14-07-2014, 07:52 PM | #1 |
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।।जीना ही देर से शुरू करते है।।
एक बार एक लड़की कार चला रही थी और पास में उसके पिताजी बैठे थे. राह में एक भयंकर तूफ़ान आया और लड़की ने पिता से पूछा -- अब हम क्या करें? पिता ने जवाब दिया -- कार चलाते रहो. तूफ़ान में कार चलाना बहुत ही मुश्किल हो रहा था, तूफ़ान और भयंकर होता जा रहा था. अब मैं क्या करू ? -- लड़की ने पुनः पूछा. कार चलाते रहो. -- पिता ने पुनः कहा. थोड़ा आगे जाने पर लड़की ने देखा की राह में कई वाहन तूफ़ान की वजह से रुके हुए थे...... उसने फिर अपने पिता से कहा -- मुझे कार रोक देनी चाहिए.......मैं मुश्किल से देख पा रही हूँ....... यह भयंकर है और प्रत्येक ने अपना वाहन रोक दिया है....... उसके पिता ने फिर निर्देशित किया -- कार रोकना नहीं. बस चलाते रहो.... तूफ़ान ने बहुत ही भयंकर रूप धारण कर लिया था किन्तु लड़की ने कार चलाना नहीं छोड़ा.......... और अचानक ही उसने देखा कि कुछ साफ़ दिखने लगा है......... कुछ किलो मीटर आगे जाने के पश्चात लड़की ने देखा कि तूफ़ान थम गया और सूर्य निकल आया...... अब उसके पिता ने कहा -- अब तुम कार रोक सकती हो और बाहर आ सकती हो........ लड़की ने पूछा -- पर अब क्यों? पिता ने कहा -- जब तुम बाहर आओगी तो देखोगी कि जो राह में रुक गए थे, वे अभी भी तूफ़ान में फंसे हुए हैं...... चूँकि तुमने कार चलाने का प्रयत्न नहीं छोड़ा, तुम तूफ़ान के बाहर हो...... यह किस्सा उन लोगों के लिए एक प्रमाण है जो कठिन समय से गुजर रहे हैं......... मजबूत से मजबूत इंसान भी प्रयास छोड़ देते हैं........किन्तु प्रयास कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए....... निश्चित ही जिन्दगी का कठिन समय गुजर जायेंगे और सुबह के सूर्य की भांति चमक आपके जीवन में पुनः आयेगी.......!!!!! ऐसा नहीं है की जिंदगी बहुत छोटी है। दरअसल हम जीना ही बहुत देर से शुरू करते हैं।
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15-07-2014, 09:42 AM | #2 |
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Re: ।।जीना ही देर से शुरू करते है।।
मुश्किल में हिम्मत नही टूटनी चाहिए ,यहाँ आपने बहुत ही शिक्षादायक कहानी पेश की है ,जिससे हम बहुत कुछ सिख सकते है !धन्यवाद मित्र
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15-07-2014, 09:46 PM | #3 |
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Re: ।।जीना ही देर से शुरू करते है।।
एक सुन्दर प्रेरक प्रसंग. मैं रफ़ीक जी के विचारों से सहमत हूँ.
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16-07-2014, 03:31 PM | #4 |
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Re: ।।जीना ही देर से शुरू करते है।।
एक बार पढ़े ज़रूर बाहर बारिश हो रही थी और अन्दर क्लास चल रही थी ,तभी टीचर ने बच्चों से पूछा कि अगर तुम सभी को 100-100 रुपये दिए जाए तो तुम सब क्या क्या खरीदोगे ? किसी ने कहा कि मैं वीडियो गेम खरीदुंगा,
किसी ने कहा मैं क्रिकेट का बेट खरीदुंगा , किसी ने कहा कि मैं अपने लिए प्यारी सी गुड़िया खरीदुंगी, तो किसी ने कहा मैं बहुत सी चॉकलेट्स खरीदुंगी | एक बच्चा कुछ सोचने में डुबा हुआ था ,टीचर ने उससे पुछा कि तुम क्या सोच रहे हो ?तुम क्या खरीदोगे ?बच्चा बोला कि टीचर जी,मेरी माँ को थोड़ा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के लिए एक चश्मा खरीदूंगा *। टीचर ने पूछाः तुम्हारी माँ के लिए चश्मा तो तुम्हारे पापा भी खरीद सकते है, तुम्हें अपने लिए कुछ नहीं खरीदना ? बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी। गला भर आया | बच्चे ने कहा कि मेरे पापा अब इस दुनिया में नहीं है | मेरी माँ लोगों के कपड़े सिलकर मुझे पढ़ाती है और कम दिखाई देने की वजह से वो ठीक से कपड़े नहीं सिल पाती है इसीलिए मैं मेरी माँ को चश्मा देना चाहता हुँ ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ,बड़ा आदमी बन सकूँ और माँ को सारे सुख दे सकूँ.
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30-07-2014, 03:13 PM | #5 |
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Re: ।।जीना ही देर से शुरू करते है।।
एक भिखारी सुबह-सुबह भीख मांगने निकला। चलते समय उसने अपनी झोली में जौ के मुट्ठी भर दाने डाल दिए, इस टोटके या अंधविश्वास के कारण कि भिक्षाटन के लिए निकलते समय भिखारी अपनी झोली खाली नहीं रखते। थैली देखकर दूसरों को भी लगता है कि इसे पहले से ही किसी ने कुछ दे रखा है।
पूर्णिमा का दिन था, भिखारी सोच रहा था कि आज अगर ईश्वर की कृपा होगी तो मेरी यह झोली शाम से पहले ही भर जाएगी। अचानक सामने से राजपथ पर उसी देश के राजा की सवारी आती हुई दिखाई दी। भिखारी खुश हो गया। उसने सोचा कि राजा के दर्शन और उनसे मिलने वाले दान से आज तो उसके सारे दरिद्र दूर हो जाएंगे और उसका जीवन संवर जाएगा। जैसे-जैसे राजा की सवारी निकट आती गई, भिखारी की कल्पना और उत्तेजना भी बढ़ती गई। जैसे ही राजा का रथ भिखारी के निकट आया, राजा ने अपना रथ रूकवाया और उतर कर उसके निकट पहुंचे। भिखारी की तो मानो सांसें ही रूकने लगीं, लेकिन राजा ने उसे कुछ देने के बदले उल्टे अपनी बहुमूल्य चादर उसके सामने फैला दी और उससे भीख की याचना करने लगा। भिखारी को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें। अभी वह सोच ही रहा था कि राजा ने पुनः याचना की। भिखारी ने अपनी झोली में हाथ डाला मगर हमेशा दूसरों से लेने वाला मन देने को राजी नहीं हो रहा था। जैसे-तैसे करके उसने दो दाने जौ के निकाले और राजा की चादर में डाल दिए। उस दिन हालांकि भिखारी को अधिक भीख मिली, लेकिन अपनी झोली में से दो दाने जौ के देने का मलाल उसे सारा दिन रहा। शाम को जब उसने अपनी झोली पलटी तो उसके आश्चर्य का सीमा न रही। जो जौ वह अपने साथ झोली में ले गया था, उसके दो दाने सोने के हो गए थे। अब उसे समझ में आया कि यह दान की महिमा के कारण ही हुआ। वह पछताया कि - काश! उस समय उसने राजा को और अधिक जौ दिए होते लेकिन दे नहीं सका, क्योंकि उसकी देने की आदत जो नहीं थी।
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30-07-2014, 04:10 PM | #6 |
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Re: ।।जीना ही देर से शुरू करते है।।
किसी गाँव मे एक साधु रहा करता था ,वो जब भी नाचता तो बारिस होती थी . अतः गाव के लोगों को जब भी बारिस की जरूरत होती थी,तो वे लोग साधु के पास जाते और उनसे अनुरोध करते की वे नाचे , और जब वो नाचने लगता तो बारिस ज़रूर होती.
कुछ दिनों बाद चार लड़के शहर से गाँव मेंघूमने आये, जब उन्हें यह बात मालूम हुई की किसी साधू के नाचने से बारिस होती है तो उन्हें यकीन नहीं हुआ . शहरी पढाई लिखाई के घमंड में उन्होंने गाँव वालों को चुनौती दे दी कि हम भी नाचेंगे तो बारिस होगी और अगर हमारे नाचने से नहीं हुई तो उस साधु के नाचने से भी नहीं होगी.फिर क्या था अगले दिन सुबह-सुबह ही गाँव वाले उन लड़कों को लेकर साधु की कुटिया पर पहुंचे. साधु को सारी बात बताई गयी , फिर लड़कों ने नाचना शुरू किया , आधे घंटे बीते और पहला लड़का थक कर बैठ गया पर बादल नहीं दिखे , कुछ देर में दूसरे ने भी यही किया और एक घंटा बीतते-बीतते बाकी दोनों लड़के भी थक कर बैठ गए, पर बारिश नहीं हुई. अब साधु की बारी थी , उसने नाचना शुरू किया, एक घंटा बीता, बारिश नहीं हुई, साधुनाचता रहा …दो घंटा बीता बारिश नहीं हुई….पर साधु तो रुकने का नाम ही नहीं लेरहा था ,धीरे-धीरे शाम ढलने लगी कि तभी बादलों की गड़गडाहत सुनाई दी और ज़ोरों की बारिश होने लगी . लड़के दंग रह गए और तुरंत साधु से क्षमा मांगी और पूछा- ” बाबा भला ऐसा क्यों हुआ कि हमारे नाचनेसे बारिस नहीं हुई और आपके नाचने से हो गयी ?” साधु ने उत्तर दिया – ” जब मैं नाचता हूँ तो दो बातों का ध्यान रखता हूँ , पहली बातमैं ये सोचता हूँ कि अगर मैं नाचूँगा तो बारिस को होना ही पड़ेगा और दूसरी ये कि मैं तब तक नाचूँगा जब तक कि बारिस न हो जाये .” Friends सफलता पाने वालों में यही गुण विद्यमान होता है वो जिस चीज को करते हैंउसमे उन्हें सफल होने का पूरा यकीन होता है और वे तब तक उस चीज को करते हैं जब तक कि उसमे सफल ना हो जाएं. इसलिए यदि हमें सफलता हांसिल करनी है तो उस साधु की तरह ही अपने लक्ष्य को प्राप्त करना होगा.
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14-08-2014, 02:45 PM | #7 |
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Re: ।।जीना ही देर से शुरू करते है।।
कौन ज्यादा कीमती ??
======================= एक बहुत छोटी सी बच्ची ने अपनी मम्मी से पूछा - क्या आप कभी अपना रुपयों से भरा पर्स नौकरानी के पास छोड सकती हैं ?? मम्मी ने लिपस्टिक लगाते हुए बोला - पर्स और नौकरानी के पास !! बिल्कुल नही !! मतलब ही नही !! सवाल ही नही !! फिर बच्ची ने बहुत मासूमियत से पूछा - फिर 'मुझे' नौकरानी के पास कैसे छोड सकती हो ??
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