28-03-2013, 12:24 AM | #1 |
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धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
ग़ज़ल |
28-03-2013, 09:55 PM | #2 | |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
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ऊंचने का स्वप्न लिए नीचते गए. जितना हमसे बन पड़ा खींचते गए. : bravo::b ravo::br avo: VAKAI BAHUT ACHHI KAVITA HAI SRMAAN JI DIL SE ISE BUTTON KA MISS USE MAT SAMJHNA |
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28-03-2013, 11:04 PM | #3 |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
सोमबीर जी, इससे पहले कि मैं कुछ बोलूँ, आपने ही सारा खुलासा कर दिया. अब मैं शशोपंज में हूँ कि कुछ गलत तो नहीं लिख दिया मैंने? तथापि, आपकी स्नेहपूर्ण, लगभग दो दर्जन स्माइली के साथ की गई प्रेरक टिप्पणी के लिए मैं आपको हार्दिक धन्यवाद देता हूँ. मैं भी एक स्माइली रखना चाहता था किन्तु सिस्टम अनुमति नहीं दे रहा.
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28-03-2013, 11:29 PM | #4 |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
" तोड़ने का जनमत सहेजते हुए , परंपरा के मूल को ही सींचते गए . "--- अति सुन्दर मित्र रजनीश माँगा जी . बधाई .
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28-03-2013, 11:48 PM | #5 |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
अद्भुत सृजन है, रजनीशजी। सच कहूं, तो बहुत दिन बाद एक श्रेष्ठ ग़ज़ल पढने का अवसर आपने दिया। मैं आपकी कलम, आपके वैचारिक धरातल, आपकी कल्पना शक्ति और आपके काव्य शिल्प को सलाम करता हूं। आपकी यह काव्य यात्रा हमें ऐसे अवसर निरंतर देती रहे, यही कामना है। धन्यवाद।
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
29-03-2013, 12:36 AM | #6 | |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
Quote:
जितना हमसे बन पड़ा खींचते गए. ऊँचा उठने के स्वप्न में हम नीचे गिरते गए का भावार्थ आपने (ऊंचने का स्वप्न लिए नीचते गए. ) के रूप में दिया है जो बहुत ही सुंदर बन पड़ा है . साथ आपने आज हिंदी को दो नए शब्द 1 ऊंचने 2 नीचते दिए है मुझे नही लगता की इसमें कोई खराबी है कविता लय और सुर का संगम हैं उसे आपने सही निभाया है मेरी टिप्पणी को अन्यथा ना लें मैंने अपने दिल की बात कही है Last edited by sombirnaamdev; 29-03-2013 at 12:39 AM. |
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29-03-2013, 10:49 PM | #7 |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
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29-03-2013, 11:10 PM | #8 |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
अलैक जी, ग़ज़ल पढ़ने और प्रशंसा करने के लिए आपका आभारी हूँ. आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगी; यह मेरे प्रति आपकी आत्मीयता एवं उदारता की परिचायक है. मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए धन्यवाद.
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29-03-2013, 11:15 PM | #9 | |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
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03-04-2013, 12:42 AM | #10 | |
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Re: धर्म कर्म हैं कि आँख मीचते गए
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