29-07-2014, 04:01 PM | #111 |
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144 |
Re: ज़रा इधर भी...
इसलिए मैं पांच वक़्त की नमाज़ नहीं पढ़ता और न ही मैं पूजा करता हूं।” लेकिन उनके घर में पिछले 125 साल से दुर्गा पूजा का आयोजन होता है। मैं जब उनसे मिलने गया तो मुझे घर के बाहर इफ़्तार के लिए ले गए। ठीक उस जगह पर जहां हिन्दुओं का इलाका ख़त्म होता है और मुसलमानों का इलाक़ा शुरू होता है, वहीं एक छोटा सा भोजनालय है जो पिछले 55 वर्षों से मित्रा का प्रिय स्थान है। मित्रा बताते हैं, “मुझे याद है जब यहां मैंने पहली बार गोमांस खाया था। करीब पचास साल पहले की बात है। ये भोजनालय पहले बिल्कुल अलग था, अब तो इसमें काफी बदलाव आ गया है। अब आपको यहां गोमांस नहीं मिलेगा क्योंकि ये लोग अब हिन्दू ग्राहकों को भी अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।”
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
29-07-2014, 04:02 PM | #112 |
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144 |
Re: ज़रा इधर भी...
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
29-07-2014, 04:03 PM | #113 |
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144 |
Re: ज़रा इधर भी...
हम लोगों की बातचीत जैसे ही शुरू हुई, भोजनालय के साथ ही लगी मस्जिद से अज़ान की आवाज़ आने लगी। इसी के साथ इफ़्तार का वक़्त हो गया और मित्रा भी अन्य रोज़ेदारों के साथ वहां बैठ गए।
भोजनालय के मालिक नईमुद्दीन मित्रा को कई दशक से जानते हैं। वो कहते हैं, “जब हमने पहली बार सुना कि मित्रा भी हम लोगों की तरह रोज़ा रखते हैं तो हमने इसका स्वागत किया।” सामान्य तौर पर मित्रा घर पर ही रोज़ा तोड़ते हैं लेकिन कभी-कभी वो यहां भी आते हैं। रमज़ान के अलावा मित्रा मार्च-अप्रैल के महीने में भी व्रत रखते हैं। इसकी वजह वे बताते हैं, “एक बार मेरी पत्नी ने मुझसे पूछा कि हिन्दू होकर आप रोज़ा रखते हैं, लेकिन अपने धर्म से जुड़ा कोई व्रत आप क्यों नहीं रखते। तो ये बात मुझे लग गई। मैंने कहा कि अब मैं चैत्र के महीने में व्रत रखूंगा जब बंगाल के भूमिहीन श्रमिक गजन नाम का एक स्थानीय त्योहार मनाते हैं। इस तरह से मैं साल में दो महीने व्रत रखता हूं।” और व्रत के दौरान मित्रा संगीत और किताबों के साथ ही रहना पसंद करते हैं।
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
30-07-2014, 09:20 AM | #114 |
Special Member
Join Date: Mar 2014
Location: heart of rajasthan
Posts: 4,118
Rep Power: 44 |
Re: ज़रा इधर भी...
मित्रा जी जीवनी लाजवाब है ,धन्यवाद मित्र
__________________
Disclaimer......! "The Forum has given me all the entries are not my personal opinion .....! Copy and paste all of the amazing ..." |
30-07-2014, 08:44 PM | #115 |
Super Moderator
Join Date: Aug 2012
Location: Faridabad, Haryana, India
Posts: 13,293
Rep Power: 242 |
Re: ज़रा इधर भी...
मित्रा जी का जीवन दूसरे लोगों के लिये एक उदाहरण है. सर्वधर्म समभाव में ही देश का भला है.
__________________
आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
09-08-2014, 03:55 PM | #116 |
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144 |
Re: ज़रा इधर भी...
बच्चियों की पहचान का अनोखा तरीका
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
09-08-2014, 03:55 PM | #117 |
VIP Member
Join Date: Nov 2012
Location: MP INDIA
Posts: 42,448
Rep Power: 144 |
Re: ज़रा इधर भी...
लंदन। एक साल की तीन छोटी जुड़वां बच्चियों की परवरिश उनके माता-पिता के लिए सिरदर्द बन गई। दरअसल उन तीनों की शक्लें आपस में अभी इतनी मिलती-जुलती है कि वह भी धोखा खा जाते हैं। इस चक्कर में गलत पहचान के चलते एक बच्ची दिन में चार बार दूध पाती और दूसरी भूखी रह जाती। रोज इस तरह की परेशानियों से तंग आने के बाद समस्या से निपटने के लिए उन्होंने एक नायाब तरीका खोज निकाला है। अब उन्होंने उन तीनों के पैरों के अंगूठे के नाखूनों पर अलग-अलग रंगों की नेलपॉलिश लगानी शुरू कर दी है। ऐसा करने से पहचानने के संकट से काफी हद तक उनको निजात मिल गई है।
__________________
मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !! दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !! |
Bookmarks |
|
|