My Hindi Forum

Go Back   My Hindi Forum > New India > Religious Forum
Home Rules Facebook Register FAQ Community

Reply
 
Thread Tools Display Modes
Old 30-11-2012, 12:32 PM   #421
ravi sharma
Special Member
 
ravi sharma's Avatar
 
Join Date: Jan 2011
Location: सागर (M.P)
Posts: 3,627
Rep Power: 33
ravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant future
Send a message via MSN to ravi sharma Send a message via Yahoo to ravi sharma
Default Re: श्री योगवाशिष्ठ (3)

लीला इस प्रकार मन्त्री, टहलुये, पण्डित और बालकों को भर्ता बिना देखे बड़े आश्चर्य को प्राप्त हुई कि एक आदर्श को अन्तर बाहर दोनों और देखती है । इस प्रकार देखके हृदय की वार्त्ता किसी को न बताई और भीतर आकर कहने लगी कि बड़ा आश्चर्य है, ईश्वर की माया जानी नहीं जाती कि यह क्या है । इस प्रकार आश्चर्यमान होकर उसने सरस्वतीजी की आराधना की और सरस्वती कुमारी कन्या का रूप धरके आन प्राप्त हुई ।
__________________
बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
ravi sharma is offline   Reply With Quote
Old 30-11-2012, 12:33 PM   #422
ravi sharma
Special Member
 
ravi sharma's Avatar
 
Join Date: Jan 2011
Location: सागर (M.P)
Posts: 3,627
Rep Power: 33
ravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant future
Send a message via MSN to ravi sharma Send a message via Yahoo to ravi sharma
Default Re: श्री योगवाशिष्ठ (3)

तब लीला ने कहा, हे भगवती! मैं बारम्बार पूछती हूँ तुम उद्वेगवान् न होना, बड़ों का यह स्वभाव होता है कि जो शिष्य बारम्बार पूछे तो भी खेदवान नहीं होते । अब मैं पूछती हूँ कि यह जगत् क्या है और वह जगत् क्या है? दोनों में कृत्रिम कौन है और अकृत्रिम कौन है? देवी बोली, हे लीले! तूने पूछा कि कृत्रिम कौन है और अकृत्रिम कौन है सो मैं पीछे तुझसे कहूँगी । लीला बोली, हे देवि! जहाँ तुम हम बैठे हैं वह अकृत्रिम है और वह जो मेरे भर्त्ता का स्वर्ग है सो कृत्रिम है, क्योंकि सूर्यस्थान में वह सृष्टि हुई है ।
__________________
बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
ravi sharma is offline   Reply With Quote
Old 30-11-2012, 12:33 PM   #423
ravi sharma
Special Member
 
ravi sharma's Avatar
 
Join Date: Jan 2011
Location: सागर (M.P)
Posts: 3,627
Rep Power: 33
ravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant future
Send a message via MSN to ravi sharma Send a message via Yahoo to ravi sharma
Default Re: श्री योगवाशिष्ठ (3)

देवी बोली, हे लीले! जैसा कारण होता है वैसा ही कार्य होता है । जो कारण सत् होता है तो कार्य भी सत् होता है और सत् से असत् नहीं होता और असत् से सत् भी नहीं होता और न कारण से अन्य कार्य होता है । इससे जैसे यह जगत् है वैसा ही वह जगत् भी है । इतना सुन फिर लीला ने पूछा, हे देवि! कारण से अन्य कार्यसत्ता होती है, क्योंकि मृत्तिका जल के उठाने में समर्थ नहीं और जब मृत्तिका का घट बनता है तब जल को उठाता है तो कारण से अन्य कार्य की भी सत्ता हुई । देवी बोली, हे लीले! कारण से अन्य कार्य की सत्ता तब होती है जब सहायकारी भिन्न होता है ।
__________________
बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
ravi sharma is offline   Reply With Quote
Old 30-11-2012, 12:33 PM   #424
ravi sharma
Special Member
 
ravi sharma's Avatar
 
Join Date: Jan 2011
Location: सागर (M.P)
Posts: 3,627
Rep Power: 33
ravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant future
Send a message via MSN to ravi sharma Send a message via Yahoo to ravi sharma
Default Re: श्री योगवाशिष्ठ (3)

जहाँ सहायकारी नहीं होता वहाँ कारण से अन्य कार्य की सत्ता नहीं होती । तेरे भर्ता की सृष्टि भी कारण बिना भासी है । उसका जीवपुर्यष्टक आकाशरूप था, वहाँ न कोई समवायकारण था, और न निमित्त कारण था इससे उसको कृत्रिम कैसे कहिये? जो किसी का किया हो तो कृत्रिम हो पर वह तो आकाशरूप पृथ्वी आदिक तत्त्वों से रहित है । जो समवाय कारण ही न हो तो उसका निमित्तकारण कैसे हो । इससे तेरे भर्त्ता का सर्ग अकारण है ।
__________________
बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
ravi sharma is offline   Reply With Quote
Old 30-11-2012, 01:08 PM   #425
ravi sharma
Special Member
 
ravi sharma's Avatar
 
Join Date: Jan 2011
Location: सागर (M.P)
Posts: 3,627
Rep Power: 33
ravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant futureravi sharma has a brilliant future
Send a message via MSN to ravi sharma Send a message via Yahoo to ravi sharma
Default Re: श्री योगवाशिष्ठ (3)

लीला ने पूछा हे देवि! उस सर्ग की जो संस्काररूप स्मृति है सो कारण क्यों न हो? देवी बोली, हे लीले! स्मृति तो कोई वस्तु नहीं है । स्मृति आकाश रूप है । स्मृति संकल्प का नाम है सो वह भी संकल्प आकाशरूप है और कोई वस्तु नहीं वह मनोराजरूप है इससे उसकी सत्ता भी कुछ नहीं है केवल आभासरूप है । लीला बोली, हे महेश्वरि! यदि वह संकल्प मात्र आकाशरूप है तो जहाँ हम तुम बैठे हैं वह भी वही है तो दोनों तुल्य हैं ।
__________________
बेहतर सोच ही सफलता की बुनियाद होती है। सही सोच ही इंसान के काम व व्यवहार को भी नियत करती है।
ravi sharma is offline   Reply With Quote
Reply

Bookmarks


Posting Rules
You may not post new threads
You may not post replies
You may not post attachments
You may not edit your posts

BB code is On
Smilies are On
[IMG] code is On
HTML code is Off



All times are GMT +5. The time now is 03:34 AM.


Powered by: vBulletin
Copyright ©2000 - 2024, Jelsoft Enterprises Ltd.
MyHindiForum.com is not responsible for the views and opinion of the posters. The posters and only posters shall be liable for any copyright infringement.