03-01-2013, 01:30 PM | #1 |
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कैसे सुधरे पुलिस ?
यह एक दुखद बात है की हमारी पुलिस जो की कानून और व्यवस्था को बनाए रखने के लिए है उसका ढांचा एवं कार्यप्रणाली अंग्रेजों के समय में तय हो गई थी और आज भी जिसमें ज्यादा फर्क नहीं आया है। पुलिस को कानून और व्यवस्था बनाए रखनी है लेकिन न तो उसकी जवाबदेही देश की जनता के प्रति है और न ही उसका व्यवहार ऐसा है की लोग पुलिस के पास जाना और अपनी शिकायत करना सुलभ और सहज समझते हों।
लोग पुलिस के पास जाने से कतराते हैं। जो जुड़ाव पुलिस और लोगों के बीच में होना चाहिए वह जुड़ाव कहीं है ही नहीं। लोगों के मन में पुलिस की जो छवि है वह एक ऐसी संस्था की है, जो शोषण करती है। यही कारण है की लोग पुलिस के पास जाने से कतराते हैं। शायद यह बात लोगों के मन में कहीं बैठ गई है की अगर वे पुलिस के पास जायेंगे तो एक तो पुलिस उनकी बात सुनेगी ही नहीं और कहीं न कहीं उनके मन में ये डर भी बैठा हुआ है की कहीं पुलिस उन्हें ही न ज़िम्मेदार ठहराने लगे। लोग किसी अपराध के मामले से खुद को दूर रखना ही पसंद करने लगे हैं, इसीलिए यदि वे किसी बलात्कार पीड़ित को सड़क पर निर्वस्त्र पड़ा हुआ देखते हैं तो उसे अपनी कमीज़ से ढक देने में भी डरते हैं की कहीं पुलिस उन्हें ही अपराधी न घोषित कर दे। किसी सड़क दुर्घटना में पीड़ित को सड़क पर पड़ा हुआ देख, उसे अपनी गाडी में ले जा कर अस्पताल में भारती करवा देने से डरते हैं की कहीं उन्हें ही न दोषी करार दे दिया जाए, दोषी न भी करार दिया जाये तो आगे होने वाली असुविधा से खुद को बचाने के लिए वे खुद को उस मामले से अलग रखने में ही अपनी भलाई समझने लगे हैं। आज के समय में जहां घर और नौकरी के जिम्मेदारियों के बीच अपने लिए समय निकालना कठिन है। वहाँ लोग किसी की इस प्रकार मदद करने से कतराने लगे हैं। उन्हें पता नहीं की किसी सड़क दुर्घटना में पीड़ित को अस्पताल पहुचाने के बाद उन्हें कब कब, और कहाँ कहाँ अपनी हाजरी भरनी पड़ेगी। जिस इंसान के पास अपने बीवी बच्चों के लिए पर्याप्त समय न हो वह ऐसी जिम्मेदारियों से कतराने लगा है। इसमें उसकी कितनी गलती है कहा नहीं जा सकता। लेकिन इस हालत की ज़िम्मेदार पुलिस की कार्यप्रणाली और व्यवस्था तो बिलकुल है। कैसे बदले ये कार्यप्रणाली ? कैसे लोग जुड़ पायेंगे पुलिस से ? यदि पुलिस और लोगों के बीच में आपसी तालमेल हो तो अपराध तो वैसे ही कम हो जायेंगे। लोग अक्सर शिकायत करते हैं की पुलिस उनकी सुनती नहीं है। उनकी FIR नहीं दर्ज करती। क्यूँ नहीं करती ? हमारे यहाँ एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें पुलिस के कार्य की समीक्षा आंकड़ो पर आधारित है। कितने केस रजिस्टर हुए? उनमें से कितने केस हल हुए? कितने समय में हल हुए? ऐसे आंकड़े ही बताते हैं की पुलिस अच्छा काम कर रही है या नहीं। लेकिन ये आंकड़े आते कहाँ से हैं? पुलिस की अपनी फाइलों से। खुद ही पुलिस केस रजिस्टर करे, खुद ही करे तहकीकात। तो पुलिस ऐसे केस रजिस्टर ही क्यूँ करे जिनकी तहकीकात करने में उसे परेशानी हो? स्टाफ की कमी भी इसकी एक वजह हो सकती है। पुलिस के पास स्टाफ की कमी हो तो उसकी कोशिश हो सकती है की वह उतने ही केस रजिस्टर करे जितने केस वह अपने मौजूदा स्टाफ के द्वारा निपटा सके। इससे एक ऐसे चक्रव्यूह की रचना होती है जिससे बाहर निकलना पुलिस के लिए भी उतना ही मुश्किल है जितना की जनता का उस चक्रव्यूह को तोडना। यदि पुलिस की फाइलों में केस कम हैं तो उसे स्टाफ की कमी क्यूँ है? यदि स्टाफ की कमी है तो पुलिस के पास ऐसे केस होने चाहिए जो वह स्टाफ की कमी के चलते निपटा नहीं पा रही? यदि किसी पुलिस अधिकारी के पास अनसुलझे केस हैं तो उसकी गलती हो जाती है की वह ठीक से अपना काम नहीं कर रहा। इस चक्रव्यूह से कैसे निकले पुलिस? लोगों की FIR रजिस्टर न करने से कागज़ पर भले ही सब ठीक हो, लेकिन असलियत में तो ऐसा है नहीं ना। हम एक ऐसी ही व्यवस्था में फँस गए हैं जहां सरकारी संस्थाओं में कागज़ पर सब ठीक होने का प्रचलन हो गया है। लेकिन असलियत कुछ और ही है। इसलिए पुलिस, प्रशासन और सरकारें लोगों को संतुष्ट नहीं कर पा रही। वे बस कागजों और उनपर मौजूद आंकड़ों में ही उलझी रह गई हैं, जहां सब कुछ ठीक है। TO BE CONTINUED..... |
03-01-2013, 05:40 PM | #2 |
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Re: कैसे सुधरे पुलिस ?
आप भले ही सहमत न हो पर कुछ सुझाव है मेरे पुलिस बेहतर तरीके से काम कर सके :-
- पुलिस पर राजनैतिक दवाव ख़त्म हो |{क्या संभव है ?} -ट्रांसफर प्रमोसन पोस्टिंग आदि में पारदर्शिता होनी चाहिए |{क्या संभव है ?} - पुलिश को समाज के प्रति जबाबदेह बहाया जाना चाहिए | - पुलिस को समाज सहयोग करे | -रोज रोज के प्रदर्शन और धरने प्रतिबंधित होना चाहिए | { पुलिस इनमे लगी रहती है अपराधी को मौका मिलाता है | - जनसंख्या के मानसे पुलिश बल होना चाहिए | - पुलिश की ट्रेनिग मेंऔर ज्यादा मनोवैगानिक तरीके अपनाए जाना चाहिए |
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
04-01-2013, 03:22 PM | #3 |
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Re: कैसे सुधरे पुलिस ?
बहुत ही बढ़िया, आगे का भी पोस्ट करिए
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