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#31 | |
Administrator
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बिलकुल लाख टके की बात. ![]() ![]() |
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#33 |
VIP Member
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व्यकित ने पूछा - अच्छाई क्या है ?
जानकार ने कहा- जिस मे बुराई का समावेश कम है उसे अच्छाई कहते है. फ़िर बुराई क्या है ? जानकार ने कहा- जिस मे अच्छाई का समावेश कम है उसे बुराई कहते है. व्यकित ने पूछा - तो क्या दुनियां मिलावटी है जानकार ने कहा- नही तो मिलावटी बिल्कुल नही. व्यकित ने पूछा - फ़िर इसे क्या कहेगे ? जानकार ने कहा - दुनियां मे ऐसी बहुत सी बाते, रिश्ते, दर्द, और फ़र्ज़ ये सभी एक दूसरे के पूरक है यदि इनके पूरक नही होगे तो इनका भी कोई महत्व नही होगा इस लिये अपने स्वभाव को दुनियां के अनुसार बनाओ मगर उसमे घुल मत जाना वरना लोग तुम्हारी पहचान को वो नाम नही देगे जिसके तुम वाकई मे हकदार हो.
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Disclaimer......! "फोरम पर मेरे द्वारा दी गयी सभी प्रविष्टियों में मेरे निजी विचार नहीं हैं.....! ये सब कॉपी पेस्ट का कमाल है..." click me
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#34 | |
Special Member
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Self-Banned. Missing you guys! मुझे तोड़ लेना वन-माली, उस पथ पर तुम देना फेंक|फिर मिलेंगे| ![]() मातृभूमि पर शीश चढ़ाने जिस पथ जाएं वीर अनेक|| |
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#35 |
VIP Member
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लालची बुढिया !!
किसी गावं में एक सास और बहू रहती थी . सास बहुत दुस्ट थी और अपने बहू को बहुत सताती थी . बहू बेचारी सीधी साधी सास के अत्याचारों को सहती रहती थी . एक दिन तीज का त्यौहार था बहू अपने पति की लम्बी उम्र के लिए ब्रत थी . मुहल्ले की सभी औरते अच्छे अच्छे पकवान बना रही थी . नए नए कपड़े पहन कर और सज सवार कर मन्दिर जाने की तैयारी कर रही थी . पर सास ने अपनी बहू से कहा - अरे कलमुही तू बैठे बैठे यहाँ क्या कर रही है जा खेत में मक्का लगा है , कौवे और तोते फसल नस्ट कर रहे है जा कर उन्हें उडा. बहू ने कहा माँ आज मेरा ब्रत है मै तो पूजा की तैयारी कर रही थी, आज मुझे मन्दिर जाना है . सास ने कहा - तू सज सज सवर कर मन्दिर जा कर क्या करेगी, कौन सा जग जित लेगी , बहू को गालिया देने लगी . बहू बेचारी क्या करती मन मार कर जाना पड़ा लेकिन उसे रोना आ रहा था उसकी आँखे भर आई , वह और औरतों को मन्दिर जाते देख रही थी , औरतें मंगल गीत गा रही थी . उसके सब अरमान पलकों से टपक रहे थे . वह आज सजना चाहती थी , अपने पति के नाम की चुडिया पहनना चाहती थी , माग में अपने पति के नाम का सिंदूर लगाना चाहती थी और वह साड़ी पहनना चाहती थी जो उसके पति ने उसे अपनी पहली कमाई पर दिया था, आज उसके लिए मंगल कामना इश्वर के चरणों में जा कर करना चाहती थी . वह अन्दर ही अन्दर रो रही थी और खेत की तरफ़ जा रही थी , खेत पर पंहुच कर , को - कागा - को , यहाँ ना आ , मेरा ना खा - कही और जा जा कहती जा रही थी . उसी समय पृथिवी पर शंकर और पार्वती जी भ्र्मद करने निकले थे , पार्वती जी को बहू का रोना देख कर ह्रयद भर आया और उन्होंने शिव जी से कहा की नाथ देखिये तो कोई अबला नारी रो रही है . रूप बदल कर शंकर और पार्वती जी बहू के पास पंहुचे और पूछा की बेटी क्या बात है ? क्यू रो रही हो ? क्या कस्ट है तुम्हे तो वह बोली की मै अपनी किस्मत पर रो रही हूँ . आज तीज का ब्रत है गाव की सारी औरते पूजा पाठ कर रही है और मेरी सास ने मुझे यहाँ कौवे उड़ने के लिए भेज दिया है और मै अभागी यहाँ कौवे उडा रही हूँ . भोले बाबा को बहू पर दया आ गई उन्होंने बहू को ढेर सारे गहने और चंडी और सोने के सिक्के दे कर कर कहा की तुम धर जाओ और अपनी पूजा करो , मै तुम्हरे खेत की देख भाल करूँगा .जब बहू धर पहुँची तो बहू के पास इतना धन देख कर आश्चय चकित रह गई . बहू ने सारी बात सास को बता दी . सास बहू से अच्छे से बोली अच्छा तू जा कर पूजा कर ले और अगले साल मै जाउंगी खेत की रखवाली करने जाउनी . अगले साल जब तीज आई बुढिया तैयार हो कर खेत पर पहुँच गई और खूब तेज तेज रोने लगी , ठीक उसी समय शंकर और पार्वती उधर से गुजर रहे थे और उन्होंने ने पूछा की क्या बात है तो उस बुढिया ने बताया की मेरी बहू मुझे बहुत परेशान करती है और उसने आज भी उसने मुझे खेत की रखवाली के लिए भेज दिया जबकि आज मेरा ब्रत है . भगवान शंकर उस बुढिया को समझ गए और उन्होंने ने कहा तुम घर जाओ , तो बुढिया ने कहा की आपने मुझे कुछ दिया नही तो भोले बाबा ने कहा की धर जाओ तुम्हे मिल जायेगा . जब वह घर पहुची तो उसके पुरे शरीर में छाले पड़ गए . बुढिया बहू को गलिया देने लगी . बहू ने पूछा तो बुढिया ने पुरी कहानी बताई , तब बहू ने कहा की भगवान हमेशा सरल, सच्चे और भोले भाले लोगों की ही सहायता करते है , लालची लोगो की नही .
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#36 |
Special Member
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बहुत बढिया एक शिक्षाप्रद कहानी के लिये
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Gaurav kumar Gaurav |
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#37 |
Member
![]() Join Date: Feb 2011
Posts: 55
Rep Power: 14 ![]() |
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नीम के पेड़ की कहानी बताये
या मालूम है आपको ? |
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#38 |
Banned
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Location: राँची, झारखण्ड
Posts: 3,682
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#39 |
VIP Member
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एक व्यक्ति अपनी मधुर वाणी के कारण बहुत जाना जाता था और वो अपने
दुश्मनों के साथ भी बड़ी नम्रता से पेश आता था | एक दिन उसके मित्र ने उससे शिकायत की - तुम अपने दुश्मनों के साथ भी मित्रों जैसा व्यवहार करते हो , जब कि तुम्हे उन लोगो को खत्म कर देना चाहिए | पहले मित्र ने मधुर वाणी में कहा " क्या मै उन्हें अपना दोस्त बनाकर अपने दुश्मनों को खत्म नहीं कर सकता ?"
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#40 |
VIP Member
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एक गिरगिट ने दुसरे से कहा-
तुम कितनी जल्दी रंग बदल लेते हो ? दूसरा गिरगिट बोला - मै तो गिरगिट हूँ मुझसे भी पहले कोई रंग बदलता है जिसे हम इंसान कहते हैं .
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