27-06-2013, 06:42 PM | #1 |
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रवानी हर तरफ है
मात्रा भार- 1222 1222 122 . . . . . . . . . . . . . . . यहाँ रोती कहानी हर तरफ है बड़ी लगती बिरानी हर तरफ है नया इक आशियाना ढूँढ लेना लगे दरिया तुफानी हर तरफ है नज़ारे देख कर लगता कि जैसे खुदा की राजधानी हर तरफ है नदी यह तो बहुत उफनी हुई है यहाँ कश्ती पुरानी हर तरफ है कहीँ रोजी हमेँ मिलती नहीँ है बहुत पिसती जवानी हर तरफ है यहाँ अब भूख का मंजर दिखेगा बड़ी बेबस किसानी हर तरफ है नहीँ बैठो ग़मो का बोझ ले के जरा देखो रवानी हर तरफ है यही "आकाश" का पैगाम ले लो हँसो तो जिन्दगानी हर तरफ है ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी . . . . . . . . . . . . . . . . . . . पता-वकील कुशवाहा उर्फ आकाश महेशपुरी ग्राम- महेशपुर पोस्ट- कुबेरस्थान जनपद- कुशीनगर उत्तर प्रदेश पिन -274304 मो.- 09919080399 |
27-06-2013, 08:49 PM | #2 |
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Re: रवानी हर तरफ है
नज़ारे देख कर लगता कि जैसे
खुदा की राजधानी हर तरफ है नदी यह तो बहुत उफनी हुई है यहाँ कश्ती पुरानी हर तरफ है यहाँ अब भूख का मंजर दिखेगा बड़ी बेबस किसानी हर तरफ है यही "आकाश" का पैगाम ले लो हँसो तो जिन्दगानी हर तरफ है ग़ज़ल - आकाश महेशपुरी बहुत अच्छी ग़ज़ल और सुन्दर अभिव्यक्ति. इसे पढ़वाने के लिए हमारा धन्यवाद स्वीकार करें. आपकी आगामी रचनाओं का इंतज़ार रहेगा. |
27-06-2013, 09:36 PM | #3 |
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Re: रवानी हर तरफ है
बहुत ही अच्छी गज़ल है, आकाश जी।
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27-06-2013, 09:55 PM | #4 |
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Re: रवानी हर तरफ है
"ज़िन्दगी है मौत की अमानत ।
दिखती मगर सुहानी हर तरफ है ।" माशा अल्लाह खुबसूरत गज़ल |
28-06-2013, 02:57 PM | #5 |
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Re: रवानी हर तरफ है
बहुत ही बढ़िया प्रस्तुती
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