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#81 |
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![]() क्योंकि जिद की जंग में अक्सर दूरियां जीत जाती हैं. |
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#82 |
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जीवन का मंत्र :
लगातार हो रही असफलताओं से निराश नहीं होना चाहिए ............. कभी कभी गुच्छे की आखरी चाबी ताला खोल देती है........................ .....सदा सकारात्मक रहें -------अज्ञात |
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#83 |
Member
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स्वेता जी बहुत ही अछे वचन है....
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#84 |
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मानव के लिए झूठ , छल और मक्कारी अत्यंत सहज है , क्योँकि ईश्वर ने मानव को अपना प्रतिरुप बनाया ।
और ईश्वर हमारे ज्ञान मेँ सबसे बडा झूठ , छलिया , और मक्कार है । मानव की प्रत्येक प्रेरणा किसी भौतिक जरुरत से उतपन्न होती है , इसके बाद भी हम इस बात पर अखण्ड विश्वास करतेँ हैँ कि कोई अलौकिक शक्ति है !
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ये दिल तो किसी और ही देश का परिंदा है दोस्तों ...सीने में रहता है , मगर बस में नहीं ...
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#85 |
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प्रतिष्ठा vs चरित्र
प्रतिष्ठा वह है, जो आपको समझा जाता है और चरित्र वह है जो आप हो. प्रतिष्ठा इन्सान के बाहर से आती है और चरित्र भीतर से विकसित होता है. आपकी प्रतिष्ठा एक घंटे में जानी जा सकती है और चरित्र एक साल तक रोशनी में नहीं आता. प्रतिष्ठा आपको अमीर या गरीब बनाती है और चरित्र आपको सुखी या दुखी बनाता है. यदि व्यक्ति अपने चरित्र का ध्यान रखेगा तो प्रतिष्ठा अपना ध्यान खुद रख लेगी. ---------------- युग निर्माण योजना, हरिद्वार |
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#86 |
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उत्तम शिष्टाचार अच्छे मन का आभूषण है, कोई भी बिना इस आभूषण के सचमुच महान नहीं हो सकता.
---------------- युग निर्माण योजना, हरिद्वार |
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#87 |
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धर्म की क्षति जिस अनुपात से होती है, उसी अनुपात से आडम्बर की वृध्दि होती है.
---------------- युग निर्माण योजना, हरिद्वार |
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#88 |
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इच्छा को जीत कर शांति लाभ प्राप्त करना, सब जीवों पर दया करना यही सब धर्मों का मूल है.
---------------- युग निर्माण योजना, हरिद्वार |
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#89 |
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केवल विचारों में बहने वाले व्यक्ति जीवन में सफल नहीं होते.
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#90 |
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अशिक्षा का कारण साधनहीनता नहीं, उपेक्षा है.
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