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01-12-2010, 11:42 PM | #1 | |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
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फूलों सा महकते रहना मुस्कान रहे अधरों पर खुशियाँ बरसाते रहना!! हर बार सफल तुम होगे विश्वास सदा ये रखना बाधाएं आती रहती हैं तुम राह बनाते रहना !! असफल जो कभी हो जाओ मन को न हारने देना होते हैं ग्रहण छोटे ही बस याद सदा यह रखना!! हो जाए भूल जो तुमसे खुद को भी क्षमा कर देना पर चेहरे की आभा को तुम मलिन न होने देना!! यश अपयश, हार सफलता वरदान भी हैं अभिशाप भी हैं तुम इनमे खो मत जाना संयत हो चलते रहना !!
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 Last edited by jai_bhardwaj; 01-12-2010 at 11:50 PM. |
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02-12-2010, 01:12 AM | #2 | ||
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
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'मुझे ठण्ड रस नहीं आती...' के बाद के अंतरे डरा देते हैं | इब्न-ए-इंशा की इक ग़ज़ल की दो लाइन हैं कि ' कूंचे को तेरे छोड़ कर, जोगी ही बन जाएँ मगर! जंगल तेरे, परबत तेरे, बस्ती तेरी, इंशा तेरा' बस यही हाल होता है | अमीर खुसरो ने अपनी एक अधूरी नज़्म में कहा था कि 'सर रख तली, जब जाना सखी, पिया की गली' माने कि अपना अभिमान (सर) नीचे रख के प्रेम नगर में घुसो | इसी बात को एक हिन्दू संत ने कुछ यूँ कहा कि ' जब मैं था तब हरी नहीं, अब हरी हैं मैं नाही' मतलब जब अभिमान(मैं) था तब प्रभु नहीं दिखे और जब अभिमान यानी मैं चला गया तो प्रभु दिख गए | कितना स्पष्ट जीवन दर्शन हैं, दोनों धर्म एक ही बात कह रहे हैं कि अभिमान छोडो तो प्रेम और प्रभु दोनों मिल जाएँ | Quote:
अपना तो संघर्ष का विचार ही नहीं रहता हेहेहे, सीधे हथियार डाल कर कह देते हैं 'मत सताओ हमें, हम सताए हुए हैं, अकेले रहने का गम उठाये हुए हैं, खिलौना समझ के ना खेलो हमसे, हम भी उसी खुदा के बनाए हुए हैं' |
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02-12-2010, 01:32 AM | #3 | |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
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शब्द अकल वालों ने तो मतलब से रच डाला ! शब्दों की भाषा क्या समझेगा कोई दिलवाला !! जब जब दिलवालों ने कुछ भी कहना चाहा ! या तो नज़रों से कह पाए या अश्रु गिरा डाला !!
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02-12-2010, 01:34 AM | #4 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
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02-12-2010, 01:45 AM | #5 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
बिखरती रेत पर किस नक़्शे को आबाद रखेगी? वो मुझको याद रखे भी तो कितना याद रखेगी? उसे बुनियाद रखनी है अभी दिल में मुहब्बत की मगर ये नींव वो मेरे बाद रखेगी! पलट कर भी नहीं देखी उसी की ये बेरुखी हमने! भुला देंगे उसे ऐसा कि वो भी हमें याद रखेगी !!! |
02-12-2010, 07:26 AM | #6 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
एक डोली और एक अर्थी आपस में टकरा गए
इन्हें देख लोग घबरा गये ऊपर से आवाज़ आई ये कैसी बिदाई है लोगो ने कहा महबूब की डोली देखने यार की अर्थी आई है
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तोडना टूटे दिलों का बुरा होता है जिसका कोई नहीं उस का तो खुदा होता है |
02-12-2010, 08:44 AM | #7 |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
जवाब नहीँ छोटे इसके एक एक शब्द का
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दोस्ती करना तो ऐसे करना जैसे इबादत करना वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना |
02-12-2010, 10:45 AM | #8 | |
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Re: दर्द की बात प्यार के साथ ( शायरी,गीत,गजल)
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प्रेम अच्छा है किन्तु उसमें जान वां देने की बातें भली नहीं है | एक व्यक्ति के ऊपर मात्र उसका ही नहीं उसके माँ,बाप,भाई, बहन, दोस्तों, अध्यापकों सबका अधिकार होता है और एक व्यक्ति के लिए उन सबको जीवन भर का दुःख और संताप देना किसी भी प्रकार से अच्छा नहीं इससे अच्छा तो जा के दुसरे को ठोक देना है हेहेही | |
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