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#1 |
Senior Member
![]() ![]() Join Date: Nov 2010
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![]() ज़िंदा है शाहजाहाँ की चाहत अब तक, गवाह है मुमताज़ की उल्फत अब तक ! जाकर देखो इक बार ताज को दोस्तों, पत्थर पत्थर से टपकती है मुहब्बत अब तक !!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
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#2 |
Diligent Member
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Oct 2010
Location: जयपुर (राजस्थान)
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गुड वर्क अनुज प्रेत
लेकिन इसमें जल्दी जल्दी कुछ प्रविष्टियाँ कीजिये ताकि मजे का मीटर तेज चलने लगे |
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#3 |
Special Member
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Oct 2010
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अच्छा सूत्र है कल्याण जी. कृपया इसी तरह कार्य करते रहे. बहुत सुन्दर पंक्तियाँ और चित्र. मेरे विचार से खाली चित्र देने के स्थान पर आपने जो दो पंक्तियाँ लिख दीं उसने इनका प्रभाव दस गुना कर दिया.
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#4 |
Banned
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
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भूत भाई,
बहुत देर कर दी मेहरबान आते-आते....... अब आ ही गए है, तो दिखाईए अपना जलवा.... |
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#6 |
Exclusive Member
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Oct 2010
Location: ययावर
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सब अपनी बीवी को चाहें, सूरत से और शिद्दत से
![]() नारि परायी पर जा अटकें, मर्द बेशरम इस आदत से // ![]() ![]() अब ऐसे इंसा लाखों हैं, जो हर साल बना दें ताजमहल / ![]() 'जय' वैसे अब ना शाहजहाँ, ना वैसी अब मुमताजमहल // ![]()
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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#7 |
Special Member
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इश्क ने यहाँ कितनों को कोई और मुकद्दर दिया
दिल को तन्हाई तो आँखों को समंदर दिया इबादत-ए-इश्क में जिसे पूजते रहे खुदा मान कर उस कातिल को इस इश्क ने ही तो खंजर दिया
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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#8 | |
Banned
![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() Join Date: Nov 2010
Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
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![]() Quote:
ताजमहल की इमारत हर आशिक को मुहब्बत की मिशाल नजर आती है। मै किस-किस के लिए ताज बनवाउ, मुझे तो हर लड़की मुमताज़ नज़र आती है। ![]() प्यार तो हमें भी करना था, पर कुछ खास नहीं हुआ। ताजमहल तो हमे भी बनाना था, पर अफसोस.......... लोन पास ही नहीं हुआ। ![]() |
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#9 |
Senior Member
![]() ![]() Join Date: Nov 2010
Posts: 257
Rep Power: 19 ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
![]() न जाने क्यूँ गले से लिपट कर रोने लगा, जब हम बरसों बाद मिले, जाते हुए जिसने ने कहा था .... की "तुम जैसे लाखों मिलेंगे"…!!!
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"खैरात में मिली हुई ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती,
मैं अपने दुखों में भी रहता हूँ नवाबों की तरह !!" |
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#10 |
VIP Member
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भूत भाई बहुत कम ही फोरम पे आ रहे हो. क्या समय की कोई पाबन्दी है या कुछ और बात !
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हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें! |
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