28-01-2013, 03:35 PM | #1 |
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लाला लाजपत राय
: 28 जनवरी 1865- मृत्यु: 17 नवम्बर 1928) भारत के एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी थे। इन्हें पंजाब केसरी भी कहा जाता है। इन्होंने पंजाब नैशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कम्पनी की स्थापना भी की थी। ये भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे। सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्तत: १७ नवम्बर सन् १९२८ को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी लाला लजपतरायको पंजाबका केसरी (शेर) कहा जाता था । वे सचमुच पंजाबके ही नहीं, संपूर्ण भारतके केसरी थे । वे जब बोलते थे, तो केसरीकी ही भांति उनका स्वर गूंजता था । जिस प्रकार केशरीकी दहाडसे वन जीव डर जाते हैं, उसी प्रकारसे लाला लाजपत रायकी गर्जनासे अंग्रेज सरकार कांप उठती थी । इ.स. १९२८ के अक्टूबरमें भारतमें साइमन कमीशनका आगमन हुआ । कांग्रेसने एक प्रस्ताव पास करके कमीशन बहिष्कारकी घोषणा की थी । अतः साइमन कमीशन जहां जहां भी जाता था, सभाओं और जुलूसोंके द्वारा उनका बहिष्कार किया जाता था । ३० अक्टूबरको कमीशन लाहौरके स्टेशनपर भी पहुंचा । कमीशनका बहिष्कार करनेके लिए स्टेशनके बाहर अपार भीड इकट्ठा हुई थी । उस भीडका नेतृत्व स्वयं लालाजी ही कर रहे थे । जुलूसके आगे घुडसवार पुलिस मार्ग रोककर खडी थी । पुलिसने डंडे चलाने आरंभ कर दिए । पुलिस कप्तान सैण्डर्सके संकेत पर एक गोरे सिपाहीने लालाजीपर डंडेसे प्रहार किया । डंडेका आघात उनकी छातीपर हुआ और वे जमीनपर गिर पडे । गोरे सिपाहियोंके आघातसे घायल होनेपर लालाजीने कहा, ‘‘मेरे शरीरपर पडे डंडे अंग्रेजी राज्यके कफनमें कीलोंका काम करेंगे ।’’ गर्जना करनेवाला सिंह सदैवके लिए मौन हो गया । लालाजीने देशको स्वतंत्र करानेके लिए जो बलिदान दिया, उसे स्मरण कर देशवासी देशभाक्तिकी प्रेरणा लेते रहेंगे ।
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