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#181 |
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![]() जब से उसकी आँखों में ऩजर आ गया चेहरा मेरा
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#182 |
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जुल्म के पावों से जो फूल मसल जाते हैं
खार बन कर वही पत्थर पे निकल आते हैं फिर बहारों की जरूरत नहीं रहती उन को ये खिजां में भी बड़ी शान से खिल जाते हैं (खार>काँटे। बहार>बसंत। खिजां>पतझड़)
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 |
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#183 |
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गुजर चुका है उम्मीदों का काफिला कब का
राह ए यकीं पे अब भी गुबार बाकी है हमें पुकार लो जब चाहो हम मिलेंगे यहीं मिले हैं ख़ाक में लेकिन वकार बाकी है (राह ए यकीं>विश्वास की डगर। गुबार>उडती हुयी धूल। ख़ाक>राख । वकार> स्वाभिमान)
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तरुवर फल नहि खात है, नदी न संचय नीर । परमारथ के कारनै, साधुन धरा शरीर ।। विद्या ददाति विनयम, विनयात्यात पात्रताम । पात्रतात धनम आप्नोति, धनात धर्मः, ततः सुखम ।। कभी कभी -->http://kadaachit.blogspot.in/ यहाँ मिलूँगा: https://www.facebook.com/jai.bhardwaj.754 Last edited by rajnish manga; 11-07-2013 at 12:03 AM. |
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#184 |
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बहुत बढ़िया
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#185 |
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![]() क्या कभी तुमने अपने कानो से दीवारों में पड़ी
दरारों का चिल्लाना सुना हें? अगर नहीं सुना हो तो तुम बहरें हों क्या कभी तुम्हारी आँखों ऩे खून से लाथ्बथ, चीखों का जुंड देखा हें? अगर न देखा हो तो तुम अंधे हों के तुमने किसी कुछ नहीं के साथ, दो घडी बात करने की कोशिश की हें? अगर न की हों तो तुम बेजुबान हों मुझे सुच में अफ़सोस हें की तुम्हे बोलते, सुनते और देखता करने के लिएँ में सिर्फ कविता लिख सकता हूँ .. और-कुछ नहीं कर सकता ... हम देख कर अँधे , सुन कर बहरे , और जुबां हों कर भी बेजुबान कुन हों जाते हें?... मेरे सवाल का जवाब हें किसी अँधे बहरे या बेज़ुबांके पास ?
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#186 | |
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#187 |
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#188 |
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जब गर्दिशों में जाम थे
कितने हसीं अयाम थे हम ही न थे रुसवा फकत वो आप भी बदनाम थे आयाम = दिन रुसवा = कुख्यात
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#189 | |
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दिन ही तो हैं जो गर्दिशे-अय्याम बन गये अपनी हक-आश्कारियाँ इल्हाद हो गईं दैरो-हरम के झूठ भी इल्हाम बन गये (शायर का नाम याद नहीं) गर्दिशे-अय्याम = वक़्त की गर्दिश / हक-आश्कारियां = सच्चे अनुभव / इल्हाद = झूठी / दैरो-हरम = मंदिर-मस्जिद / इल्हाम = ईश्वरीय वाणी |
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#190 |
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bahut badiya
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