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#171 |
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![]() हाथ आए न सितारे तेरे, आँचल की तरह रात जलती हुई इक ऐसी चिता है जिस पर तेरी यादें हैं सुलगते हुए, संदल की तरह तू इक दरिया है मगर मेरी तरह पयसा है मैं तेरे पास चला आऊँगा, बादल की तरह मैं हूँ इक खवाब मगर जागती आंखों का 'आमिर' आज भी लोग गँवा दें न मुझे, कल की तरह हाथ आए न सितारे तेरे, आँचल की तरह आज की रात भी गुज़री है मेरी, कल की तरह......... |
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#172 |
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तुम्हारे शहर का मौसम बड़ा सुहाना लगे
मैं एक शाम चुरा लूँ अगर बुरा न लगे तुम्हारे बस में अगर हो तो भूल जाओ हमें तुम्हें भूलने में शायद मुझे ज़माना लगे हमारे प्यार से जलाने लगी है ये दुनिया दुआ करो किसी दुश्मन की बद_दुआ न लगे नाजाने क्या है उसकी बेबाक आंखों में वो मुँह छुपा के जाये भी तो बेवफा न लगे जो डूबना है तो इतने सुकून से डूबो के आस पास की लहरों को भी पता न लगे हो जिस अदा से मेरे साथ बेवफाई कर के तेरे बाद मुझे कोई बेवफा न लगे वो फूल जो मेरे दामन से हो गए मंसूब खुदा करे उन्हें बाज़ार की हवा न लगे तुम आँख मूंद के पी जाओ जिंदगी 'कैसर' के एक घूँट में शायद ये बद_मज़ा न लगे..... |
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#173 |
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कहाँ तो तय था चराग़ाँ हर एक घर के लिये
कहाँ चराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिये यहाँ दरख़्तों के साये में धूप लगती है चलो यहाँ से चले और उम्र भर के लिये न हो क़मीज़ तो घुटनों से पेट ढक लेंगे ये लोग कितने मुनासिब हैं इस सफ़र के लिये ख़ुदा नहीं न सही आदमी का ख़्वाब सही कोई हसीन नज़ारा तो है नज़र के लिये वो मुतमइन हैं कि पत्थर पिघल नहीं सकता मैं बेक़रार हूँ आवाज़ में असर के लिये जियें तो अपने बग़ीचे में गुलमोहर के तले मरें तो ग़ैर की गलियों में गुलमोहर के लिये |
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#174 |
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तेरी यादों के चिरागों को दिल में हम जलाएं है
मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म खाए है अफ़सोस तो इस बात का है साथी तू बिछड़ गया अपने किये वादों से 'मितवा' तू मुकर गया भूल गए सारे ओ त्याग, जो तुम्हें पाने में किये ना पता ना ठिकाना ऐसे ही निकल गये मील गयी साथी जो मंजिल, तो हँसते हुए चल दिए मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म दिए है एक दिन तुम यूं छोड़ जाओगे, मैंने कभी सोचा नहीं मेरे प्यार को तुम फर्ज समझोगे ऐ कभी सोचा नहीं एक पल की भी देरी ना की मेरे दिल को जलाने में सायद मुझे वक्त लग जाए मुझे तुम्हें भुलाने में मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जो जख्म खाए है मेरे होठो की हंसी छिन पलकों पर आँसूं दिए किसी और की कुशियों में, अपनी पलके बिछा दिए तेरे होठो की गर्म साँसे जो थी सिर्फ मेरे लिए आज ओ साँसें किसी और की सरगम बनी मेरी रातों की नीद गयी दिल की तडपन बठी सीने से लगा तू आज किसी को चैन से सुला रही मरकर भी ना भूलेंगें हम इतने जख्म जो तुम दिए |
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#175 |
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बशीर बद्र को आम आदमी का शायर कहा जाए कि ख़ास ? या फिर आम-ओ-ख़ास का ख़ास शायर?.....
मुहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे बहुत तलाश किया, कोई आदमी न मिला तमाम रिश्तों को मैं घर में छोड़ आया था फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी न मिला ख़ुदा की इतनी बड़ी क़ायनात में मैं ने बस एक शख्स को माँगा, वही मुझे न मिला बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी वो मेरे साथ रहा, और मुझे कभी न मिला |
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#176 |
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निकाह आ जनाज़ा
तेरी डोली उठी ,मेरी मैयत उठी , फूल तुझ पर भी बरसे ,फूल मुझ पर भी बरसे , फर्क इतना सा था , तूं सज गयी , मैं सजाया गया .. तूं भी घर को चली , मैं भी घर को चला फर्क इतना सा था... तूं उठ के चली, मैं उठाया गया .. महफ़िल वहां भी थी, लोग वहां भी थे , फर्क इतना सा था , उनको हँसाना वहां, इनको रोना यहाँ काजी उधर भी था , मौलवी इधर भी था, दो बोल तेरे पढ़े , दो बोल मेरे पढ़े , फर्क इतना सा था , तुझे अपनाया गया , मुझे दफनाया गया |
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#177 |
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हुस्न पर हिजाब जो ओढ़ा तुमने ,
यूँ लगा चाँद बादल मेँ सिमट गया । मेरी हथेली पर जो तेरे अश्क का कतरा लुढ़का , यूँ लगा दर्द तेरा खुद आकर मुझसे लिपट गया ।। |
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#178 |
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न फिर कहना कि हम बेवफा निकले ।
न फिर कहना कि वादे से हम फिसले । इंतहा - ए - इंतजार है अब तो । तू आये तो दम निकले ।। |
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#179 |
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मत कुरेदो, न कुरेदो मेरी यादों का अलाव
क्या खबर फिर वो सुलगता हुआ लम्हा निकले हमने रोका तो बहुत फिर भी यूँ निकले आँसू जैसे पत्थर का जिगर चीर के झरना निकले |
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#180 |
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![]() जबसे वो हमसे और हम उनसे हैं मिलने लगे
जिन्दगी के सारे मायने ही बदलने लगे ता उम्र तो अकेले तय किया सारा सफर हुआ खत्म होने को सफर तो हमसफर मिलने लगे बेवजह ही दिल धड़कता है कहाँ यूँ जोर से लगता है इस दिल की गली से वो होके गुजरने लगे यकीनन ही दिन बहारों के कुछ दूर अब नहीं रहे उनके इधर आने से सारे मौसम बदलने लगे बेशक कोई नायाब तोहफा खुदा ने है बख्शा हमे गैर सब गुमसुम से हैं जो अपने थे जलने लगे इतना हसीन हम सफर मिला भी तो किस मोड़ पर जब खत्म सफर हो चला , दुनिया से हम चलने लगे |
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