08-01-2013, 07:17 PM | #31 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
अनमोल कलाकृतियों के कद्रदानों ने बढ चढकर लगाई अपनी पसंद की कीमत दुनिया के बेहतरीन कलाकारों की अनमोल कलाकृतियां और कुछ अन्य दुर्लभ चीजें इस वर्ष रिकार्ड कीमत में बिकीं। दरअसल इनके चाहने वालों ने इन कलाकृतियों की कीमत नहीं लगाई, बल्कि इनके प्रति अपनी चाहत और इन्हें अपने पास रखने की हसरत की कीमत लगाते हुए इन्हें करोड़ों रूपए में खरीदा। सैफ्रनआर्ट द्वारा जून में आयोजित नीलामी में एस एच राजा की 1985 में बनायी गई पेंटिंग और वी एस गैतोंडे की कलाकृतियों को लेकर सबसे ज्यादा आकर्षण रहा और सबसे अधिक मूल्य में बिकी। राजा की पेंटिंग ‘एनकाउंटर’ 3.15 करोड़ रूपये में बिकी जबकि नीलामी की न्यूनतम तय राशि दो से ढाई लाख रुपये के आस पास थी। इसी तरह राजा की एक अन्य कलाकृति ‘जर्मीनेशन’ 1.82 करोड़ रुपये में, गैतोंडे की एक पेटिंग 2.85 करोड़, सुबोध गुप्ता की एक पेंटिंग 1.17 करोड़ रुपये और एम एफ हुसैन की एक कलाकृति 1.02 करोड़ रुपये में बिकी। प्रगतिशील भारतीय कलाकार दिवंगत तैयब मेहता की पेन्टिंग मार्च में न्यूयार्क में नीलामी के दौरान 17.60 लाख डॉलर में बिकी। राजस्थान के उदयपुर के महाराणा और देवगढ के रावतों से संबंधित 18 शताब्दी के कलाकार बगता का एक अलिखित चित्र फरवरी में बोनहैम्स में हुई नीलामी में अनुमान से छह गुना अधिक यानि 302500 डालर में नीलाम हुआ। यह चित्र वर्ष 1808 का है और इसका आकार 16 गुणा 22 इंच है। इस चित्र में रावत गोकल दास को अपनी पत्नियों के साथ होली खेलते दिखाया गया है। इस चित्र को एक कलेक्टर की ओर से भेजा गया था जिसने इसे दो दशक पहले मात्र 125 डालर में खरीदा था। भारत के आधुनिक कलाकारों में से एक जहांगीर सबावाला की एक शानदार तस्वीर सात जून को आधुनिक और समकालीन दक्षिण एशिया कला की बोनहम्स वार्षिक नीलामी में रिकार्ड दो लाख 53 हजार 650 पाउंड में बिकी। सबावाला की तस्वीर ‘वेस्पर्स वन’ की अनुमानित कीमत एक लाख से डेढ लाख पाउंड के बीच आंकी गई थी यह तस्वीर नये कीर्तिमान के साथ बिकी। भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के हस्ताक्षर वाले बल्ले को अपनी ‘सबसे कीमती चीज’ मानने वाले ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने रवांडा में क्रिकेट स्टेडियम के लिए पैसा जुटाने के इरादे से इसे दान दे दिया था। स्टेडियम परियोजना के लिए धन जुटाने के मकसद से लार्ड्स में मई में हुई नीलामी में यह बल्ला 3400 पाउंड (लगभग तीन लाख रुपये) में बिका। अक्तूबर में न्यूजीलैंड में हीरे जड़ा एक सैंडल पांच लाख अमेरिकी डालर में बिका। यह दुनिया में अब तक के सबसे महंगे सैंडलों में से है। आकलैंड की फुटवियर डिजाइनर कैथरीन विल्सन और ज्वेलरी डिजाइनर सारा हचिंग ने मिलकर इस महंगे सैंडल को तैयार किया था। जनवरी में एलेक्जेंडर ग्राहम बेल द्वारा वर्ष 1878 में अपने माता-पिता को लिखे गये एक पत्र को नीलामी में 92,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक की धनराशि मिली। इस पत्र में स्काटलैंड में जन्मे बेल ने अपने माता-पिता को निर्देश दिये हैं कि किस तरह टेलीफोन को बिजली के झटकों से दूर रखा जाए। टेलीफोन पर पेटेंट हासिल करने के दो साल के बाद बेल ने यह चिट्ठी लिखी थी। बेल ने सबसे पहले अपने सहयोगी थॉमस को फोन किया था। वाटरलू की लड़ाई में मिली हार के बाद फ्रांसीसी शासक नेपोलियन बोनापार्ट द्वारा अंग्रेजी में लिखे गए एक पत्र की जून में चार लाख डालर में नीलामी की गई। सेंट हेलेना द्वीप पर निर्वासित जीवन बिताने के दौरान नैपोलियन ने अंग्रेजी सीखने का प्रयास किया था और यहीं रहते वक्त उसने 1816 में यह पत्र लिखा था। एक पृष्ठ के पत्र पर नौ मार्च, 1816 की तिथि दी गई है। डलास में हत्या के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी के शव को जिस वाहन में रखकर एयर फोर्स वन विमान तक पहुंचाया गया था उसे जनवरी में एक लाख 60 हजार डॉलर में नीलाम किया गया। कार की बिक्री बेरेट जैक्सन नीलामी कंपनी के वार्षिक स्कॉटडेल कलेक्टर कार आक्शन में हुई। चेतन सेठ नाम के एक भारतीय ने मार्च में एक नीलामी के दौरान क्यूबाई सिगार ब्रांड एच. उपमैन से 60,000 यूरो (करीब 39 लाख रुपये) में सिगारदान (केस) खरीदा। विश्व सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ने वाली एलिजाबेथ टेलर के सोने के तारों से बने पोंचू ने मार्च के आखिर में लंदन में हुई नीलामी में 37 हजार पाउंड (तकरीबन तीन लाख रूपये) बटोरे। उन्होंने यह पोंचू फिल्म ‘क्लियोपेट्रा’ में पहना था। इस लिबास को कुछ इस तरह तराशा गया था कि यह फिनिक्स के पंख की तरह दिखती थी। इस पोंचू की बदौलत 1963 में दुनिया भर में धूम मचाने वाली फिल्म को सर्वश्रेष्ठ कॉस्ट्यूम डिजाइन के लिए आस्कर से नवाजा गया था। टाइटेनिक जहाज के एक मेनू की अप्रैल माह में 60 लाख 76 हजार रुपए की बोली लगायी गयी। इसी मेनू के जरिए प्रथम श्रेणी के यात्रियों के बीच लजीज भोजन परोसा जाता था। अटलांटिक महासागर में जहाज डूबने की घटना के सौ साल पूरे होने से पहले विल्टशाइर में जहाज की कुछ वस्तुओं की बोली लगायी गयी, जिसमें यह मेनू भी था। मेनू पर 14 अप्रैल, 1912 की तारीख दर्ज है। इसी दिन यह जहाज एक बड़े हिमखंड से टकरा गया था जिसमें 1522 लोग काल के गाल में समा गए थे। महात्मा गांधी द्वारा 1992 में रवींद्रनाथ टैगोर के सबसे बड़े भाई द्विजेंद्रनाथ को लिखे पत्रों को 12 दिसंबर को लंदन में सोथबी की एक नीलामी में एक अज्ञात शख्स ने इसकी अनुमानित कीमत से सात गुना अधिक राशि देकर खरीदा। इसी नीलामी में एक निजी संग्रहकर्ता ने भारतीय संविधान की एक दुर्लभ प्रति प्रस्तावित कीमत से करीब आठ गुना मूल्य में खरीद ली। इस संविधान की प्रति पर प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के अंग्रेजी और देवनागरी में हस्ताक्षर हैं। जवाहरलाल नेहरू के भी इस पर दस्तखत हैं।
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08-01-2013, 07:29 PM | #32 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
वर्ष ओडिशा
राजनीतिक विद्रोह, अपहरण और घोटालों का रहा बोलबाला ओड़िशा में साल 2012 में सियासी बगावत के कारण मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा तो माओवादियों ने अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए अपहरण को अपना नया हथियार बनाया। यही नहीं, लौह अयस्क और कोयला खदान सहित कई क्षेत्रों में घोटालों को लेकर ओड़िशा राष्ट्रीय स्तर की मीडिया में छाया रहा। कई औद्योगिक इकाइयों को तमाम मुश्किलों के कारण बंदी का सामना करना पड़ा। बीते कई वर्षों से ओडिशा की राजनीति में पटनायक के सियासी वजूद को इससे पहले कभी इस तरह की चुनौती नहीं मिली। मुख्यमंत्री के तौर पर तीसरा कार्यकाल संभाल रहे बीजू जनता दल :बीजद: के नेता पटनायक के खिलाफ 29 मई को बगावत एवं सरकार गिराने की खबरें आईं। उस वक्त मुख्यमंत्री विदेश दौरे पर थे। कथित बगावत की स्थिति को खत्म करने के मकसद से बीजद सुप्रीमो ने पार्टी सांसद प्यारीमोहन महापात्रा सहित कुछ नेताओं को बाहर का रास्ता दिखाया तथा कुछ मंत्रियों को भी बर्खास्त कर दिया। कभी नौकरशाह रहे महापात्रा ने सरकार गिराने की किसी योजना से इंकार करने के साथ दावा किया कि उनके आवास पर नेताओं की बैठक बीजद में आंतरिक लोकतंत्र को मजबूत करने के मकसद से हुई थी। ओडिशा में सियासी सरगरमी के साथ ही माओवादियों ने सुरक्षा बलों के लिए नित नयी चुनौतियां पेश कीं। उन्होंने मार्च महीने में दो इतालवी नागरिकों पाओलो बोसुस्को और क्लाउडियो कोलांजेलो तथा बीजद के विधायक झीना हिकाका को बंधक बनाया। इसे लेकर सरकार के साथ माथे पर खासी सिकन देखी गई। कोलांजेलो को माओवादियों ने करीब 11 दिनों तक बंधक रखने के बाद मुक्त किया, जबकि बोसुस्को को लंबी वार्ता के बाद मुक्त किया गया। विधायक हिकाका को एक महीने से अधिक समय तक माओवादियों की गिरफ्त में रहना पड़ा। ओडिशा में इस साल कई घोटालों की बात भी सामने आई। करोड़ों रुपये खदान घोटाला पूरे साल सुर्खियों में बना रहा। विपक्ष ने राज्य में कीमती संसाधनों की लूट का आरोप लगाया और पटनायक सरकार को कई बार घेरा।
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08-01-2013, 07:31 PM | #33 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
वर्ष तमिलनाडु
जयललिता के लिए जल और बिजली संकट बरकरार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के लिए साल 2012 मुश्किलों भरा रहा क्योंकि उन्हें कावेरी मुद्दे पर कर्नाटक के साथ कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी और चिरप्रतिद्वंद्वी द्रमुक सहित सभी पक्षों की ओर से राज्य में बिजली कटौती को लेकर आलोचना झेलनी पड़ी। उधर द्रमुक को इस साल अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ा। तमाम परेशानियों के बावजूद जयललिता ने राज्य को साल 2023 तक शीर्ष पर पहुंचाने के लिए ‘विस्तृत दृष्टिकोण दस्तावेज’ पेश किया। कावेरी मुद्दे पर उन्हें काफी चुनौती का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने इस संकट के बावजूद खुद की स्थिति मजबूत की। जयललिता ने कावेरी नदी से राज्य के हिस्से का जल हासिल करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया लेकिन शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपनी मजबूरी जाहिर की। हालांकि शीर्ष अदालत तमिलनाडु के बचाव में आई और उसने कर्नाटक को जल का हिस्सा देने का निर्देश दिया लेकिन कर्नाटक के किसानों और नेताओं ने खुलकर विरोध किया। जयललिता ने इस साल कई कल्याणकारी योजनाएं लागू कीं जिनमें से ज्यादातर मुफ्त थीं। उन्होंने साथ ही सुशासन देने का वादा किया लेकिन उनके 18 महीने के शासन में बिजली कटौती मुख्य समस्या रही है। द्रमुक अध्यक्ष एम करूणानिधि ने बिजली कटौती के कारण इस शासन को ‘अंधेरे में चलता राज’ करार दिया। जलललिता ने कावेरी विवाद, तमिलनाडु के मछुआरों पर हमले और श्रीलंकाई रक्षा सैनिकों के प्रशिक्षण सहित कई मुद्दों पर समय समय पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखे। कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्र के मुद्दे पर जयललिता के रूख में बदलाव की काफी आलोचना हुई। उधर विधानसभा चुनाव हारने के बाद लगातार दूसरे साल द्रमुक को अंदरूनी राजनीति से ही जूझना पड़ा। करूणानिधि के बेटों अलागिरी और स्टालिन के समर्थक मदुरै में एक बैठक में भिड़ गये जिसके बाद पार्टी प्रमुख को मामला शांत करने के लिए बैठक बुलानी पड़ी। कहा जा रहा है कि दोनों बेटे पार्टी में वर्चस्व हासिल करने की दौड़ में हैं और करूणानिधि अपने छोटे बेटे स्टालिन को समर्थन देते दिख रहे हैं। पिछले साल विधानसभा चुनाव जीतने वाली अन्नाद्रमुक ने स्थानीय निकाय चुनाव और उपचुनावों में भी जीत दर्ज की और पार्टी प्रमुख राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका पर नजरें गढाई हुई हैं। अपना कांग्रेस विरोध जताते हुए जयललिता ने ओडिशा के अपने समकक्ष नवीन पटनायक के साथ गठजोड़ करके राष्ट्रपति चुनाव में राजग प्रत्याशी पीए संगमा का समर्थन किया लेकिन संगमा चुनाव नहीं जीत पाये। उन्होंने खुदरा क्षेत्र में एफडीआई का भी मुखर विरोध किया और कहा कि राज्य में एफडीआई को लागू नहीं किया जाएगा।
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08-01-2013, 07:44 PM | #34 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
वर्ष राजस्थान
आरसीए के ढीले रैवये से उड़ी क्रिकेट की गिल्लियां झुंझुनूं में खेल विश्वविद्यालय खोलने का फैसला कर राजस्थान सरकार ने जहां इस साल प्रदेश में खेलों और खिलाडियों को बढावा देने की जोरदार पहल की हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्थान क्रिकेट संघ (आर.सी.ए) तथा राजस्थान खेल परिषद के बीच चल रहे कथित मनमुटाव से राज्य में क्रिकेट की गिल्लियां उडी हुई है। राजस्थान खेल परिषद, आर.सी.ए को किराये पर स्टेडियम उपलब्ध करवाने को तैयार है पर आर.सी.ए इसके लिए अपने कदम आगे नहीं बढा रहा है। राजस्थान खेल परिषद के अध्यक्ष शिवचरण माली ने कहा, ‘हम किसी को भी क्रिकेट मैच के लिए सवाई मान सिंह स्टेडियम किराये पर देने के लिए आज से नहीं शुरू से ही तैयार है। हम प्रदेशस्तरीय, राज्यस्तरीय आईपीएल या अन्तर्राष्ट्रीय क्रिकेट मैच के लिए स्टेडियम किराये पर देने को तैयार है, लेकिन कोई आये तो सही।’ उन्होने कहा परिषद स्थानीय क्रिकेट मैचों के लिए और किसी भी मैच के लिए स्टेडियम किराये पर दे रहे है हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता ही खेलों को बढावा देनी की है। राजस्थान के एक जाने माने क्रिकेट खिलाडी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘जब कानपुर और इन्दौर में क्रिकेट संघ और खेल विभाग के बीच बिना समझौते के मैच हो सकते है, तो राजस्थान के सवाई मान सिंह स्टेडियम में क्यों नहीं हो सकते। आरसीए को बिना वक्त गंवाये खेल परिषद से बातचीत कर मैच करवाने चाहिए। इसमें देरी करना राजस्थान के क्रिकेट प्रेमियों के साथ अन्याय होगा। राजस्थान खेल परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि परिषद और राज्य सरकार खेल और खिलाडियों को प्रोत्साहित करने में जुटी हुई है। मुख्यमंत्री प्रतिभा सम्मान योजना के तहत ओलम्पिक, एशियाड और राष्ट्रमंडल खेलों में हिस्सा लेने वाले खिलाडियों को आर्थिक मदद दी गई है और झुंझुनूं में सरकारी स्तर पर खेल विश्वविद्यालय खोलने की घोषणा की गयी है। दूसरी और राजस्थान क्रिकेट संघ के अहम के चलते राज्य में प्रस्तावित क्रिकेट मैच की तीनों गिलियां उडने की संभावना दिख रही है। आईपीएल के राजस्थान में हिस्से में आए आठ मैच पर संकट के बादल मंडरा रहे है।असल में आर.सी.ए और राजस्थान खेल परिषद के बीच मैदान के रखरखाव को लेकर प्रस्तावित समझौता झगडे की जड बना हुआ है। अधिकारिक सूत्रों के अनुसार इस विवाद को दूर करने के लिए आगामी दिनों आरसीए और राज्य सरकार के बीच बैठक प्रस्तावित है पर बैठक की तिथि अभी तय नहीं हुई है। आरसीए के प्रवक्ता के के शर्मा का कहना है कि सवाई मान सिंह स्टेडियम रखरखाव के अभाव में बुरे हाल में है पिच पूरी तरह से खराब हो चुका है। खस्ता हाल मैदान के कारण ईरानी ट्राफी के मैच भी नहीं हो सके। राजस्थान ने चैन्नई में दूसरी बार रणजी चैम्पियनशिप पर कब्जा कर एक बार फिर राजस्थान का नाम रौशन किया, पर आगामी सत्र में आईपीएल और अन्तर्राष्ट्रीय मैचों को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। रणजी मैच भी सवाई मान सिंह स्टेडियम में नहीं होकर के एल सैनी स्टेडियम में कराये गये थे।राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष केन्द्रीय मंत्री डा सी पी जोशी व्यस्त होने के कारण उनसे सम्पर्क नहीं हो सका। युवा एवं खेलकूद विभाग सूत्रों ने कहा राज्य सरकार ने प्रदेश की उदीयमान और छिपी खेल प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए गुलाबी नगरी में लंदन ओलम्पिक में पदक जीतने वाले विजय कुमार (निशानेबाजी), सुशील कुमार (कुश्ती) को पचास-पचास लाख रूपये और महिला मुक्केबाज मैरी काम, साइना (बैडमिंटन), गगन नारंग (निशानेबाजी) और पहलवान योगेश्वर दत्त को पच्चीस पच्चीस लाख रूपये तथा महिला डिस्कस थ्रो में फाइनल में पहुंचने वाली राजस्थान की कृष्णा पूनिया को इक्कीस लाख रूपये का पुरस्कार देकर एक नयी शुरूआत की है। उन्होने कहा कि इसके दूरगामी परिणाम निकलेंगे इससे महिलाएं हिचक छोडकर खेलों में आएगी ओर नामी गिरामी खिलाडी नये खिलाडी तैयार करने में जुटेंगे। सरकार खिलाडियों को हर संभव मदद दे रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी सरकार के चौथी वर्षगांठ पर बासठ साल से अधिक के खिलाडी जिन्होने ओलम्पिक, एशियाड और राष्ट्रमंडल खेलों में तथा राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत खिलाडियों को डेढ लाख रूपये की राशि उपलब्ध कराने की घोषणा की है।
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15-01-2013, 11:17 PM | #35 |
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Re: 2012 : क्या खोया, क्या पाया
वर्ष 2012 का राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य प्रस्तुत करने के लिए आपका आभार, अलैक जी. मेरे विचार से मलाला युसुफज़यी वर्ष की सार्वाधिक चर्चित व्यक्तित्व रही. कुछ न होते हुए भी उसने अल्प वय में ही वह कर दिखाया जो पाकिस्तान या पड़ौसी देशों के बड़े बड़े सियासी और समाजी कार्यकर्ता भी नहीं कर पाए. मलाला का सन्देश उन आततायियों के मुंह पर एक तमाचा है जो मानवीय अधिकारों पर पाबंदियां लगाते हैं.
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