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Old 25-01-2011, 11:28 AM   #51
arvind
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Originally Posted by abhay View Post
क्या बात है अब मोजा पुराण भी सुना दो भाई !
मोजा तो भैया जूते जी की चीर-संगिनी है, बिन मोजा, जूता तो एकदम अजूबा लगे है। अब जूता और मोजा को कोई अलग कर के देख ले। अगर मोजे मे छेद हो तो गई आपकी इज्ज़त। परंतु, ऐसे मे फिर आपकी और मोजा की इज्ज़त जूता जी ही बचावे है।

मोजा मे एक अद्भत ताकत होती है - डॉक्टर ऑपरेशन टेबल पर पड़े मरीज को एनेस्थीसिया ना देकर दिन भर पहने गए मोजा का उपयोग करे तो काफी खर्चा बचा सकता है।
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Old 07-10-2011, 05:03 PM   #52
arvind
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Default Re: ऐसी की तैसी।

एक बेकार आदमी ने ‘ऑफिस-बॉय’ की जोब के लिए माईक्रोसोफ्ट में अर्जी दी. वहां की एचआर मैनेजर ने उसे देखा और उस बंदे को इंटरव्यु के लिए बुलाया.

” अच्छा, तो तुम माईक्रोसोफ्ट में काम करना चाहते हो. तुम्हारा ई-मेल एड्रेस दो. ताकि मैं तुम्हें जवाब भेज सकुं कि कब से तुम्हें काम शुरू करना है.”

आदमी बोला: ” सर मेरा कोई ई-मेल आईडी नहीं है क्योंकि मेरे पास कम्प्युटर ही नही है.”
एचआर मैनेजर: ”तो फिर मुझे माफ करना. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं कर सकती. अगर तुम्हारे पास ई-मेल पता ही नहीं है तो तुम इस नोकरी के लायक नहीं.”

वह लड़का बिना कुछ बोले उस ऑफिस से बहार निकल गया. उसकी जेब में सिर्फ 10 रुपए थे.वह बेकार था और काम करके कुछ कमाना चाहता था. अचानक उसके मन में एक विचार आया. वह सीधा सब्जी मार्केट गया और वहां से उसने 10 रुपए के टमाटर खरीद लिए.

टमाटर खरीदकर वह उसी मंडी में बैठ गया. दो घंटे में उसके सारे टमाटर बिक गए. अब उसके पास 20 रूपए हो गए थे.

इस व्यापार में उसको बहुत मजा आया. फिर तो उसने 20 के टमाटर खरीदे और घर घर जाकर उसको बेचने लगा. धीरे-धीरे उसका व्यापार बढ़ने लगा. उसने एक दुकान खरीद ली. फिर उसने ट्रक खरीद लिया और वह उस मंडी का सबसे बड़ा व्यापारी बन गया.

पांच साल में तो वह शहर के सबसे धनी व्यक्तिओ की सूचि में सामिल हो गया. उसने अपने परिवार के भविष्य के लिए कुछ योजना बनाई और उसके चलते उसने अपना बीमा कराने का सोचा.

उसने एक बीमा एजेंट को बुलाया. बात बात में ऐजन्ट ने उससे उसका ई-मेल पता पुछ डाला. व्यापारी ने हसकर कहां. न तो मेरा कोई ई-मेल पता है और ना ही मेरे पास कोई कम्य्युटर है.

एजेंट सकते में पड़ गया: ” क्यां आपके पास ई-मेल पत्ता नही है ? शायद आप मजाक कर रहे हो…आप शहर के सबसे बड़े आदमी है… कभी आपने सोचा है कि अगर आप के पास ई-मेल पता होता तो आज आप क्या होते ?

” हां…. तो शायद माईकोसोफ्ट कंपनी का ऑफिस-बॉय होता” व्यापारी हसंते हुए बोला.
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Old 07-10-2011, 05:16 PM   #53
bhavna singh
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Originally Posted by arvind View Post
एक बेकार आदमी ने ‘ऑफिस-बॉय’ की जोब के लिए माईक्रोसोफ्ट में अर्जी दी. वहां की एचआर मैनेजर ने उसे देखा और उस बंदे को इंटरव्यु के लिए बुलाया.

” अच्छा, तो तुम माईक्रोसोफ्ट में काम करना चाहते हो. तुम्हारा ई-मेल एड्रेस दो. ताकि मैं तुम्हें जवाब भेज सकुं कि कब से तुम्हें काम शुरू करना है.”

आदमी बोला: ” सर मेरा कोई ई-मेल आईडी नहीं है क्योंकि मेरे पास कम्प्युटर ही नही है.”
एचआर मैनेजर: ”तो फिर मुझे माफ करना. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी नहीं कर सकती. अगर तुम्हारे पास ई-मेल पता ही नहीं है तो तुम इस नोकरी के लायक नहीं.”

वह लड़का बिना कुछ बोले उस ऑफिस से बहार निकल गया. उसकी जेब में सिर्फ 10 रुपए थे.वह बेकार था और काम करके कुछ कमाना चाहता था. अचानक उसके मन में एक विचार आया. वह सीधा सब्जी मार्केट गया और वहां से उसने 10 रुपए के टमाटर खरीद लिए.

टमाटर खरीदकर वह उसी मंडी में बैठ गया. दो घंटे में उसके सारे टमाटर बिक गए. अब उसके पास 20 रूपए हो गए थे.

इस व्यापार में उसको बहुत मजा आया. फिर तो उसने 20 के टमाटर खरीदे और घर घर जाकर उसको बेचने लगा. धीरे-धीरे उसका व्यापार बढ़ने लगा. उसने एक दुकान खरीद ली. फिर उसने ट्रक खरीद लिया और वह उस मंडी का सबसे बड़ा व्यापारी बन गया.

पांच साल में तो वह शहर के सबसे धनी व्यक्तिओ की सूचि में सामिल हो गया. उसने अपने परिवार के भविष्य के लिए कुछ योजना बनाई और उसके चलते उसने अपना बीमा कराने का सोचा.

उसने एक बीमा एजेंट को बुलाया. बात बात में ऐजन्ट ने उससे उसका ई-मेल पता पुछ डाला. व्यापारी ने हसकर कहां. न तो मेरा कोई ई-मेल पता है और ना ही मेरे पास कोई कम्य्युटर है.

एजेंट सकते में पड़ गया: ” क्यां आपके पास ई-मेल पत्ता नही है ? शायद आप मजाक कर रहे हो…आप शहर के सबसे बड़े आदमी है… कभी आपने सोचा है कि अगर आप के पास ई-मेल पता होता तो आज आप क्या होते ?

” हां…. तो शायद माईकोसोफ्ट कंपनी का ऑफिस-बॉय होता” व्यापारी हसंते हुए बोला.
आज के युग में फिमेल हो या ना हो ईमेल जरूर होना चाहिए ...........
एक जोके याद आ गया ....
अमरीकन :हमारे यहाँ तो शादी ईमेल से भी हो जाती है
भारतीय : ये कमाल की बात है.... हमारे यहाँ तो सिर्फ फिमेल से ही होती है
__________________
फोरम के नियम
ऑफलाइन में हिंदी लिखने के लिए मुझे डाउनलोड करें !

आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
love is life
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Old 07-10-2011, 05:21 PM   #54
khalid
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आज के युग में फिमेल हो या ना हो ईमेल जरूर होना चाहिए ...........
एक जोके याद आ गया ....
अमरीकन :हमारे यहाँ तो शादी ईमेल से भी हो जाती है
भारतीय : ये कमाल की बात है.... हमारे यहाँ तो सिर्फ फिमेल से ही होती है
हा हा हा मस्त जोक हैँ
__________________
दोस्ती करना तो ऐसे करना
जैसे इबादत करना
वर्ना बेकार हैँ रिश्तोँ का तिजारत करना
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Old 07-10-2011, 05:29 PM   #55
bhavna singh
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हा हा हा मस्त जोक हैँ
खाली खाली हंस रहे हो एक जोक आप भी सुनाओ /
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आजकल लोग रिश्तों को भूलते जा रहे हैं....!
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Old 07-10-2011, 06:23 PM   #56
malethia
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Default Re: ऐसी की तैसी।

चीकू ने अपने दादा से पूछा कि जब भी मेरे से कोई गलती हो जाती है तो आप झट से कह देते हो कि तेरी ऐसी की तैसी। आखिर यह ऐसी की तैसी होती क्या है? दादा ने चीकू को बड़े ही प्यार से समझाया कि ऐसी की तैसी कुछ नहीं, केवल एक मुहावरा है लेकिन यह तुम्हारे जैसे अक्ल के अंधे को समझ नहीं आ सकता।
इतना सुनते ही चीकू जोर जोर से रोते हुए अपनी मां से बोला कि दादा जी मुझे अंधा कह रहे हैं। अपने कलेजे के टुकड़े की आंखों में आंसू देखते ही चीकू की मां का खून खौलने लगा। उसने बात की गहराई को समझे बिना कांव-कांव करते हुए दादा के कलेजे में आग लगा दी।
दादा ने एक तीर से दो शिकार करते हुए अपनी बहू को डांटते हुए कहा कि लगता है कि बच्चों के साथ तुम्हारी अक्ल भी घास चरने गई है। न जाने इस परिवार का क्या होगा जहां हर कोई खुद को नहले पर दहला समझता है। बहू तुम तो अच्छी पढ़ी लिखी हो। मुझे तुम से यह कदापि उम्मीद नहीं थी कि तुम कान की इतनी कच्ची हो। मैं तो तुम्हारे बेटे को सिर्फ मुहावरों के बारे में बताने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मेरी बातें तो तुम लोगों के सिर के ऊपर से ही निकल जाती है।
इतना कहते-कहते दादा जी की सांस फूलने लगी थी परंतु उन्होंने अपनी बात जारी रखते हुए कहा कि मुहावरे किसी भी भाषा की नींव के पत्थर की तरह होते हैं जो उसे जिंदा रखने में मदद करते हैं। सारा गांव मेरी इतनी इज्जत करता है लेकिन तुम्हारे लिए तो मैं घर की उस मुर्गी की तरह हंू जिसे दाल बराबर समझते है। लोग तो अच्छी बात सीखने के लिए गधे को भी बाप बना लेते हैं।
इससे पहले कि दादा मुहावरों के बारे में और भाषण देते, चीकू ने कहा कि लोग गधे को ही क्यूं बाप बनाते हैं, हाथी या घोड़े को क्यूं नही? दादा जी ने प्यार से चीकू को समझाया कि सभी मुहावरे किसी न किसी व्यक्ति के अनुभव पर आधारित होते हुए हमारी भाषा को गतिशील और रूचिकर बनाने के लिये होते है। हां, कुछ मुहावरे ऐसे होते हैं जो किसी एक खास धर्म और जाति के लोगों पर लागू नहीं होते।
चीकू ने हैरान होते हुए पूछा कि यह कैसे मुमकिन है? दादा जी ने चीकू को बताया कि अब एक मुहावरा है सिर मुंड़ाते ही ओले पड़े। यह मुहावरा किसी तरह भी सिख लोगों पर लागू नहीं होता क्योंकि सिर तो सिर्फ हिंदू लोग ही मुंडवाते हैं। ऐसा ही एक और मुहावरा है, कल जब मैं रात को क्लब से रम्मी खेल कर आया तो मेरी हजामत हो गई। इतना तो आप भी मानते होंगे कि सब कुछ मुमकिन हो सकता है लेकिन किसी सरदार जी की हजामत करने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता।
अजी जनाब आप ठहरिये तो सही, अभी एक और बहुत बढ़िया मुहावरा आपको बताना है, वो है हुक्का पानी बंद कर देना। अब सिख लोग ऐसी चीजों का इस्तेमाल करते ही नहीं तो उनका हुक्का पानी कैसे बंद हो सकता है? इतना सुनते ही चीकू ने दांतों तले उंगली दबाते हुए दादा से पूछा कि अगर आपको उंगली दबानी पड़े तो कहां दबाओगे क्योंकि आप के दांत तो हैं नही?
यही नहीं, ऐसे बहुत से और भी मुहावरे हैं जिन को बनाते समय लगता है, हमारे बुजुर्गों ने बिल्कुल ध्यान नहीं दिया। सदियों पहले इनके क्या मायने थे, यह तो मैं नहीं जानता लेकिन आज के वक्त में तो इनके मतलब बिल्कुल बदल चुके हैं। एक बहुत ही पुराना लेकिन बड़ा ही मशहूर मुहावरा है कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी। अरे भैया, नाचने के लिए राधा को नौ मन तेल की क्या जरूरत पड़ गई? अगर नाचने वाली जगह पर थोड़ा सा भी तेल गिर जाये तो राधा तो बेचारी फिसल कर गिर नहीं जायेगी। वैसे भी आज के इस महंगाई के दौर में नौ मन तेल लाना किस के बस की बात है? घर के लिये किलो-दो किलो तेल लाना ही आम आदमी को भारी पड़ता है।
दादा ने चीकू से एक और मुहावरे की बात करते हुए कहा कि यह मुहावरा है बिल्ली और चूहे का। मैं बात कर रहा हूँ 100 चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। अब कोई मुहावरा बनाने वाले से यह पूछे कि क्या उसने गिनती की थी कि बिल्ली ने हज पर जाने से पहले कितने चूहे खाये थे? क्या बिल्ली ने हज में जाते हुए रास्ते में कोई चूहा नहीं खाया। अगर उसने कोई चूहा नहीं खाया तो रास्ते में उसने क्या खाया था? वैसे क्या कोई यह बता सकता है कि बिल्लियां हज करने जाती कहां है? कुछ भी हो, यह बिल्ली तो बड़ी हिम्मत वाली होगी जो 100 चूहे खाकर हज को चली गई।
अब जौली अंकल अपनी मुहावरों की बात को यही खत्म करना चाहते हैं नहीं तो कुछ लोग ऐसे डर कर गायब हो जायेंगे जैसे गधे के सिर से सींग। जी हां, मैं बात कर रहा हंू दौड़ने भागने की। इससे पहले कि अब आप मेरे मुहावरों की ऐसी की तैसी करें, मैं तो यहां से 9 दो 11 हो जाता हूं।
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Old 07-10-2011, 06:29 PM   #57
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चीकू ने अपने दादा से पूछा कि जब भी मेरे से कोई गलती हो जाती है तो आप झट से कह देते हो कि तेरी ऐसी की तैसी। आखिर यह ऐसी की तैसी होती क्या है? दादा ने चीकू को बड़े ही प्यार से समझाया कि ऐसी की तैसी कुछ नहीं, केवल एक मुहावरा है लेकिन यह तुम्हारे जैसे अक्ल के अंधे को समझ नहीं आ सकता।

..................
अब जौली अंकल अपनी मुहावरों की बात को यही खत्म करना चाहते हैं नहीं तो कुछ लोग ऐसे डर कर गायब हो जायेंगे जैसे गधे के सिर से सींग। जी हां, मैं बात कर रहा हंू दौड़ने भागने की। इससे पहले कि अब आप मेरे मुहावरों की ऐसी की तैसी करें, मैं तो यहां से 9 दो 11 हो जाता हूं।
तारा बाबू, बहुत खूब....
आपने तो "ऐसी की तैसी" पर "चार चाँद" लगा दिये।
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Old 07-10-2011, 06:44 PM   #58
malethia
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धन्यवाद अरविन्द भाई, ये तो आप लोगो की संगत का असर है !
कुछ यहाँ वहां से मार लेते है !
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Old 25-04-2014, 04:34 PM   #59
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Question Re: ऐसी की तैसी।

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ये निमत्रण पत्र सावधानी से स्वीकार करे
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Old 05-06-2014, 11:17 AM   #60
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एक बेकार आदमी ने ‘ऑफिस-बॉय’ की जोब के लिए माईक्रोसोफ्ट में अर्जी दी. वहां की एचआर मैनेजर ने उसे देखा और उस बंदे को इंटरव्यु के लिए बुलाया.
इ मेल पता होता तो उसे अपनी क़ाबलियत का पता नहीं चलता,जिसकी किस्मत में जो होता है वही मिलता है यारो
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"The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..."
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