09-10-2012, 11:02 PM | #1 |
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हाँसी की रुत मैं आंसू मैं अनजान बो बैठ्या ,
ठ्ग्या गया तेरे प्यार मैं.... दुनिया मैं बदनाम हो बैठ्या ! मन्नै के बेरा ( पता ) था मेरी किस्मत नै ..मेरी गैल ( साथ )मजाक करया था , मन्नै तै अपणा सारा जीवन ..उसके नाम करया था .. नींद आंख्याँ की खो दी .....आर दिल का चैन खो बैठ्या ! जै तन्नै मेरी गेल्याँ नहीं ...निभाना था . पकड़ के राह मेरी फेर .. ना मेरी गेल्याँ आना था .. तेरी एक मुस्कान की खातिर..मैं दरदां का गुलाम हो बैठ्या ! जै मेरे बिन तूँ सार लेव़ेगी ( काम चलेगी ).. तो बिन तेरे के मर ज्युँगा. दिल अपने की बात फेर मैं ...दिल अपने तै कर ज्युँगा .( कह जाऊंगा ) इन आँख्या के आंसू तै मैं आज..दाग जिगर के धो बैठ्या ! इस प्यार की कीमत का तेरे तै.. ना अंदाजा लाया जागा . तन्नै बेरा जद पाटेगा (जब लगेगा ) ..जद मेरा जनाजा ठाया ( उठाया )जागा .. ''' नामदेव '''सा हीरा आज तेरे ऊपर.. मुफ्त मैं नीलाम हो बैठ्या ! sombirnaamdev@gmail .com लेखक :- सोमबीर सिंह सरोया मोब नो. 93210883377 |
10-10-2012, 03:31 AM | #2 |
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Re: हाँसी की रुत मैं आंसू मैं अनजान बो बैठ्या ,
बहुत अच्छे सोमवीरजी !
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दूसरों से ऐसा व्यवहार कतई मत करो, जैसा तुम स्वयं से किया जाना पसंद नहीं करोगे ! - प्रभु यीशु |
10-10-2012, 08:42 AM | #3 |
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Re: हाँसी की रुत मैं आंसू मैं अनजान बो बैठ्या ,
बेहतरीन प्रयास है।
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10-10-2012, 08:46 AM | #4 |
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Re: हाँसी की रुत मैं आंसू मैं अनजान बो बैठ्या ,
सोम 22 जी,
आपका हरियाणवी शब्दों को हिन्दी में पेश करने का अंदाज तो मन को भा गया। कमाल का लेख्या है वीर जी… |
11-10-2012, 07:57 PM | #5 |
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Re: हाँसी की रुत मैं आंसू मैं अनजान बो बैठ्या ,
जो कुछ भी लिख रहा हूँ सब आप जैसे सज्जन पुरुषो के प्रोत्साहन की वजह से ही लिख पा रहा हूँ
Last edited by sombirnaamdev; 11-10-2012 at 08:20 PM. |
11-10-2012, 08:13 PM | #6 |
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Re: हाँसी की रुत मैं आंसू मैं अनजान बो बैठ्या ,
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11-10-2012, 08:15 PM | #7 |
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Re: हाँसी की रुत मैं आंसू मैं अनजान बो बैठ्या ,
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11-10-2012, 08:17 PM | #8 |
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Re: हाँसी की रुत मैं आंसू मैं अनजान बो बैठ्या ,
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