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#1 |
VIP Member
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![]() आतंकवाद , बोम्ब ब्लास्ट ! उफ़ इंसानियत कहाँ गयी ??? दोस्तों हम रोज सुबह चाय की चुस्कयों के साथ अखवार पड़ते है, और बीती हुयी ख़बरों से रूबरू होते है. एक शब्द "आतंकवाद " इस पर रोज कोई न कोई कोई खबर आती है, पता नहीं कैसे लोग है, माफ़ करना इनको लोग कहना गलत होगा, खूंखार भेडिये !!! क्या इनका परिवार नहीं होता है, या ये जीवित नहीं मरे हुए इंसान ... सोच कर ! क्या इनको दर्द नहीं होता , जो इंसानों के मरते रहते रहते है, क्या मकसद है इनका ??? खैर हम रोज ही पड़ते हैं ! आज मैं इस सूत्र का आगाज कर रहा हूँ, इस सूत्र में , उन्ही न्यूज़ पेपर की कटिंग पोस्ट करेंगे, और साथ आप लोगों का समर्थन की आप लोगों को भी कोई भी जानकारी हो वो यहाँ जरूर पोस्ट करें...... धन्यवाद आप सभी का हमसफ़र(एस. आर. )
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हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है कृपया हिंदी में लेखन व् वार्तालाप करे ! हिंदी लिखने के लिए मुझे क्लिक करें! Last edited by Hamsafar+; 17-12-2010 at 12:45 PM. |
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#3 |
Diligent Member
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हम्सफर्जी, आपने एकदम ज्वलंत व सामायिक मुद्दा इस सूत्र में उठाया है. आज के दिन अपने देश का ही नहीं परन्तु पुर विश्व समुदाय के लिए बहुत ही गंभीर मसला है ये आतंकवाद. बहुत बढ़िया सूत्र है, इसके ऊपर जो भी तथ्य या जानकारी होगी इस पर जरुर मेरा सहयोग रहेगा, धन्यवाद.
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काल करे सो आज कर, आज करे सो अब, पल में प्रलय होयगी, बहुरि करोगे कब. - संत कबीर |
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#4 |
Exclusive Member
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आज के जमाना में जहा इंसानियत खत्म हो रही है वही इंसानियत को फिर से बनाने वाला पैदा ले लिया है जश्न मनावों भाई लोग
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#5 |
Special Member
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जब "इंसान" इंसान ही नहीं रहा तो फिर इंसानियत कहाँ से रहेगी
आज के मशीनी युग ने मनुष्य की भावनाओं को कुचल कर रख दिया है इंसान की सफलता का पैमाना पैसा है और पैसा कमाने के लिए इंसानियत को दफ़न कर देना सबले पहली और अहम् शर्त मानी जाती है
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घर से निकले थे लौट कर आने को मंजिल तो याद रही, घर का पता भूल गए बिगड़ैल |
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#6 |
Special Member
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ऐसा नहीं है , यदि आप इंसान बने रहें तो पैसा और शोहरत खुद ब खुद आपके कदम चूमती है/
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#7 |
Special Member
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वन्दे मातरम् ...
बहुत ही उम्दा विषय है यस आर भाई जी ... ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() ![]() |
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#8 |
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insaniyat gayi tail lene.paise ke aage sab kuch rak hai.chahe bo kuch b ho.aapki izzet sohrat imandari etc..pr
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#9 |
Special Member
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#10 | |
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