कम होती है। अध्ययन में पाया गया कि इसका प्रभाव ऐसे बच्चों की आयु बढने पर भी होता है। अनुसंधानकर्ताओं ने अपने इस अध्ययन के तहत ऐसी 85 गर्भवती महिलाओं के समूह का परीक्षण किया जो प्रतिदिन कम से कम ढाई सौ मिलीलीटर शराब का सेवन करती हैं। महिलाओं के इस समूह की तुलना 63 ऐसे गर्भवती महिलाओं के समूह से की गई जो या तो शराब नहीं पीती या कम पीती हैं। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले डा राबर्ट कार्टर ने कहा, ‘‘हमने पाया कि अधिक शराब पीने वाली महिलाओं की जन्म लेने वाली संतानों का वजन, लंबाई और सिर की परिधि कम थी।’’
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23-08-2012, 11:50 AM | #896 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
खुशियों के पल-हादसे क्यों कैद रहते हैं दिमाग में, कोई तो कारण होगा
टोरंटो। जिन्दगी के खुशनुमा पल और हादसे दिमाग में इस तरह कैद रहते हैं मानो कल की घटनाएं हो लेकिन अक्सर हम रोजमर्रा की छोटी. छोटी बातें भूल जाते हैं। क्या आपने कभी सोचा ऐसा क्यों है। यूनीवर्सिटी आफ टोरंटो के मनोचिकित्सक रेबेका टोड के नेतृत्व में हुये एक अध्ययन में यही गुत्थी सुलझाने का दावा किया गया है। डा. टोड के अनुसार हमारे दिमाग में वे घटनाएं सदा के लिये कैद हो जाती हैं जिन्हें हम दिल के अंदर तक महसूस करते हैं। खुशी के पल हो अथवा दिल को तार-तार क रने वाली घटनाएं, दिमाग उन्हें मजबूती से कैद कर लेता है, क्योंकि ऐसी घटनाओं को हम रोम-रोम से महसूस करते हैं। उन्होंने बताया कि इस लिये अपने बच्चों का जन्म, पहला प्यार, पहली बार मिला पुरस्कार आदि जैसी सुखद घटनाएं हमारे जेहन में ताजा रहती हैं। इसके अलावा दिल का टूटना, बचपन के बुरे अनुभव, किसी प्रिय के बिछुडने आदि जैसी मार्मिक एवं दिल दहलाने वाली घटनाएं ताउम्र हमारी पीछा करती हैं। उन्होंने कहा कि अध्ययन के दौरान पाया गया कि दिमाग का वह हिस्सा जहां पर दुखद एवं सुखद घटनाएं कैद होती हैं वह अधिक क्रियाशील होता है। उन्होने कहा कि मस्तिष्क का यह विशेष हिस्सा घटनाओं के महसूस करने की गहरायी के अनुपात में फैलता-सिकुडता है। डा. टोड ने बताया कि रोजमर्रा के काम जिन्हें हम बिना कुछ महसूस किये और सोचे-समझे करते हैं, उन्हें याद नहीं रख पाते और फिर हम स्वयं से शिकायत करते हैं ....उफ हमें कुछ याद नहीं रहता है लगता है भूलने की बीमारी हो गयी है।
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23-08-2012, 11:51 AM | #897 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
पुरुष नपुंसकता के मामलों में हो रहा है इजाफा
बेंगलूर। विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण और जीवनशैली में आ रहे बदलावों का प्रतिकूल प्रभाव इंसान के स्वास्य पर पड रहा है जिससे हाल के वर्षों में पुरुषों में नपुंसकता के मामलों में इजाफा हुआ है। पुरुष नपुंसकता (एंड्रालाजी) के मामलों से जुड़े संस्थान अंकुर हेल्थकेयर प्राईवेट लिमिटेड के डॉ. एस. एस. वासन ने कल कहा कि तेजी से विकसित हो रहे समाज में जहां तनाव और प्रदूषण में इजाफ हुआ है वहीं धूम्रपान और मद्यपान जैसी आदतों ने भी लोगों के बीच तेजी से अपनी जगह बनाई है। इन सब कारणों की वजह से पिछले पांच वर्षों में पुरुष नपुंसकता के मामलों में खासी तेजी देखने में आई है। डॉ. वासन ने बताया कि बांझपन के कुल मामलों में से तीस फीसदी महिलाओं से जुड़े होते हैं, जबकि इतनी ही संख्या में पुरुष भी इससे प्रभावित होते हैं। शेष मामलों में या तो दोनो दंपत्ति ही इससे प्रभावित रहते हैं अथवा कुछ मामले ऐसे भी होते हैं जिनकी स्पष्ट व्याख्या चिकित्सकों के पास भी उपलब्ध नहीं होती। पुरुष नपुंसकता के लिये बहुत से कारण जिम्मेदार होते हैं जिनमें शुक्राणुओं की संख्या और शुक्राणुओं की अंडाणु को निषेचित कर पाने की क्षमता इत्यादि प्रमुख हैं। असामान्य शुक्राणु उत्पादन के पीछे पोषण की कमी, मोटापा, जीवन शैली से जुडे बदलाव और कुछ खास किस्म के विषैले तत्वों मसलन कीटनाशक, सीसा, पेंट तथा विकिरण इत्यादि के प्रभाव में आने पर भी नपुंसकता हो सकती है। डा. वासन ने बताया कि मौजूदा समय में नपुंसकता को लेकर जागरुकता में भी इजाफ हुआ है और लोग समय रहते इसका उपचार कराने के विकल्प को भी आजमाने लगे हैं। उन्होंने बताया कि वह सालाना इस तरह के सात हजार मामलों को देखते हैं।
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23-08-2012, 11:53 AM | #898 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
ऐसे चूहे भी हैं जो न कुतरते हैं, न चबाते हैं
लंदन। चूहे अपने तीक्ष्ण दातों को लेकर जाने जाते हैं लेकिन वैज्ञानिकों ने चूहों की अब एक ऐसी प्रजाति का पता लगाया है जो न तो कुतरते हैं न चबाते हैं। ये सिर्फ केंचुओं को अपना आहार बनाते हैं। डेली मेल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक चूहों की इस प्रजाति का नाम पाउसीडेंटोमीस वर्मीडेक्स है। इसे इंडोनेशियाई द्वीप सुलावेसी में पाया गया है और यह अनोखा चूहा है। ये चूहे मुख्य रूप से केंचुओं पर निर्भर होते हैं। आस्ट्रेलिया स्थित म्यूजियम विक्टोरिया से जुड़े एवं खोज दल के सदस्य डॉ. केविन रोव ने बताया कि दुनिया में चूहों की 2,200 से अधिक प्रजाति है। इस नयी प्रजाति की खोज से पहले सभी प्रजातियों के चूहों के मुंह के पीछे के हिस्से में ‘चर्वण दन्त’ थे, जबकि कृन्तक दांत आगे के हिस्से में थे। रोव के हवाले से अखबार ने बताया है कि यह इस बात का उदाहरण है कि नये पारिस्थितकी माहौल में किस तरह से जीवों की प्रजातियों की विशेषताएं बदल जाती हैं। इस नयी प्रजाति के भी चूहे जैसी पूंछ है लेकिन नाक लंबी है। इसके सिर्फ कृन्तक दांत हैं और ये उपरी जबड़े में हैं।
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27-08-2012, 05:10 AM | #899 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
धूम्रपान की लत छुड़ाने में कारगर होती है हरी चाय
तिरुवनंतपुरम। हरी चाय के गुणकारी तत्वों पर हुए नए शोधों से पता चला है कि यह धूम्रपान करने वाले लोगों के लिए भी खासी लाभदायक है और इसके सेवन से धूम्रपान करने की लत धीरे-धीरे छूटती जाती है। मालाबार कैंसर सेंटर के सामुदायिक ओंकोलाजी विभाग के प्राध्यापक फिसंफलिपि ने कहा कि चीन में हुए एक नए शोध से पता चलता है कि हरी चाय में पाया जाने वाला एल थियानिन नामक अमीनो एसिड तनाव से मुक्ति दिलाने में अत्यंत कारगर है। डॉ. फलिपि ने कहा कि धूम्रपान करने की तलब लगने पर अगर कोई व्यक्ति हरी चाय का सेवन करता है तो उससे भी उसे वैसी ही राहत का अहसास होता है जैसा सिगरेट या बीड़ी पीने से होता है। कोचीन के लेकशोर अस्पताल के कैंसर विभाग से संबद्ध डाक्टर थामस वर्गीज ने कहा कि धूम्रपान छोड़ने के बाद हरी चाय का सेवन फेफड़ों को पहुंचे नुकसान से उबरने में मदद करता है और इससे फेफड़ों का कैंसर होने की आशंका भी कम हो जाती है। उन्होंने बताया कि धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों की प्रतिरोधक क्षमता भी बेहद कम हो जाती है और उनमें विटामीन सी और ई, कैल्शियम, फ्लोेट, ओमेगा-03 फैटी एसिड इत्यादि का भी अभाव हो जाने से कैंसर होने की अधिक आशंका रहती है। हरी चाय में मौजूद एंटी आक्सिडेंट शरीर के आक्सिडेंट, एंटी आक्सिडेंट संतुलन को बनाए रखने में कारगर रहते हैं। चाइना लाइफ साइंसेज नामक इस जर्नल में प्रकाशित हुए इस शोध में दो चिकित्सकीय परीक्षणों को आधार बनाकर हरी चाय के गुणकारी प्रभावों की जानकारी दी गई। पहले परीक्षण में 70 स्वस्थ धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों को हरी चाय के अवयवों से तैयार सिगरेट का सेवन करने को कहा गया। लगभग दो महीनों तक हरी चाय के अवयवों का सेवन करने के बाद इन व्यक्तियों की सिगरेट पीने की लत में 43.5 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई और 31.7 फीसदी लोगों ने सिगरेट पीना तक छोड़ दिया। दूसरे परीक्षण में उन 59 लोगों को चुना गया जो लंबे वक्त से सिगरेट पी रहे थे और उन्हें धूम्रपान करने की अधिक तलब महसूस होती थी। परीक्षण के पहले महीने के अंदर इनकी सिगरेट पीने की लत में 48 फीसदी दूसरे महीने में 83 फीसदी और तीसरे महीने में 91 फसीदी की गिरावट दर्ज की गई। इंग्लैंड और स्पेन में हुए दूसरे शोधों में बताया गया है कि हरी चाय में पाए जाने वाला यौगिक ईजीसीजी कैंसर के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा मैथोट्रेक्सेट से काफी समानता रखता है और कैंसर कोशिकाओं की बढ़त पर लगाम लगा सकता है। यह शरीर में पाए जाने वाले एंजाइम डिहाइड्रोफ्लोेट रेड्यूक्टेस के साथ मिलकर कैंसर कोशिकाओं की बढ़त पर लगाम लगाता है।
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27-08-2012, 05:11 AM | #900 |
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Re: स्वास्थ्यवर्द्धक समाचार : नए शोध और खोजें
एल्कोहल से बढ़ता है कैंसर का खतरा
वाशिंगटन। वैज्ञानिकों ने पाया है कि जब हमारे शरीर में एल्कोहल पहुंचने पर वह छोटे-छोटे भागों में टूटता है तो एक ऐसा यौगिक बनता है जो कि हमारे डीएनए को काफी नुकसान पहुंचा सकता है। इससे कैंसर होने का खतरा काफी बढ़ जाता है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसका ज्यादा खतरा एशियाई लोगों को है। मिनेसोटा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया कि जब मानव शरीर बीयर, वाइन आदि में मौजूद एल्कोहल को पचाने के लिए तोड़ता है तो एसिटेल्डिहाइड नामक एक ऐसा रासायनिक पदार्थ बनता है जिसकी मूल संरचना फॉर्मेल्डिहाइड नामक पदार्थ जैसी होती है। फॉर्मेल्डिहाइड को मानव शरीर में कैंसरकारी पदार्थ माना जाता है। प्रमुख अध्ययनकर्ता सिल्विया बैल्बो ने बताया कि एसिटल्डिहाइड इंसानों के डीएनए से जुड़ जाता है और फिर कई गुना बढ़ता जाता है। डीएनए से जुड़कर यह एसिटल्डिहाइड जैविक क्रियाओं में कुछ इस तरह बाधा पैदा करता है कि कैंसर का खतरा बढ़जाता है।
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