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Old 06-01-2014, 12:39 PM   #1
rajnish manga
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Default मिखाइल कलाशनिकोव और ak-47

मिखाइल कलाशनिकोव और AK-47

मिखाइल कलाशनिकोव, जिनकी मृत्यु हाल ही में 23 दिसम्बर 2013 को 94 वर्ष की आयु में हुयी, रूस के प्रसिद्ध हथियार शिल्पी थे। इनको आधुनिक काल का युद्ध देवता भी माना जाता था। उन्होंने कभी किसी युद्ध में भाग नहीं लिया लेकिन उन्हें एक महा-घातक हथियार के सृजन का श्रेय जरुर दिया जाता है. उन्होंने जिस ऑटोमैटिक राइफ़ल को डिज़ाइन किया वो दुनिया की सबसे ज़्यादा इस्तेमाल की जाने वाली राइफ़ल है. कलाशनिकोव द्वारा डिज़ाइन की गई राइफ़ल पूरी दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला हथियार है.

आज दुनिया के किसी भी कोने में लोगों से पूछिए कि कौन सी राइफल वे जानते हैं तो हर जगह आपको एक ही जवाब मिलेगा: एके-47”| मिखाइल कलाश्निकोव की बनाई इस राइफल की सादगी और विश्वसनीयता ने इसे संसार में सबसे अधिक प्रचलित राइफल बना दिया| कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि संसार में जितनी भी राइफलें हैं उनमें से 12-15% “एके-47” हैं| 1947 में वजूद में आये आफ्तोमात कलाशनिकोवा यानी कलाशनिकोव का आटोमैटिक हथियार, का ही संक्षिप्तिकरण “एके-47है। एक किसान परिवार में जन्मे कलाशनिकोव ने कभी यह सोचा नहीं होगा कि उनके हाथों एक ऐसी चीज बनेगी, जो दुनिया में लाखों लोगों की मौत का कारण भी हो सकती है.

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Last edited by rajnish manga; 04-02-2014 at 10:04 PM.
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Old 06-01-2014, 01:11 PM   #2
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Default Re: मिखाइल कलाशनिकोव और उनकी राइफल

कैसे बनी यह राइफल?

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Old 06-01-2014, 01:18 PM   #3
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Default Re: मिखाइल कलाशनिकोव और उनकी राइफल

कैसे बनी यह राइफल?
इस राइफल को लेकर अक्सर यह सवाल उठाया जाता है कि आखिर यह बनाई किसने थी? आज इस प्रश्न का उत्तर निस्संदेह यही है कि यह राइफल कलाश्निकोव ने ही बनाई| बेशक अपने इस काम में उन्हें राइफल एवं माइनथ्रोअर अस्त्रों के वैज्ञानिक-अनुसंधान संस्थान के इंजीनियरों और फिर बाद में कोव्रोव आयुध कारखाने के इंजीनियरों का पूरा सहयोग मिला| सभी संशोधनों और परिवर्तनों के बाद 1947 के मॉडल के दूसरे रूपांतर को सेना में स्वीकार किया गया| इसका आधिकारिक नाम था एके कलाश्निकोव ऑटोमेटिक 7.62 मिमी राइफलऔर एके कलाश्निकोव फोल्डिंग बट ऑटोमेटिक 7.62 मिमी राइफल”| संसार भर में प्रचलित इसका नाम एके-47” सोवियत संघ में कभी आधिकारिक रूप से इस्तेमाल नहीं किया गया|

राज़ क्या है?

हथियारों के इतिहास को देखें तो कई ऐसे मिलेंगे जो कमोबेश सफल रहे| इनमें से कुछ को तो बिलकुल बेजोड़ माना जा सकता है| लेकिन एक भी इतना लोकप्रिय नहीं हुआ जितना कलाश्निकोव राइफल| पहले सोवियत संघ की उत्पादन क्षमता और बाद में चीन द्वारा विशाल निर्यात की बदौलत सारे संसार में इसका व्यापक प्रचलन हुआ| लेकिन सारी दुनिया में मान्यता पाने और एक प्रतीकबन जाने के लिए यह काफ़ी नहीं है| इसका मुख्य कारण तो यह है कि इसमें कई गुणों का मेल हुआ है:-

1.इसका डिज़ाइन इतना सरल है कि अल्पविकसित उद्योग वाले देशों में भी इसका उत्पादन संभव हुआ;
2. इससे काम लेना इतना आसान है कि अल्प-अनुभवी सैनिक और आम लोग भी इसे चला सकते हैं;
3. इसका डिज़ाइन इतना विश्वसनीय है कि यदि कोई अनाड़ी इसे चलाते हुए कुछ गलती कर दे तो भी राइफल खराब नहीं होती और यह लंबे समय तक काम देती है|
4. इन गुणों में चार चांद लगा दिए इसकी फायरिंग क्षमता ने! इसकी बदौलत एक अकेला हथियारबंद किसान पैदल सेना की पूरी पलटन का मुकाबला कर सकता था| इससे पहले न तो बंदूक लेकर और न ही किसी तरह की मशीनगन पिस्तौल से वह ऐसा कर सकता था|
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Old 06-01-2014, 01:28 PM   #4
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Default Re: मिखाइल कलाशनिकोव और उनकी राइफल

राइफल के गुण >> अवगुण

कल तक जो आम नागरिक थे वे अब कलाश्निकोव राइफल और हथगोले पाकर सहसा एक असली ताकत बन गए| रणभूमि पर पहले मशीनगनों और तेज़ी से गोले दागने वाली तोपों की बदौलत पश्चिमी जगत को जो श्रेष्ठता प्राप्त थी वह अब जाती रही| इस तरह कलाश्निकोव राइफल एके-47 तीसरी दुनिया के लिए औपनिवेशिक दासता से मुक्ति का हथियार और प्रतीक बन गई| इसी वजह से पश्चिमी प्रेस में इसका प्रचार बुरे लोगोंके हथियार की तरह होने लगा|

यह भी मानना होगा कि इस राइफल के डिज़ाइन के गुण ही इसकी प्रमुख समस्या भी बन गए| धीरे-धीरे यह राइफल वास्तव में बुरे लोगोंके हाथों में पहुंच गई| उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष करने वाले सेनानी जब उपनिवेशो के मुक्त हो जाने पर इतिहास के रंगमंच से चले गए तो भांति-भांति के कट्टरपंथियों, सभ्यता के मतांध विरोधियों, लड़ाकों और माफिया गिरहों ने ही एके को अपना लिया| आज़ाद हुए अफ्रीका में इस राइफल से ही कबीलों के बीच लड़ाइयां लड़ी जानें लगीं|

लेकिन इसके लिए राइफल को या उसके रचयिता को तो दोषी नहीं ठहराया जा सकता| मिखाइल कलाश्निकोव ने यह राइफल अपने देश की सेना के लिए बनाई थी, जो तब इतिहास के सबसे भयानक खूनी युद्ध से गुज़रा ही था| और यह हथियार सचमुच वैसा ही बना जैसा कि होना चाहिए: सरल, भरोसेमंद और इतना कारगर कि कल का स्कूल छात्र भी दो दिन की ट्रेनिंग पाकर यह रायफल लेकर लड़ाई के मैदान में उतर सके और शत्रु को हरा सके|

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ए के 47 राइफल, कलाश्निकोव, ak-47, automatic assault rifle, mikhail kalashnikov, rajnish manga


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