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Old 23-06-2013, 04:26 PM   #11
bindujain
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Default Re: जानिए प्रलय से जुड़ी कुछ भविष्यवाणियां


एक समय इटली के माउंट वैसुवियस ज्वालामुखी के धधकते ही रोमन साम्राज्य की नींव हिल गई थी। इस ज्वालामुखी के फटने से हजारों लोग मारे गए थे और पोम्पी और हरक्यूलेनियम शहर तबाह हो गए थे। इस तबाही को देखते हुए लोगों ने मान लिया था कि अब दुनिया का अन्त नजदीक आ गया है।
16वीं शताब्दी में ब्रिटेन में कई बार प्लेग का कहर फैला। लेकिन 1665 का प्लेग सबसे भयंकर था। लगभग पूरा लंदन शहर इसकी चपेट में आ गया था। बार-बार प्लेग के फैलने से लोगों ने भविष्यवाणी की थी कि अब पृथ्वी का अंत निकट है।
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मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!
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Old 23-06-2013, 04:27 PM   #12
bindujain
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Default Re: जानिए प्रलय से जुड़ी कुछ भविष्यवाणियां


सृष्टि की रचना के साथ ही इसके विनाश की भी मान्यताएं प्रचलित हैं। श्रीमदभागवत के अनुसार ऐसा माना जाता है कि दो कल्पों के बाद सृष्टि का अंत होता है। दो कल्पों का अर्थ है कि दो हजार चर्तुयुग। चतुर्युग का तात्पर्य है कि सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग। इन चारों युगों का क्रम अनवरत चलता है और जब एक हजार बार इन चार युगों का क्रम हो जाता है तब एक कल्प होता है। इसी प्रकार दूसरा कल्प पूरा होने पर प्रलय आता है यानि सृष्टि का विनाश हो जाता है। इसके बाद पुन: सृष्टि की उत्पत्ति होती है और यही क्रम अनवरत जारी रहता है
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Old 26-06-2013, 07:58 PM   #13
aspundir
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Default Re: जानिए प्रलय से जुड़ी कुछ भविष्यवाणियां

बिन्दू जी, रोचक जानकारी शेयर करने के लिये धन्यवाद । लेकिन आपने यह नहीं बतलाया की कल्प गणना में वर्तमान समय कहाँ तक पहुचाँ है । अस्तु, चारों युगों के एक चक्कर को चतुर्युगी अथवा पर्याय कहते हैं । १‚००० चतुर्युगी अथवा पर्यायों का एक कल्प होता है । ब्रह्मा के एक मास में तीस कल्प होते हैं जिनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे श्वेतवाराह कल्प, नीललोहित कल्प आदि । प्रत्येक कल्प के १४ भाग होते हैं और इन भागों को 'मन्वंतर' कहते हैं । प्रत्येक मन्वंतर का एक मनु होता है, इस प्रकार स्वायंभुव, स्वारोचिष्* आदि १४ मनु हैं । प्रत्येक मन्वंतर के अलग-अलग सप्तर्षि, इद्रं तथा इंद्राणी आदि भी हुआ करते हैं । इस प्रकार ब्रह्मा के आज तक ५० वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, ५१वें वर्ष का प्रथम कल्प अर्थात्* श्वेतवाराह कल्प प्रारंभ हुआ है । वर्तमान मनु का नाम 'वैवस्वत मनु' है और इनके २७ चतुर्युगी बीत चुके हैं, २८ वें चतुर्युगी के भी तीन युग समाप्त हो गए हैं, चौथे अर्थात्* कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है ।

युगों की अवधि इस प्रकार है - सत्युग १७,२८,००० वर्ष; त्रेता १२,९६,००० वर्ष; द्वापर ८,६४,००० वर्ष और कलियुग ४,३२,००० वर्ष । अतएव एक कल्प चार अरब बत्तीस करोड़ (4,32,00,000) वर्ष का हुआ ।

प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में मानव इतिहास को पाँच कल्पों में बाँटा गया है।

हमत् कल्प : १,०९,८०० वर्ष विक्रमीय पूर्व से आरम्भ होकर ८५,८०० वर्ष पूर्व तक
हिरण्य गर्भ कल्प : ८५,८०० विक्रमीय पूर्व से ६१,८०० वर्ष पूर्व तक
ब्राह्म कल्प : ६०,८०० विक्रमीय पूर्व से ३७,८०० वर्ष पूर्व तक
पाद्म कल्प : ३७,८०० विक्रम पूर्व से १३,८०० वर्ष पूर्व तक और
वराह कल्प : १३,८०० विक्रम पूर्व से आरम्भ होकर वर्तमान तक

अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी सम्वत प्रारम्भ होने से ५,६३० वर्ष पूर्व हुआ था।
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Old 27-06-2013, 10:39 AM   #14
bindujain
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Default Re: जानिए प्रलय से जुड़ी कुछ भविष्यवाणियां

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बिन्दू जी, रोचक जानकारी शेयर करने के लिये धन्यवाद । लेकिन आपने यह नहीं बतलाया की कल्प गणना में वर्तमान समय कहाँ तक पहुचाँ है । अस्तु, चारों युगों के एक चक्कर को चतुर्युगी अथवा पर्याय कहते हैं । १‚००० चतुर्युगी अथवा पर्यायों का एक कल्प होता है । ब्रह्मा के एक मास में तीस कल्प होते हैं जिनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे श्वेतवाराह कल्प, नीललोहित कल्प आदि । प्रत्येक कल्प के १४ भाग होते हैं और इन भागों को 'मन्वंतर' कहते हैं । प्रत्येक मन्वंतर का एक मनु होता है, इस प्रकार स्वायंभुव, स्वारोचिष्* आदि १४ मनु हैं । प्रत्येक मन्वंतर के अलग-अलग सप्तर्षि, इद्रं तथा इंद्राणी आदि भी हुआ करते हैं । इस प्रकार ब्रह्मा के आज तक ५० वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, ५१वें वर्ष का प्रथम कल्प अर्थात्* श्वेतवाराह कल्प प्रारंभ हुआ है । वर्तमान मनु का नाम 'वैवस्वत मनु' है और इनके २७ चतुर्युगी बीत चुके हैं, २८ वें चतुर्युगी के भी तीन युग समाप्त हो गए हैं, चौथे अर्थात्* कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है ।

युगों की अवधि इस प्रकार है - सत्युग १७,२८,००० वर्ष; त्रेता १२,९६,००० वर्ष; द्वापर ८,६४,००० वर्ष और कलियुग ४,३२,००० वर्ष । अतएव एक कल्प चार अरब बत्तीस करोड़ (4,32,00,000) वर्ष का हुआ ।

प्राचीन हिन्दू ग्रन्थों में मानव इतिहास को पाँच कल्पों में बाँटा गया है।

हमत् कल्प : १,०९,८०० वर्ष विक्रमीय पूर्व से आरम्भ होकर ८५,८०० वर्ष पूर्व तक
हिरण्य गर्भ कल्प : ८५,८०० विक्रमीय पूर्व से ६१,८०० वर्ष पूर्व तक
ब्राह्म कल्प : ६०,८०० विक्रमीय पूर्व से ३७,८०० वर्ष पूर्व तक
पाद्म कल्प : ३७,८०० विक्रम पूर्व से १३,८०० वर्ष पूर्व तक और
वराह कल्प : १३,८०० विक्रम पूर्व से आरम्भ होकर वर्तमान तक

अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु, स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है। सावर्णि मनु का आविर्भाव विक्रमी सम्वत प्रारम्भ होने से ५,६३० वर्ष पूर्व हुआ था।
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Old 05-08-2013, 11:26 PM   #15
Dr.Shree Vijay
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बेहतरीन जानकारी देने के लिए धन्यवाद.................................
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.........: सूत्र पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दे :.........


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Old 10-08-2013, 11:37 AM   #16
Dr.Shree Vijay
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प्रिय बिंदु जी धन्यवाद.....................................[/quote]
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