19-11-2010, 11:21 AM | #11 |
Special Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 3,570
Rep Power: 43 |
Re: भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय
* स्वर्गीय दादा साहब फालके को भारतीय सिनेमा का जनक होने और पूरी लंबाई के कथाचित्र बनाने का गौरव हासिल है |
19-11-2010, 11:28 AM | #12 |
Exclusive Member
Join Date: Oct 2010
Location: Bihar
Posts: 6,261
Rep Power: 35 |
Re: भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय
चेन्नई। भारत की पहली बोलती फिल्म आलम आरा हमेशा के लिए खामोश हो गई। देश में कहीं भी अब इस फिल्म के प्रिंट नहीं बचे हैं। सूचना और प्रसारण मंत्रालय के एक अधिकारी ने यह सनसनीखेज खुलासा किया है।
चेन्नई में क्षेत्रीय सिनेमा पर आयोजित एक सेमिनार में सूचना व प्रसारण मंत्रालय के संयुक्त सचिव वी.बी. प्यारेलाल ने कहा कि 1931 में बनी आलम आरा के प्रिंट नष्ट हो चुके हैं। आलम आरा के प्रिंट राष्ट्रीय अभिलेखागार सहित कहीं भी मौजूद नहीं हैं। राष्ट्रीय अभिलेखागार में अब केवल इस फिल्म से जुड़े फोटोग्राफ और कुछ मीडिया चित्र ही मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम फिल्मों से जुड़ी चीजों का संग्रह कर रहे हैं। मैं फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी बनाई फिल्म की एक प्रति हमें जरूर भेजें, जिसे हम आने वाली पीढि़यों के लिए संरक्षित कर सकें। 1931 में रिलीज हुई आलम आरा अर्देशर ईरानी के निर्देशन में बनी भारत की पहली बोलती फिल्म थी। राजकुमार और बंजारिन की प्रेम कहानी पर आधारित यह फिल्म एक पारसी नाटक से प्रेरित थी। फिल्म में मुख्य भूमिका मास्टर विट्ठल और जुबैदा ने निभाई थी। पृथ्वीराज कपूर ने भी इस फिल्म में अभिनय किया था। |
20-11-2010, 06:17 AM | #13 |
Special Member
|
Re: भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय
*आलम आरा के निर्माता ए. ईरानी ने ही हिंदी की पहली रंगीन फिल्म भी बनाई "किसान कन्या"
*गुरुदत्त की "कागज के फूल" भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म थी
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
21-11-2010, 12:22 PM | #14 |
Special Member
|
Re: भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय
स्वर्ण युग
१९४० से १९६० के दशक को भारतीय सिनेमा के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है यही वो समय था जब हमारे सिनेमा का उत्थान शुरू हुआ बहुत सारी ऐसी फ़िल्में बनी जिन्हें विश्व स्तर पर सराहा गया इस दौड़ के प्रसिद्द फ़िल्मकार थे गुरुदत्त, राज कपूर, विमल रॉय, व्ही शांताराम, महबूब खान और के. आसिफ प्रमुख अभिनेता थे दिलीप कुमार, देव आनंद, राज कपूर, अशोक कुमार(दादामुनि) और गुरुदत्त प्रमुख अभिनेत्री थी नर्गिस, मीना कुमारी, नूतन, मधुबाला, वहीदा रहमान और माला सिन्हा
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
21-11-2010, 12:27 PM | #15 |
VIP Member
Join Date: Oct 2010
Posts: 9,746
Rep Power: 49 |
Re: भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय
सूत्र में बहुत ही ज्ञान वर्धक जानकारियां है, निशांत जी इसके लिए "थैंक्स " आपके नाम , और निवेदन की इसे समय समय पर उचित गति प्रदान करते रहें !
__________________
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें! |
21-11-2010, 12:29 PM | #16 | |
Special Member
|
Re: भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय
Quote:
मेरी तरफ से पूरी कोशिश रहेगी
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
|
21-11-2010, 06:57 PM | #17 | |
Diligent Member
Join Date: Nov 2010
Location: बिहार
Posts: 760
Rep Power: 18 |
Re: भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय
Quote:
जहाँ तक मैंने सुना है.उस अनुसार १९४० से १९४१ के मध्य राष्ट्रीय अभिलेखागार में आग लग जाने के कारण इस समय की सभी फिल्मे पहले ही नष्ट हो चुकी.बाद में कुछ फिल्मों का संग्रह किया गया था.लेकिन अधिकांश फिल्मे जागरूकता के कमी के कारण उसी समय हो गयी है.उस पर से अधिकारीयों का ये कहना की जो प्रिंट बची वो भी नहीं संभल सके ये बड़े अफ़सोस की बात है.वैसे भी जो वास्तु हमारे पास नहीं होती उसी की कदर हमें महसूस होती है.thanks to internet की पूरे फिल्मे अब गायब नहीं होगी.क्योंकि बहुत सारे फिल्म प्रेमी अब internet पर फिल्मों का संग्रह कर रहे हैं. |
|
26-11-2010, 06:58 AM | #18 | |
Special Member
|
Re: भारतीय सिनेमा : एक संक्षिप्त परिचय
Quote:
इस दौड़ में कई बेहतरीन फिल्म आई जो आज तक लोगों को लुभाती है और जिन्हें फिल्म मेकिंग का माइलस्टोन माना जाता है व्ही शांताराम की "दो आँखें बारह हाथ" राज कपूर की "आवारा और श्री 420" गुरुदत्त की "प्यासा, कागज के फूल और साहिब बीवी और गुलाम" महबूब खान की "मदर इंडिया" जिसे की एकेडमी अवार्ड(ओस्कर) में Best Foreign Language फिल्म इंट्री मिली बिमल रॉय की "दो बीघा जमीन और मधुमती" के आसिफ की "मुग़ल ए आजम" इन फिल्मों में बहुत से सामाजिक मुद्दों को भी दर्शाया गया उदाहरन के लिए राज साहब की "आवारा" शहर का सपना जितना खूबसूरत था उतना ही भयावह
__________________
घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
|
Bookmarks |
Tags |
bollywood, bollywood history, history, indian cinema |
|
|