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Old 25-09-2011, 02:48 AM   #61
Sikandar_Khan
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शत्रुओं के परस्पर विवाद से लाभ

किसी नगर में द्रोण नाम का एक निर्धन ब्राह्मण रहा करता था। उसका जीवन भिक्षा पर ही आधारित था। अतः उसने अपने जीवन में न कभी उत्तम वस्त्र धारण किए थे और न ही अत्यंत स्वादिष्ट भोजन किया था। पान-सुपारी आदि की तो बात ही दूर है। इस प्रकार निरंतर दुःख सहने के कारण उसका शरीर बड़ा दुबला-पतला हो गया था।

ब्राह्मण की दीनता को देखकर किसी यजमान ने उसको दो बछड़े दे दिए। किसी प्रकार मांग-मांगकर उसने जन बछड़ों को पाला-पोसा और इस प्रकार वे जल्दी ही बड़े और हृष्ट-पुष्ट हो गए। ब्राह्मण उनको बेचने की सोच रहा था तभी उन दोनों बछड़ों को देखकर एक दिन किसी चोर ने सोचा कि आज उसको उन बछड़ों को चुरा लेना चाहिए नहीं तो ये ब्राह्मण उनको बेच देगा। अतः उनको बांधकर लाने के लिए रस्सी आदि लेकर वह रात्रि में घर से निकल पड़ा।

इस प्रकार सोचकर वह चोरी करने जा रहा था कि आधे मार्ग में उसको एक भयंकर व्यक्ति दिखाई दिया। उस व्यक्ति के प्रत्येक अंग से भयंकरता का आभास हो रहा था. उसे देखकर चोर घबराकर एक बार तो वापस जाना का विचार कर बैठा, किन्तु फिर भी उसने साहस करके उससे पूछ ही लिया, “आप कौन हैं?” “मैं तो सत्यवचन नामक ब्रह्मराक्षस हूं, किन्तु तुम कौन हो?” “मैं क्रूरकर्मा नामक चोर हूं। मैं उस दरिद्र ब्राह्मण के दोनों बछड़ों को चुराने के उद्देश्य से घर से चला हूं।” राक्षस बोला-“मित्र! मैं छः दिनों से भूखा हूं। इसलिए चलो आज उसी ब्राह्मण को खाकर मैं अपनी भूख मिटाऊंगा।

अच्छा ही हुआ कि हम दोनों के कार्य एक-से ही हैं, दोनों को जाना भी एक ही स्थान पर हैं।” इस प्रकार वे दोनों ही उस ब्राह्मण के घर जाकर एकान्त स्थान पर छिप गए। और अवसर की प्रतीक्षा करने लगे। जब ब्राह्मण सो गया तो उसको खाने के लिए उतावले राक्षस से चोर ने कहा, “आपका यह उतावलापन अच्छा नहीं है। मैं जब बछड़ों को चुराकर यहां से चला जाऊँ तब आप उस ब्राह्मण को खा लेना।”

राक्षस बोला, “बछड़ों के रम्भाने से यदि ब्राह्मण की नींद खुल गई तो मेरा यहां आना ही व्यर्थ हो जाएगा।” “और ब्राह्मण को खाते समय कोई विघ्न पड़ गया तो मैं बछड़ों को फिर किस प्रकार चुरा पाऊंगा। इसलिए पहले मेरा काम होना दीजिए।” इस प्रकार उन दोनों का विवाद बढ़ता ही गया था। कुछ समय बाद दोनों जोर-जोर से चिल्लाने लगे तो उससे ब्राह्मण की नींद खुल गई।

उसे जगा हुआ देखकर चोर उसके पास गया और उसने कहा, “ब्राह्मण! यह राक्षस तुम्हें खाना चाहता है।” यह सुनकर राक्षस उसके पास जाकर कहने लगा, “ब्राह्मण! यह चोर तुम्हारे बछड़ों को चुराकर ले जाना चाहता है।”

एक क्षण तक तो ब्राह्मण विचार करता रहा, फिर उठा और चारपाई से उतरकर उसने इष्ट देवता का स्मरण किया। उसने मंत्र-जप किया और उसके प्रभाव से उसने राक्षस को निष्क्रिय कर दिया। फिर उसने लाठी उठाई और उससे चोर को मारने के लिए दौड़ा तो वह भाग गया। इस प्रकार उसने अपने बछड़े भी बचा लिए।
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Old 25-09-2011, 08:40 AM   #62
sagar -
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अच्छी कहानिया हे
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Old 25-09-2011, 09:14 AM   #63
abhisays
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बहुत ही ज्ञान्पर्धक कहानी है.
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अब माई हिंदी फोरम, फेसबुक पर भी है. https://www.facebook.com/hindiforum
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Old 13-02-2012, 06:07 PM   #64
Sikandar_Khan
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कोयल , पंख और कीड़े



एक जंगल में एक कोयल अपने सुर में गा रही थी। तभी एक किसान वहाँ से एक बक्सा लेकर गुजरा जिसमें कीड़े भरे हुये थे। कोयल ने गाना छोड़ दिया और उसने किसान से पूछा - "इस बक्से में क्या है और तुम कहाँ जा रहे हो?'

किसान ने उत्तर दिया कि बक्से में कीड़े भरे हुये हैं जिन्हें वह पंख के बदले शहर में बेचने जा रहा है। यह सुनकर कोयल ने कहा - "मेरे पास बहुत से पंख हैं जिनमें से एक पंख तोड़कर मैं आपको दे सकती हूँ। इससे मेरा बहुत समय बच जाएगा और आपका भी।'

किसान ने कोयल को कुछ कीड़े निकालकर दिए जिसके बदले में कोयल ने अपना एक पंख तोड़कर दिया। अगले दिन भी यही हुआ। फिर ऐसा रोज ही होने लगा। एक दिन ऐसा भी आया जब कोयल के सभी पंख समाप्त हो गए।

सभी पंख समाप्त हो जाने के कारण कोयल उड़ने में असमर्थ हो गयी और कीड़े पकड़कर खाने लायक भी नहीं बची। वह बदसूरत दिखने लगी, उसने गाना बंद कर दिया और जल्द ही भूख से मर गयी।
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Old 19-02-2012, 07:59 AM   #65
Kunal Thakur
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बहुत ही सीख देने वाली कहानियां हैं जारी रखे हजूर
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