21-03-2012, 11:28 PM | #11 |
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Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
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21-03-2012, 11:31 PM | #12 |
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Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
लंदन। दुनिया अजीबोगरीब खबरों से भरी पड़ी है। ऐसी ही एक घटना में यहां की 76 साल की महिला के पेट से 25 साल बाद पेन का निकाला जाना किसी को भी हैरत में डाल सकता है। कुछ दिन पहले इस महिला के पेट में तेज दर्द उठा। असहनीय दशा में यह महिला डॉक्टर के पास पहुंची। चिकित्सकीय परीक्षण के दौरान जब महिला के पेट का सिटी स्कैन कराया गया तो मामला पकड़ में आया। डॉक्टर ने उस महिला को बताया कि उसके पेट में एक पेन पड़ा है जिसके चलते उसे दर्द हो रहा है। अब जाकर महिला को याद आया कि 25 साल पहले उसने गलती से एक पेन को निगल लिया था। बहरहाल डॉक्टरों ने ऑपरेशन द्वारा उस पेन को महिला के पेट से बाहर निकाला। इन सबके बीच सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि पेट से निकली यह कलम आज भी चालू हालात में है। जब डॉक्टरों ने इससे लिखकर दिखाया तो सभी आश्चर्यचकित रह गए।
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06-04-2012, 08:56 PM | #13 |
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Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
आपने लोगों को मैदानों और घर की छतों पर पतंगबाजी करते तो जरूर देखा होगा लेकिन पर्यटकों के लिए प्रसिद्ध बिहार के बोधगया में इन दिनों जापान से आए कलाकारों के दल ने अनोखे ढंग से पतंगबाजी की। इस दल ने खासतौर से भारतीय बच्चों के लिए पतंगें बनाई हैं और उन पर बच्चों के सपने लिखे हैं।
बौद्ध संप्रदाय के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक बोधगया में जापान से आए कलाकार एक साथ 100 पतंगें उड़ा रहे हैं जो एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इन पतंगों पर बच्चों के सपने लिखे हैं, जैसे 'मैं बड़ा होकर डॉक्टर बनूंगा'ं, 'इंजीनियर बनूंगा', 'क्रिकेटर बनूंगा'। इन बच्चों ने अपने मन में जो सपने संजोए हैं उन्हें इन पतंगों पर लिखा जा रहा है। यह पतंगबाजी न केवल बच्चों के लिए बल्कि अभिभावकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन गई है। जापान के कलाकार भारतीय बच्चों के साथ खास पतंगबाजी कर रहे हैं और खेल-खेल में बच्चों की मनोभावनाओं को पतंगों पर उकेर रहे हैं। जापानी दल का नेतृत्व कर रहे कजूनोरी हमांउ ने बताया कि वे अक्सर बोधगया आते हैं और भारतीय बच्चे उन्हें बहुत प्यारे लगते हैं। वह बच्चों से कहते हैं कि सपने जरूर देखने चाहिए, तभी आप उन्हें पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे और सफलता पाएंगे। वह कहते हैं कि इस तरह की पतंगबाजी न केवल बच्चों का मनोरंजन कर रही है, बल्कि बच्चों के बीच एकजुटता का संदेश भी दे रही है। बच्चों को खेल-खेल में ही यह बताया जा रहा है कि अकेली पतंग कभी-कभी टूट जाती है लेकिन एक-दूसरे से जुड़ी रहने पर गिरती नहीं हैं। उसी तरह हम लोगों का सपने भी टूट जाते हैं लेकिन एक-दूसरे के सहयोग से उन्हें साकार किया जा सकता है। हमांउ ने कहा, "इस पतंगबाजी से हम भारत और जापान के बीच मैत्री सम्बंध को और गहरा करना चाहते हैं।" |
06-04-2012, 08:57 PM | #14 |
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Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
मास्को ।। रूस के एक चिड़ियाघर में चिम्पांजी खुद ही अपने पिंजरे की सफाई करते हैं। इन चिम्पांजियों ने चिड़ियाघर कर्मचारियों को देख-देखकर उनसे झाड़ने-बुहारने की कला सीख ली है।
समाचार एजेंसी आरआईए नोवोस्ती के मुताबिक उडमुर्टिया चिड़ियाघर में एक जोड़ी चिम्पाजी यशा व जेसिका हर रोज झाड़ू, पोछा और कचड़ा भरने का थैला लेकर अपने दो मंजिला पिंजरे की सफाई करते हैं। सबसे पहले यशा ने झाड़ू का इस्तेमाल शुरू किया। उसने इसके लिए चिड़ियाघर कर्मचारी से झाड़ू ली। ये चिम्पांजी अपने पिंजरे में लगी शीशे की दीवारों की भी विशेष देखभाल करते हैं। वे उन्हें पोंछने से पहले उन पर थूकते हैं। दोनों चिम्पांजी सफाई का काम बांटकर करते हैं। जेसिका नीचे की मंजिल साफ करती है तो यशा ने ऊपर की मंजिल की सफाई की जिम्मेदारी संभाली है। अन्य प्रजाति के जानवरों ने भी इन चिम्पांजियों की नकल करने की कोशिश की लेकिन वे सफाई करने में असफल रहे। गिब्बॉन्स, मैंगाबेयस तथा डी ब्राजा प्रजाति के बंदरों ने भी झाड़ू व पोछे के लिए कपड़ा लिया लेकिन उन्होंने एक-दूसरे को मारने या दांतों से काटने के लिए इनका इस्तेमाल किया। |
06-04-2012, 08:58 PM | #15 |
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Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
लंदन ।। आपको यह जानकर झटका लग सकता है कि आपने अपनी जिन फोटोग्राफ्स को कल अपने फेसबुक एकाउंट से हटा दिया था वे अब भी इंटरनेट की दुनिया में उपलब्ध हैं। फोटोग्राफ्स को हटाने के बाद भी वे इंटरनेट की दुनिया से गायब नहीं होते बल्कि उन्हें कोई भी आसानी से देख सकता है।
समचार पत्र 'डेली मेल' के मुताबिक फेसबुक से सम्बद्ध कम्पनी ने स्वीकार किया है कि उसकी प्रणाली में तस्वीरें हमेशा एक उचित अवधि में नहीं हटाई जाती हैं। सामान्यतौर पर साइट को देखने पर आपको लगेगा की उससे आपकी फोटोग्राफ्स हट गई हैं लेकिन तस्वीरों के सीधे यूआरएल लिंक के जरिए इन्हें देखा जा सकता है। इसका मतलब है कि यदि उदाहरण के तौर पर ईमेल के जरिए कोई तस्वीर भेजी जाए तो वह इंटरनेट पर रहती है और उसे कोई भी देख सकता है। |
06-04-2012, 08:59 PM | #16 |
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Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
बीजिंग ।। अभी तक आपने केवल कोल्*ड ड्रिंक के बोतल से गुटका, मक्खी या फिर कॉकरोच निकलने की खबर सुनी होगी, लेकिन एक ऐसी खबर जिसे सुनकर आप भी दंग रह जायेंगे।खबर है की चीन में एक शख्*स दंग रहा गया जब उसे बच्*चों के लिये तैयार दूध के डब्*बे में से कंडोम मिला । यह दूध का डब्*बा उसने अपनी 14 माह की बच्*ची के लिये खरीदा था।
सूत्रों ने जानकारी देते हुए बताया है कि 28 वर्षीय ली जियामिंग ने कहा कि उसने खुद डब्बे में से कंडोम बरामद किया। ली ने कहा, 'मैं हैरान था। मैंने उसी पल अपनी बच्ची को दूध देना बंद कर दिया। शिकायत मिलने के बाद दूध की पैकिंग करने वाली कम्पनी का प्रतिनिधि ली के घर पहुंचा। वहीं, कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि निर्माण प्रक्रिया के दौरान दूध के डब्बे में कंडोम का पहुंचना संभंव नहीं। |
15-04-2012, 10:22 PM | #17 |
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Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
दो मछलियों के इस प्यार को देखने के लिए चीन के झूमाडियन एक्वेरियम में लोगों की भीड़ लगी हुई है। इन दोनों को जब भी एक एक्वेरियम में डाला जाता है वो एक-दूसरे को चूमना शुरु कर देते हैं।
कभी-कभी तो वो 30 मिनट तक ये एक-दूसरे को चूमते ही रहते हैं। हेनान प्रांत में इन मछलियों के प्यार की कहानी सुन लागों का हुजूम उमड़ पड़ा है। यहां तक कि नए शादी-शुदा जोड़े भी इनके दीदार के लिए यहां आ रहे हैं। एक्वेरियम के मालिक का कहना है कि ये दोनों पैरेट फिश अभी हाल ही में ताइवान से यहां लाए गए हैं और जब हमने इन दोनों को अलग-अलग रखने की कोशिश की तो इन्होने खाना खाने से इंकार कर दिया। तीन दिन हमें मजबूर हो दोनों को एक ही एक्वेरियम में डालना पड़ा। |
15-04-2012, 10:31 PM | #18 |
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Re: अजीबो गरीब खबरें जरा हट के
नई दिल्ली/रायपुर.अपने जमाने की सबसे लग्जरी क्रूज लाइनर टाइटेनिक पर भारत से भी एक महिला ने सवारी की थी। यह एक अमेरिकी मिशनरी महिला थीं। जो छत्तीसगढ़ के एक छोटे से शहर जांजगीर-चांपा में काम कर रही थीं।
एनी क्लेमर फंक नामक यह अमेरिकी मिशनरी 1906 में अमेरिका से यहां आई थी और इसे ही अपना घर बना लिया था। 1908 में उन्होंने एक छोटे से कमरे में स्कूल खोला। शुरुआत में 17 लड़कियों को पढ़ाया। 1960 तक उनका स्कूल चला, पर संसाधनों के अभाव में उसे बंद करना पड़ा। किस्मत ने दिया धोखा उनकी कहानी टाइटेनिक के अंत की तरह ही दुखद है। एनी अपने घर जाने के लिए छत्तीसगढ़ से मुंबई पहुंचीं और फिर समुद्र के रास्ते इंग्लैंड के साउथहैंपटन शहर। वहां से उन्हें अमेरिका के लिए ‘एसएस हेवरफॉर्ड’ नामक जहाज में जाना था। लेकिन कोयला श्रमिकों की हड़ताल के चलते उन्हें 13 पाउंड के बदले में टाइटेनिक का दूसरे दर्जे का टिकट दे दिया गया। उन्होंने यात्रियों के साथ अपना 38वां जन्मदिन भी टाइटेनिक पर मनाया था। नहीं भूलीं अपना धर्म दुर्घटना वाली 14 अप्रैल की रात को जब टाइटेनिक आइसबर्ग से टकराया तो एनी जहाज के डेक पर पहुंचीं, पर मानवता का अपना प्रण नहीं भूलीं। लाइफबोट में केवल एक ही सीट बची थी। जिसे उन्होंने एक अन्य महिला और उसके छोटे बच्चे को दे दिया। यूं दी गई श्रद्धांजलि टाइटेनिक डूबने के 100 साल बाद अमेरिका में उन्हें याद किया गया। उन पर ‘रिमेम्बरिंग एनी फंक’ डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है। इसकी स्क्रीनिंग पेन्सिलवेनिया में होगी। वेबसाइट Ancestry.co.uk में उनका नाम मारे गए 1500 लोगों में शामिल है। |
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