11-11-2012, 07:54 AM | #21 |
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Re: प्रतियोगी - विपिन बिहारी मिश्र
अमरेश से सारी बातें सुनकर विघ्नराज ने कहा, ''क्यों नहीं ले आया तीन लाख का चैक? बेकार में शेखी बघार आए।'' 'तेरी मुर्खामी कब जाएगी, पता नहीं। यदि मैं चैक ले लेता तो कौल साहब को हमारे ऊपर शक नहीं होता?' अमरेश ने विघ्नराज को समझाया। ''तो फिर इतने रुपए कहाँ से आएँगे?'' ''बैंक में ढ़ाई लाख रुपए हैं। बाकी पैसे तेरे भाडे के बाप से सैकड़े पचास रुपए की दर से सूद पर ले आएँगे।' |
11-11-2012, 07:54 AM | #22 |
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Re: प्रतियोगी - विपिन बिहारी मिश्र
निर्बन्ध के दिन बहू को हीरे का एक बेशकीमती सेट दिया गया। तय किया गया कि विवाह दिल्ली में सम्पन्न होगा। कौल साहब ने जिद्द की बारात प्लेन से ही जाएगी। जितने लोग जाएँगे लिस्ट दे दें। तीन-चार दिन में प्लेन टिकट होटल में आकर ही दे जाएंगे।
तीन-चार दिन बीत गए। कोई ख़बर नहीं आई। कौल साहब कहाँ गए क्या पता? 'हो सकता है दोनों भाई-बहन दार्जिलिंग घूमने चले गए हों।' विघ्नराज ने कहा। 'हाँ, हो सकता है। किन्तु ख़बर तो देनी चाहिए।' अमरेश बोला। कई दिन बीत गए, किन्तु कोई-खबर नहीं मिली। दार्जिलिंग जाकर भी कुछ पता नहीं चला। उन लोगों ने दिल्ली का जो पता दिया था, उस जगह पहुँचने पर मालूम हुआ कि ऐसा कोई आदमी वहाँ कभी नहीं रहता था। |
11-11-2012, 07:55 AM | #23 |
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Re: प्रतियोगी - विपिन बिहारी मिश्र
''हम लोगों ने कहीं गलत पता तो नहीं लिख लिया है?'' अमरेश ने अपनी शंका व्यक्त की।
''हो सकता है। चलो कलकत्ता चलकर देखते हैं। वहीं दोनों का पता लगेगा।' विघ्नराज ने सुझाव दिया। कलकत्ता लौट कर उन्होंने देखा कि डेरे पर एक लिफाफा आया हुआ था। कौल साहब और सुनीता ने दोनों के नाम से चिठ्ठी लिखी थी। ''लाओ लाओ मुझे देखने दो।'' इतना कहते हुए अमरेश ने विघ्नराज के हाथ से चिठ्ठी छीनकर कहा, ''देखें, क्या लिखा है।'' विघ्नराज का चेहरा उतर गया। वह एकटक अमरेश की ओर देखता रहा। चिठ्ठी में केवल एक पंक्ति टाइप की गई थी, ''बंधुगण, इस व्यवसाय में हमलोग तुम लोगों से सीनियर हैं।'' The End!!!!
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