06-09-2012, 12:05 AM | #1 |
Diligent Member
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छोड़ के तेरे शहर की महफ़िलों को ...
छोड़ के तेरे शहर की महफ़िलों को जंगल से नाता जोड़ लिया !! जाने के बाद तू मुझको जितना याद करेगा! दिल भी तुम्हारा रोयेगा फ़रियाद करेगा !! तनहाइयों में अक्सर तलासेगा मुझको तू ! तू कभी दुनिया में कभी खुद में तलाशेगा मुझको तू !! भूल थी मेरी के तुम संग प्रीत लगा बैठे ! प्यार की चाहत में हम खा कर दगा बैठे !! जिन्दगी जीने की चाहत में दिल में जगा बैठे ! तुम से मिल कर जान अपनी मौत के हाथो ठगा बैठे !! देकर प्यार विरासत में मैं टी आज चला जाऊंगा ! एक बेवफा के हाथों कदम कदम पर छला जाऊंगा !! निगला है आज ''' नामदेव ''' तनहाइयों ने मुझे ! बेकरार किया है महबूब के दर पे बजने वाली शहनाइयों ने मुझे सोमबीर नामदेव गाँव ...डाया जिला ...हिस्सार हरियाणा मोब नम्बर .9321083377 |
14-09-2012, 11:54 PM | #2 |
Diligent Member
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Re: छोड़ के तेरे शहर की महफ़िलों को जंगल से नाता
धन्यवाद डॉ साहब कविता पढ़ने और विचार प्रकट करने के लिए आपका बहूत बहूत धन्यावाद
सोमबीर नामदेव |
28-10-2012, 05:19 PM | #3 |
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Re: छोड़ के तेरे शहर की महफ़िलों को ...
सोमबीर जी, बहुत सुन्दर. नए विचार, नया अन्दाज़. बधाई एवं शुभकामनाएं.
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29-10-2012, 09:47 PM | #4 | |
Diligent Member
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Re: छोड़ के तेरे शहर की महफ़िलों को ...
Quote:
rajnish bahoot bahoot dhanya kavita padhane vichar dne ke liye agr aap haryanvi shokin hai mere is sutra par aaiye http://myhindiforum.com/showthread.php?t=4974 |
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