15-01-2013, 06:33 PM | #1 |
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नास्त्रेदमस की हैरान करने वाली 11 भविष्यवा
हालांकि विख्यात भविष्यवक्ता नास्त्रेदमस की कई भविष्यवाणियां सहीं हुई हैं। ठीक इसी तरह एक गुजराती संत थे, जिनकी भविष्यवाणियां अब पूरी तरह से सच में परिवर्तित होती जा रही हैं। आज हम इसी गुजराती नास्त्रेदमस के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। ये संत थे वडोदरा शहर के गोठडा गांव में रहने वाले धीरा भगत। धीरा ने अपने जीवनकाल में अनेकों भजन लिखे। उनकी कई रचनाओं में एक रहस्यमय रचना ‘कलियुग ऐंधाणी’ भी है।
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15-01-2013, 06:34 PM | #2 |
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Re: नास्त्रेदमस की हैरान करने वाली 11 भविष्यवा
धीरा ने अपने इस भजन काव्य में भविष्य के बारे में जो-जो लिखा, वह अब सच हो रहा है। धीरा भगत की सभी रचनाएं गुजराती भाषा में हैं। धीरा भगत के नाम का उल्लेख मध्यकालीन संवत 1808 यानी की ई.स. 1753 काल के ‘गुजराती सहित्यनो इतिहास’ में मिलता है। उनका पूरा नाम था धीरा प्रताप बारोट। उन्होंने अनेक वेद-वेदांतों का अध्ययन किया और पद रचे। इनमें ‘रणयज्ञ’, ‘द्रौपदी वस्त्राहरण’, ‘मायानो महिमा’, ‘अवलवाणी’ आदि हैं। आइए जानते हैं क्या-क्या लिखा था धीरा भगत ने अपने भजनों में...
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15-01-2013, 06:35 PM | #3 |
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Re: नास्त्रेदमस की हैरान करने वाली 11 भविष्यवा
ऐवी कलयुगनी छे आ ऐंधाणी रे
कलयुगनी ऐंधाणी रे.. न जोई होय तो, जोई ल्यो भाईयो.. वरसो वरस दुकाल पडे.. अने वली साधु करशे सूरापान आ ब्राह्मण माटी भरखशे अने गायत्री घरे नहि कान हे जी बावा थाशे व्यभिचारी इसका मतलब है.. पंडित कहते हैं कि कलयुग किस तरह आएगा, उसकी निशानी होगी.. सालों साल का अकाल। अब भी आप देख सकते हैं कि दुनिया पानी के संकट से जूझ रही है। दुनिया में कई जगहें तो ऐसी हैं, जहां पानी का नामो-निशान तक नहीं है। धीरे-धीरे बरसात कम होती जा रही है। धीरा आगे लिखते हैं.. ‘साधु करशे सूरापान’। हम देख भी रहे हैं कि आजकल साधु-महात्मा मात्र शराब का सेवन ही नहीं कर रहे, बल्कि वे हरेक अनैतिक काम कर रहे हैं और साधु के भेष में शैतान बनते जा रहे हैं। आज गायत्री देवी या कोई अन्य आध्यात्मिक शक्ति फलदायी नहीं रही है।
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15-01-2013, 06:35 PM | #4 |
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Re: नास्त्रेदमस की हैरान करने वाली 11 भविष्यवा
शेढे शेढो घसासे..
वली खेतरमां नहि रहे खूंट आदि वहान छोडी करे अने ब्राह्मण चढशे ऊंट ऐवी गायो भेंसो जाशे रे ऐ दुजाणामां अजिया रहेशे आज हम देख रहे हैं कि जमीन-जायदाद के लिए भाई-भाई का ही नहीं, बेटे पिता का भी खून बहाने से नहीं चूकते। ‘वली खेतरमां नहि रहे खूंट’.. अब लगभग हरेक जगह खेतों में गाय-भैंस नजर नहीं आते, बल्कि इनकी जगह ट्रैक्टर सरीखे अन्य वाहनों ने ले ली है। ब्राह्मणों ने भी अपने पुराने चीजें त्यागकर नई चीजें अपना ली हैं। ‘ऐसी गायो भेंसो जाशे रे’.. महत्व की बात है कि आज गाय-भैंसो की संख्या दिनों-दिन कम होती जा रही है। दूध की इतनी कमी हो चुकी है कि बकरी का दूध पीने तक की नौबत आ चुकी है। अब गाय-भैंस खेतों की बजाय कत्लखाने पहुंच रही हैं और तेजी से हरेक जगह कत्लखाने खुलते जा रहे हैं।
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15-01-2013, 06:36 PM | #5 |
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Re: नास्त्रेदमस की हैरान करने वाली 11 भविष्यवा
कारडीया तो करमी कहेवाशे
अने वली जाडेजा खोज्शे जाला नीचने घेर घोडा बंधाशे अने श्रीमंत चालशे पाला महाजन चोरी करशे रे अने वालंद थाशे वहेपारी जो अनैतिक काम करते हैं, भ्रष्ट आचरण से अपना पेट भरते हैं, उनके घर घोड़े बंधे नजर आएंगे। ठीक इसी के विपरीत सज्जन पुरुष पैदल चलते हुए नजर आएंगे। वर्तमान में यही हो भी रहा है। आज अनैतिक कार्य करने वाले ही फल-फूल रहे हैं, जबकि ईमानदार व सज्जन पुरषों का जीवन दयनीय है। इसमें किसी की गलती नहीं, यह तो समय का दोष है।
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15-01-2013, 06:36 PM | #6 |
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Re: नास्त्रेदमस की हैरान करने वाली 11 भविष्यवा
पुरषो गुलाम थशे..
राज तो राणिओना थशे अने वली पुरुष थशे गुलाम आ गरीबनी अरजी कोई सांभलशे नहि अने साहेबने करशे सलाम.. इस बात की पुष्टि एलिजाबेथ के शासन काल से ही हो गई थी। दूसरी बातें भी सच में परिवर्तित होती नजर आ रही हैं कि पुरुष अब स्त्रियों के गुलाम होंगे। इस बात का उदाहरण देने की जरूरत नहीं, अपने आसपास के हालात से आप इसका अंदाज लगा सकते हैं। सबसे रोचक बात जो धीरा कहते हैं.. ‘गरीबनी अरजी कोई सांभलशे नहि अने साहेबने करशे सलाम’..यानी की गरीब की कोई नहीं सुनेगा। आज अधिकारियों की कचहरी में गरीब सर पटक-पटक कर मर जाता है, लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो पाती। गरीब व्यक्ति चाहे कितना भी सज्जन हो, उसे कोई सलाम नहीं करता, जबकि अमीर व्यक्ति को सभी सलाम ठोंकते हैं।
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15-01-2013, 06:37 PM | #7 |
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Re: नास्त्रेदमस की हैरान करने वाली 11 भविष्यवा
बोनी रोती जाशे रे
अने सगपणमां तो साली रहेशे ऐ धरम कोईनो रहेशे ननि अने एक प्याले वरण अढार आ शणगारमां तो बीजुं कांई नहि रहे अने शोभामां रहेशे वाल आज जो समाज में हो रहा है, उसका संकेत इस संत ने बहुत वर्षो पहले ही दे दिया था कि बहन अगर घर आए तो उसकी आवभगत नहीं होती, क्योंकि अब वह पति की सिर्फ बहन नहीं रहती, बल्कि पत्नी की ननद हो जाती है। संबोधन के सूत्र बदल जाते हैं। ठीक इसी जगह अगर घर में साली आती है तो जीजा उसके ख्याल में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ता। पंडितजी ने कहा, कलयुग में धर्म का कोई महत्व नहीं रह जाएगा.. ‘अने एक प्याले वरण अढार’ यानी की एक ही प्याला कई लोगों के लिए उपयोग किया जाएगा। आप यह प्याला शराब का कहें, होटल में खाने के बर्तन कहें। अपने आपको धार्मिक कहने वाले व्यक्ति के लिए भी ये वस्तुएं ‘अनटचेबल’ रहती हैं। ‘आ शणगारमां तो बीजुं कांई नहि रहे अने शोभामां रहेशे वाल’.. यह बात स्त्रियों के संबंध में कही गई कि इस समय तक भारतीय नारी के सौंदर्य परंपरा में से कोई भी चीज नहीं रह जाएगी। हां, उनके लिए अगर शोभा की कोई चीज बचेगी तो सिर्फ बालों की। वर्तमान में स्त्रियों की पोशाक और रहन-सहन से इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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15-01-2013, 06:38 PM | #8 |
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Re: नास्त्रेदमस की हैरान करने वाली 11 भविष्यवा
ओला वाणिया वाटु आ लूंटशे रे
रहेशे नहि कोई पतिव्रता नारी छाशमां माखण नहि तरे अने वली दरिए ननि हाले वहाण आ चांदा सूरत तो झांखा थशे ऐवो दास धीरो ऐम आ कहे छे रे कीधुं में आ विचार करी ऐवी कलयुगनी ऐंधाणी रे.. ऐ न जोई होई तो, जोई ल्यो भाईयो.. धीरा भगत कहते हैं कि व्यापारी लोगों को येन-केन-प्रकारेण लूटने लगेंगे। नारी कोई पतिव्रता नहीं रहेगी। यह स्थिति तो वर्तमान में कहीं भी देखी जा सकती है। ‘छाशमां माखण नहि तरे’ यानी की छास में माखन नहीं होगा, बल्कि पानी होगा। फिर वे कलयुग का अंतिम संकेत देते हुए कहते हैं कि नदी-तालाब सूखते जाएंगे और चांद-सूरज का भी तेज कम हो जाएगा। आज विज्ञान भी कह रहा है कि सूर्य में भी धब्बे दिखाई देने लगे हैं और उनकी संख्या लगातार बढ़ रही है। तो इस तरह धीरा भगत ने कलयुग का संकेत इस भजन से दिया था, जो आज सच में परिवर्तित होते जा रहे हैं।
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