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Old 04-12-2010, 07:11 PM   #1
teji
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Lightbulb हर तस्वीर इक कविता है

प्यारे दोस्तों, वाहे गुरु की कृपा से मुझे एक नए थ्रेड का आईडिया आया है, इसका नाम मैंने रखा है "हर तस्वीर इक कविता है" मैं इसमें हर रोज़ कुछ तस्वीर और फिर उसके अन्दर छिपी हुई कविता बताऊंगी.

पोस्ट का फॉर्मेट होगा.
  • तस्वीर (स्क्रीन साइज़ से छोटी यानी max width 700)
  • कविता (फॉण्ट साइज़ 3 Bold)
Thread के अपने 2 rules भी होंगे.
  • अगर कविता सोनी लगती है तो केवल थैंक्स का button दबाओ अलग से थैंक्स या smilie पोस्ट ना करो.
  • किसी और टोपिक पर बात ना करो.

Last edited by aksh; 04-12-2010 at 11:31 PM.
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Old 04-12-2010, 07:15 PM   #2
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Default Re: हर तस्वीर इक कविता है




ना तुम हिन्दु ना ही मुस्लिम
बने रहो तुम एक इन्सान
छोडो मन्दिर मस्जिद के झगडे
अपनी शक्ती को लो जान


मन्दिर मे घडियाल हैं बजते
मस्जिद मे होती आजान
मस्जिद में हैं अल्ला रहते
मन्दिर में रहते भगवान


मन्दिर में रामायन अच्छी
मस्जिद में अच्छी कुरान
जिस भी रूप मे उसको याद कर
कैसे भी कर उसका गान


सर्वब्यापक सर्वशक्ति वह
वह ही रहीम , वह ही है राम
उसके नाम से दंगे करना
ये ना है तेरी पह्चान


मन्दिर मस्जिद से भी बड कर
है तेरे लिये राष्ट्र निर्माण
है तेरे लिये राष्ट्र निर्माण
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Old 04-12-2010, 07:45 PM   #3
teji
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Default Re: हर तस्वीर इक कविता है



भूल वायदे सरकारे जनता के, नींद चैन की सोते हैं
उनसे छीन प्रशासन अपना, कलम की शक्ति दिखलाना है
अब फिर इनके कर्त्तव्यों की, स्मृति हमें दिलाना है,


इनकी काली करतूतों का, पर्दाफाश करना है
विश्व को खुशहाल बनाने, आज क्रांति फिर लाना है
अब हमको संकल्पित होकर, प्रगति शिखर पर चढ़ना है
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Old 04-12-2010, 09:41 PM   #4
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Default Re: हर तस्वीर इक कविता है



अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
वृक्ष हों भले खड़े,
हो घने, हो बड़े,
एक पत्र-छॉंह भी मॉंग मत, मॉंग मत, मॉंग मत!
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!


तू न थकेगा कभी!
तू न थमेगा कभी!
तू न मुड़ेगा कभी!
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!


ये महान दृश्य है, चल रहा मनुष्य है,
अश्रु श्वेत् रक्त से,
लथ पथ, लथ पथ, लथ पथ !
अग्नि पथ! अग्नि पथ! अग्नि पथ!
बच्चन
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Old 05-12-2010, 09:22 AM   #5
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Default Re: हर तस्वीर इक कविता है




आज रहने दो यह गृह-काज,
प्राण! रहने दो यह गृह-काज!


आज जाने कैसी वातास
छोड़ती सौरभ-श्लथ उच्छ्वास,
प्रिये लालस-सालस वातास,
जगा रोओं में सौ अभिलाष।
आज उर के स्तर-स्तर में, प्राण!
सजग सौ-सौ स्मृतियाँ सुकुमार,
दृगों में मधुर स्वप्न-संसार,
मर्म में मदिर-स्पृहा का भार!


शिथिल, स्वप्निल पंखड़ियाँ खोल
आज अपलक कलिकाएँ बाल,
गूँजता भूला भौंरा डोल
सुमुखि! उर के सुख से वाचाल!
आज चंचल-चंचल मन-प्राण,
आज रे शिथिल-शिथिल तन भार;
आज दो प्राणों का दिन-मान,
आज संसार नहीं संसार!


अजा क्या प्रिये, सुहाती लाज?
आज रहने दो सब गृह-काज!

सुमित्रानंदन पंत
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Old 05-12-2010, 06:52 PM   #6
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Default Re: हर तस्वीर इक कविता है



दोस्ती नाम नहीं सिर्फ़ दोस्तों के साथ रेहने का..
बल्की दोस्त ही जिन्दगी बन जाते हैं, दोस्ती में..

जरुरत नहीं पडती, दोस्तों की तस्वीर की.
देखो जो आईना तो दोस्त नज़र आते हैं, दोस्ती में..

येह तो बहाना है कि मिल नहीं पाये दोस्तों से आज..
दिल पे हाथ रखते ही एहसास उनके हो जाते हैं, दोस्ती में..

नाम की तो जरूरत ही नहीं पडती इस रिश्ते मे कभी..
पूछे नाम अपना ओर, दोस्तॊं का बताते हैं, दोस्ती में..

कौन केहता है कि दोस्त हो सकते हैं जुदा कभी..
दूर रेह्कर भी दोस्त, बिल्कुल करीब नज़र आते हैं, दोस्ती में..

सिर्फ़ भ्रम है कि दोस्त होते हैं अलग-अलग..
दर्द हो इनको ओर, आंसू उनके आते हैं , दोस्ती में..

माना इश्क है खुदा, प्यार करने वालों के लिये “एस. आर.”
पर हम तो अपना सिर झुकाते हैं, दोस्ती में..

ओर एक ही दवा है गम की दुनिया में क्युकि..
भूल के सारे गम, दोस्तों के साथ मुस्कुराते हैं, दोस्ती में..
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Old 06-12-2010, 08:30 AM   #7
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Default Re: हर तस्वीर इक कविता है



अंधियार ढल कर ही रहेगा

आंधियां चाहें उठाओ,
बिजलियां चाहें गिराओ,

जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।
रोशनी पूंजी नहीं है, जो तिजोरी में समाये,
वह खिलौना भी न, जिसका दाम हर गाहक लगाये,
वह पसीने की हंसी है, वह शहीदों की उमर है,
जो नया सूरज उगाये जब तड़पकर तिलमिलाये,
उग रही लौ को न टोको,
ज्योति के रथ को न रोको,
यह सुबह का दूत हर तम को निगलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।

दीप कैसा हो, कहीं हो, सूर्य का अवतार है वह,
धूप में कुछ भी न, तम में किन्तु पहरेदार है वह,
दूर से तो एक ही बस फूंक का वह है तमाशा,
देह से छू जाय तो फिर विप्लवी अंगार है वह,
व्यर्थ है दीवार गढना,
लाख लाख किवाड़ जड़ना,
मृतिका के हांथ में अमरित मचलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।

है जवानी तो हवा हर एक घूंघट खोलती है,
टोक दो तो आंधियों की बोलियों में बोलती है,
वह नहीं कानून जाने, वह नहीं प्रतिबन्ध माने,
वह पहाड़ों पर बदलियों सी उछलती डोलती है,
जाल चांदी का लपेटो,
खून का सौदा समेटो,
आदमी हर कैद से बाहर निकलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।

वक्त को जिसने नहीं समझा उसे मिटना पड़ा है,
बच गया तलवार से तो फूल से कटना पड़ा है,
क्यों न कितनी ही बड़ी हो, क्यों न कितनी ही कठिन हो,
हर नदी की राह से चट्टान को हटना पड़ा है,
उस सुबह से सन्धि कर लो,
हर किरन की मांग भर लो,
है जगा इन्सान तो मौसम बदलकर ही रहेगा।
जल गया है दीप तो अंधियार ढल कर ही रहेगा।
"नीरज"
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Old 06-12-2010, 08:55 AM   #8
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बहुत हुआ
आ अब लौट चले |
एक सुन्दर सु-मधुर
धरा का निर्माण करे |
बहुत हुआ
आ अब लौट चले |

भारत और पाकिस्तान एक-दुसरे का सम्मान करे
कूटनीति, कपटनीति व् राजनीती का त्याग करे |
मैला मन का ,गरल गले का
गंगा और सतलुज में प्रवाह करे|
एक सुन्दर सु-मधुर
धरा का निर्माण करे
बहुत हुआ
आ अब लौट चले |

शांति -पथ पुकारता बार-बार
आ मिल कर आगे बढे |
उन्नति करे ,प्रगति करे
मानवता का नया इतिहास रचे |
एक सुन्दर सु-मधुर धरा का निर्माण करे
बहुत हुआ
आ अब लौट चले |

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Old 06-12-2010, 11:22 AM   #9
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याद करता हैं तुम्हे तन्हाई में,
दिल डूबा है गमो की गहराई में,
हमे मत दूंदना दुनिया की भीड़ में,
हम मिलेंगे तुम्हे तुम्हारी परछाई में.

तुम हँसती हो मुझे हँसाने के लिए
तुम रोती हो मुझे रुलाने के लिए
तुम एक बार रूठ कर तो देखो
मार जाऊँगा तुम्हे मानने के लिए

खवाब ना टूटे, दिल ना टूटे
आप ना हमसे रूठे
बात ना टूटे, साथ ना छूटे
हमारे बीच का ये फासला तो टूटे.

जब याद आती है आपकी मुस्कुरा लेते है,
कुछ पल हर ग़म भूला देते है,
कैसे भीग कती है आप की आँखें,
आपके हिस्सी के आशू तो हम बहा लेते हैं..

इस कदर हुमारी चाहत का इम्तिहान ना लीजिए,
क्यूँ हो खफा ये बया तो कीजिए,
कर दीजिए माफ़ अगर हो गयी है कोई ख़ाता,
यू याद ना कर के सज़ा तो ना दीजिए.

हमसे कोई खता हो जाए तो माफ़ करना
याद ना कर पाए तो माफ़ करना
दिल से तो हम आपको भूलेंगे नही
ये दिल ही रुक जाए तो माफ़ करना
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Old 19-01-2011, 01:09 PM   #10
Kumar Anil
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कृपया आनन्द लीजिये इसको बाजार मत बनाईये ।
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दूसरोँ को ख़ुशी देकर अपने लिये ख़ुशी खरीद लो ।
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