14-11-2013, 04:48 PM | #1 |
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25 साल पहले सचिन पर लिखा राजदीप सरदेसाई का ले&
नई दिल्ली। सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट खेलना शुरू किया तो ना तब इतने टीवी कैमरे थे और ना ही हर तरफ वाहवाही। आईबीएन 7 के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई उस वक्त टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार में थे। उस दौर में जब सचिन की उम्र सिर्फ 15 साल थी, राजदीप की पारखी नजरों ने उनके खेल को पहचाना। आज से 25 साल पुराने इस लेख में राजदीप ने कहा था कि भारतीय क्रिकेट में एक नए बसंत की शुरुआत होने जा रही है। पढ़ें: टाइम्स ऑफ इंडिया में 12 दिसंबर 1988 को राजदीप का लिखा वह लेखः वो एक रविवार था....आलस भरी दोपहर मैं घर में भी बिता सकता था। लेकिन मैं वानखेड़े स्टेडियम गया और उन सैकड़ों खुशकिस्मत लोगों में शामिल हो गया जो इतिहास बनते हुए देख रहे थे। 15 साल, सात महीने और 17 दिन की उम्र में सचिन तेंदुलकर फर्स्ट क्लास क्रिकेट में शतक बनाने वाले सबसे युवा भारतीय बन गए। ये एक ऐसी पारी थी जो न सिर्फ यादगार थी बल्कि जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता था। जब सचिन बल्लेबाजी के लिए आए तो हवा में उम्मीदों की एक महक थी। शारदाश्रम के सचिन के दोस्त उनके हर रन पर उछल रहे थे। सुनील गावस्कर भी प्रशंसा में सिर हिला रहे थे तो सचिन के हर शॉट्स पर वासु परांजपे झूम रहे थे। इन सबसे बढ़कर सचिन के कोच रमाकांत आचरेकर का जोश देखते ही बन रहा था। सचिन की इस पारी में 12 चौके शामिल थे। हर शॉट्स की गूंज ऐसी थी मानो रेगिस्तान में तोप दाग दी गई हो। स्कॉयर ड्राइव पर गेंद मैदान की घास को ज्वाला की तरह भस्म करती हुई दौड़ रही थी। ऑन ड्राइव खिलाड़ियों को चकमा देते हुए भाग रहे थे। हां कभी-कभी ऑफ स्टंप पर कुछ चूक हो रही थी लेकिन युवावस्था को इतनी छूट तो मिलनी ही चाहिए। पूर्व भारतीय टेस्ट क्रिकेटर सुधीर नाइक ने ठीक ही कहा है कि जब सचिन बल्लेबाजी करते हैं तो क्रिकेट का स्तर नई ऊंचाई छूने लगता है। सचिन के करियर में अहम भूमिका निभाने वाले मुंबई के पूर्व कप्तान मिलिंग रेगे के मुताबिक सचिन की ये पारी उम्र से ज्यादा परिपक्व थी। खेल खत्म होने के बाद पत्रकारों के सामने सचिन ने शर्मिली मुस्कान बिखेरी और कोच को श्रेय दिया। खेल के दौरान सचिन की तुलना गावस्कर से होती रही जो नहीं होनी चाहिए। क्योंकि ऑस्ट्रेलिया ने नए ब्रेडमैन की तलाश में प्रतिभाशाली क्रिकेटरों की एक पीढ़ी को खत्म कर दिया। लेकिन भारतीय क्रिकेट में नए बसंत की शुरुआत का संकेत आज महसूस किया गया और मैं इस बात के लिए खुद को खुशनसीब समझता हूं कि मैं वहां मौजूद था। राजदीप सरदेसाई टाइम्स ऑफ इंडिया 12 दिसंबर -1988
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