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#511 |
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#512 |
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#514 |
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#515 |
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#516 |
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![]() ज्ञानवर्धक जानकारी ............ कभी इन्दोर जाना हुआ तो अवश्य दर्शन करके आएँगे.................. पुंडीर आपका हार्दिक आभार...............
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*** Dr.Shri Vijay Ji *** ऑनलाईन या ऑफलाइन हिंदी में लिखने के लिए क्लिक करे: ![]() ![]() Disclaimer:All these my post have been collected from the internet and none is my own property. By chance,any of this is copyright, please feel free to contact me for its removal from the thread. |
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#517 |
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स्त्री रूप में पूजे जाते हैं हनुमान!
![]() रायपुर। पुराणों के अनुसार हनुमान महाबल शाली भगवान हैं, उन्होंने विवाह नहीं किया और आजीवन श्री राम की सेवा में लगे रहे। उन्हें राम का परम भक्त कहा जाता है। पर छत्तीसगढ़ के रतनपुर में हनुमान का एक ऐसा मंदिर है जहां नारी रुप में हनुमान की मूर्ति विराजित है। यह मंदिर आश्चर्य के साथ-साथ लोगों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। हनुमान जयंती पर भास्कर डॉट कॉम की इस खास प्रस्तुति में पढ़िए स्त्री रुपी हनुमान के बारे में। रतनपुर स्थित गिरिजाबंध हनुमान मंदिर दुनिया का एकमात्र स्थान है जहां हनुमान के नारी स्वरुप की पूजा होती है। हनुमान ने आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन किया था, ऐसे में उनकी स्त्री रुपी प्रतिमा का होना अपने आप में एक आश्चर्य है। यह प्रतिमा लगभग दस हज़ार साल पुरानी है और यहां के लोगों की मान्यता है कि जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इस प्रतिमा को पूजता है उसकी मनोकामना ज़रूर पूरी होती है। |
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#518 |
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![]() ![]() आस पास के लोग बताते हैं कि प्राचीन काल में पृथ्वी देवजू नाम के राजा रतनपुर में राज करते थे, वे हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे। एक बार राजा को कुष्ठ रोग हो गया, बहुत से वैद्य-हकीम आये, राजा को ठीक करने की कोशिश की पर किसी के इलाज का कोई असर महाराज की सेहत पर नहीं हुआ। राजा अपने जीवन की उम्मीद छोड़ चुके थे, हताश-निराश राजा को लग रहा था कि अब बचना संभव नहीं है। तभी एक दिन हनुमान जी ने उनको स्वप्न में दर्शन दिए और मंदिर बनवाने के लिए कहा। राजा ने अपने आराध्य के आदेश का पालन करते हुए तुरंत मंदिर निर्माण का काम शुरू करवाया। जब मंदिर का निर्माण पूरा हो गया तब राजा अपने प्रभु की अगली आज्ञा की प्रतीक्षा करने लगे। इस निर्माण और प्रतीक्षा के दौरान आश्चर्य जनक रूप से राजा के स्वस्थ्य में सुधार होने लगा। |
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#519 |
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![]() ![]() कुंड से निकली हनुमान की स्त्रीरुपी प्रतिमा मंदिर निर्माण के कुछ दिनों बाद हनुमान राजा के सपने में फिर आये और कहा कि महामाया कुंड में उनकी प्रतिमा है, उसे वहां से निकालकर मंदिर में स्थापित कर दिया जाए। जब कुंड से मूर्ति निकाली गई तो हनुमान का रूप देख सभी आश्चर्य में पड़ गए। बजरंगबली का ऐसा रूप किसी ने कभी नहीं देखा था। फिर भगवान की आज्ञा का पालन करते हुए उस प्रतिमा को मंदिर में पूरे विधि विधान के साथ स्थापित कर दिया गया। |
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#520 |
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![]() ![]() क्या है खासियत इस प्रतिमा की हनुमान जी की यह प्रतिमा दक्षिणमुखी है। इस प्रतिमा के बायें कंधे पर श्री राम और दायें पर लक्ष्मण जी विराजमान हैं। हनुमान जी के पैरों के नीचे दो राक्षस हैं। कहा जाता है कि इस मूर्ति की स्थापना के बाद राजा ने सबसे पहले स्वयं को कुष्ठ रॊग से मुक्ति दिलाने और यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना की। इसके बाद राजा तुरंत रोग मुक्त हो गया और राजा की दूसरी इच्छा को पूरी करने के लिए हनुमान सालों से लोगों की मनोकामना पूरी करते आ रहे हैं। |
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