28-10-2014, 01:22 PM | #11 |
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Re: खुद का विकास करिए
एक आदमी कहीं से गुजर रहा था, तभी उसने सड़क के किनारे बंधे हाथियों को देखा, और अचानक रुक गया. उसने देखा कि हाथियों के अगले पैर में एक रस्सी बंधी हुई है, उसे इस बात का बड़ा अचरज हुआ की हाथी जैसे विशालकाय जीव लोहे की जंजीरों की जगह बस एक छोटी सी रस्सी से बंधे हुए हैं!!! ये स्पष्ठ था कि हाथी जब चाहते तब अपने बंधन तोड़ कर कहीं भी जा सकते थे, पर किसी वजह से वो ऐसा नहीं कर रहे थे. उसने पास खड़े महावत से पूछा कि भला ये हाथी किस प्रकार इतनी शांति से खड़े हैं और भागने का प्रयास नही कर रहे हैं ? तब महावत ने कहा, ” इन हाथियों को छोटे पर से ही इन रस्सियों से बाँधा जाता है, उस समय इनके पास इतनी शक्ति नहीं होती की इस बंधन को तोड़ सकें. बार-बार प्रयास करने पर भी रस्सी ना तोड़ पाने के कारण उन्हें धीरे-धीरे यकीन होता जाता है कि वो इन रस्सियों नहीं तोड़ सकते,और बड़े होने पर भी उनका ये यकीन बना रहता है, इसलिए वो कभी इसे तोड़ने का प्रयास ही नहीं करते.” आदमी आश्चर्य में पड़ गया कि ये ताकतवर जानवर सिर्फ इसलिए अपना बंधन नहीं तोड़ सकते क्योंकि वो इस बात में यकीन करते हैं!! इन हाथियों की तरह ही हममें से कितने लोग सिर्फ पहले मिली असफलता के कारण ये मान बैठते हैं कि अब हमसे ये काम हो ही नहीं सकता और अपनी ही बनायीं हुई मानसिक जंजीरों में जकड़े-जकड़े पूरा जीवन गुजार देते हैं. याद रखिये असफलता जीवन का एक हिस्सा है ,और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है. यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधें हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए….. आप हाथी नहीं इंसान हैं.
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29-10-2014, 11:01 AM | #12 |
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Re: खुद का विकास करिए
किसी गाँव में एक दिन कुश्ती स्पर्धा का आयोजन किया गया । हर साल की तरह इस साल भी दूर -दूर से बड़े-बडें पहलवान आये । उन पहलवानो में ऐक पहलवान ऐसा भी था, जिसे हराना सब के बस की बात नहीं थी। जाने-माने पहलवान भी उसके सामने ज्यादा देर टिक नही पाते थे।
स्पर्धा शुरू होने से पहले मुखिया जी आये और बोले , ” भाइयों , इस वर्ष के विजेता को हम 3 लाख रूपये इनाम में देंगे। “ इनामी राशि बड़ी थी , पहलावन और भी जोश में भर गए और मुकाबले के लिए तैयार हो गए।कुश्ती स्पर्धा आरंभ हुई और वही पहलवान सभी को बारी-बारी से चित्त करता रहा । जब हट्टे-कट्टे पहलवान भी उसके सामने टिक ना पाये तो उसका आत्म-विश्वास और भी बढ़ गया और उसने वहाँ मौजूद दर्शकों को भी चुनौती दे डाली – ” है कोई माई का लाल जो मेरे सामें खड़े होने की भी हिम्मत करे !! … “ वही खड़ा एक दुबला पतला व्यक्ति यह कुश्ती देख रहा था, पहलवान की चुनौती सुन उसने मैदान में उतरने का निर्णय लिया,और पहलावन के सामें जा कर खड़ा हो गया। यह देख वह पहलवान उस पर हँसने लग गया और उसके पास जाकर कहाँ, तू मुझसे लडेगा…होश में तो है ना? तब उस दुबले पतले व्यक्ति ने चतुराई से काम लिया और उस पहलवान के कान मे कहाँ, “अरे पहलवानजी मैं कहाँ आपके सामने टिक पाऊगां,आप ये कुश्ती हार जाओ मैं आपको ईनाम के सारे पैसे तो दूँगा ही और साथ में 3लाख रुपये और दूँगा,आप कल मेरे घर आकर ले जाना। आपका क्या है , सब जानते हैं कि आप कितने महान हैं , एक बार हारने से आपकी ख्याति कम थोड़े ही हो जायेगी…” कुश्ती शुरू होती है ,पहलवान कुछ देर लड़ने का नाटक करता है और फिर हार जाता है। यह देख सभी लोग उसकी खिल्ली उड़ाने लगते हैं और उसे घोर निंदा से गुजरना पड़ता है। अगले दिन वह पहलवान शर्त के पैसे लेने उस दुबले व्यक्ति के घर जाता है,और 6लाख रुपये माँगता है. तब वह दुबला व्यक्ति बोलता है , ” भाई किस बात के पैसे? “ “अरे वही जो तुमने मैदान में मुझसे देने का वादा किया था। “, पहलवान आश्चर्य से देखते हुए कहता है। दुबला व्यक्ति हँसते हुए बोला “वह तो मैदान की बात थी,जहाँ तुम अपने दाँव-पेंच लगा रहे थे और मैंने अपना… पर इस बार मेरे दांव-पेंच तुम पर भारी पड़े और मैं जीत गया। “ मित्रों , ये कहानी हमें सीख देती है कि थोड़े से पैसों के लालच में वर्षों के कड़े प्ररिश्रम से कमाई प्रतिष्ठा भी कुछ ही पलों में मिटटी मे मिल जातीं है और धन से भी हाथ धोना पड़ता है। अतः हमें कभी अपने नैतिक मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिए और किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से बच कर रहना चाहिए।
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30-10-2014, 10:11 AM | #13 |
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Re: खुद का विकास करिए
एक बार एक छोटा सा लड़का, करीब दस साल का अपनी मनपसंद icecream खाने के लिए एक अच्छे से होटल में गया. उसके पास कुछ पैसे तो the ही.
वो table पर जाकर आराम से बेठ गया. एक waitress आई और उससे प्यार से पूछा, “ आप क्या लेगे sir ? ” बच्चा बड़ी उत्सुकता से उससे पूछ बैठा की sundae icecream के कितने दाम होंगे? waitress ने उसे बताया 45 cent. लड़के ने अपनी जेब को टटोला और पैसे गिनने लगा. वो बहुत देर कर रहा था. waitress अपना धैर्य खोते जा रही थी, क्योंकि दुसरे सभी customers अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे the. बच्चा पैसे गिनने के बाद फिर पूछने लगा. प्लेन icecream के कितने दाम है? waitress ने उससे थोड़ी गर्म आवाज में बोला की 35 cent. बच्चे ने कहा- “ हा मुझे वही चाहिये” फिर waitress ने उसे उसकी पसंद की icecream लाकर दे दी. और बच्चा मजे से खाकर, counter पर पैसे देकर चला गया. waitress जब table साफ करने आई. तो वो वो बहुत दुखी हुई, और रोनी से हो गयी. table साफ करते वक्त उसे टिप के रूप में 10 cent दिखाई दिए. बच्चा उसकी पसंद की icecream इसलिए नहीं माँगा सका था क्योंकि उसे इतनी देर से उसकी खातिर करने वाली waitress के लिए tip भी देनी थी. बात छोटी सी थी, बच्चा अपने प्रति सेवा रखने वाली waitress के लिय कुछ करना चाहता था. वो ज्यादा कुछ नहीं कर सकता था. उसकी उम्र तो बहुत कम थी ही. और पैसे भी ज्यादा नहीं the. पर फिर भी उसने अपनी तरफ से कोशिश की. और खुद को खुश करने के साथ साथ waitress का भी ध्यान रखा. क्या हम भी हमारे जीवन में अपने सबसे प्रिय जनों का ख्याल रखते है. We do have lots of work, yes we are busy, but we shouldn’t turn our work into excuses. हम चाहे तो सभी को उतना ही प्यार और आदर और importance दे सकते है. दे सकते है, अगर अहम चाहे. यदि हम ही अपने तरफ से सोच ले की मेरे पास बहुत काम है, और मैं नहीं कर सकता. तो आप कभी नहीं कर पाएंगे. यह मैं बात समय की कर रहा हूँ. कभी भी किसी पर पूरी दुनिया लुटाने की ज़रूरत नहीं होती है, ये तो नामुमकिन ही है. But the point is, all that you have, आपके पास जितना भी है. थोडा सा भी है. तो क्या आप उसे अपने प्यारे दोस्तों और परिवार के साथ बाटेंगे. चाहे वो खुशिया हो, मस्ती मजाक हो, छोटे छोटे जोक्स हो, या आपका धन. और आपको असल जिंदगी में ज्यादातर प्यार और समय , और अपनी खुशिया ही दुसरो से बाटनी है. पैसे नहीं. पर क्या आप उस छोटे बच्चे की तरह ये कर पायेगे. जी हाँ, कर पाएंगे. यदि आप सोचे और चाहे.
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31-10-2014, 03:46 PM | #14 |
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Re: खुद का विकास करिए
एक बार एक किसान परमात्मा से बड़ा नाराज हो गया ! कभी बाढ़ आ जाये, कभी सूखा पड़ जाए, कभी धूप बहुत तेज हो जाए तो कभी ओले पड़ जाये! हर बार कुछ ना कुछ कारण से उसकी फसल थोड़ी ख़राब हो जाये! एक दिन बड़ा तंग आ कर उसने परमात्मा से कहा ,देखिये प्रभु,आप परमात्मा हैं , लेकिन लगता है आपको खेती बाड़ी की ज्यादा जानकारी नहीं है ,एक प्रार्थना है कि एक साल मुझे मौका दीजिये , जैसा मै चाहू वैसा मौसम हो,फिर आप देखना मै कैसे अन्न के भण्डार भर दूंगा! परमात्मा मुस्कुराये और कहा ठीक है, जैसा तुम कहोगे वैसा ही मौसम दूंगा, मै दखल नहीं करूँगा!
किसान ने गेहूं की फ़सल बोई ,जब धूप चाही ,तब धूप मिली, जब पानी तब पानी ! तेज धूप, ओले,बाढ़ ,आंधी तो उसने आने ही नहीं दी, समय के साथ फसल बढ़ी और किसान की ख़ुशी भी,क्योंकि ऐसी फसल तो आज तक नहीं हुई थी ! किसान ने मन ही मन सोचा अब पता चलेगा परमात्मा को, की फ़सल कैसे करते हैं ,बेकार ही इतने बरस हम किसानो को परेशान करते रहे. फ़सल काटने का समय भी आया ,किसान बड़े गर्व से फ़सल काटने गया, लेकिन जैसे ही फसल काटने लगा ,एकदम से छाती पर हाथ रख कर बैठ गया! गेहूं की एक भी बाली के अन्दर गेहूं नहीं था ,सारी बालियाँ अन्दर से खाली थी, बड़ा दुखी होकर उसने परमात्मा से कहा ,प्रभु ये क्या हुआ ? तब परमात्मा बोले,” ये तो होना ही था ,तुमने पौधों को संघर्ष का ज़रा सा भी मौका नहीं दिया . ना तेज धूप में उनको तपने दिया , ना आंधी ओलों से जूझने दिया ,उनको किसी प्रकार की चुनौती का अहसास जरा भी नहीं होने दिया , इसीलिए सब पौधे खोखले रह गए, जब आंधी आती है, तेज बारिश होती है ओले गिरते हैं तब पोधा अपने बल से ही खड़ा रहता है, वो अपना अस्तित्व बचाने का संघर्ष करता है और इस संघर्ष से जो बल पैदा होता है वोही उसे शक्ति देता है ,उर्जा देता है, उसकी जीवटता को उभारता है.सोने को भी कुंदन बनने के लिए आग में तपने , हथौड़ी से पिटने,गलने जैसी चुनोतियो से गुजरना पड़ता है तभी उसकी स्वर्णिम आभा उभरती है,उसे अनमोल बनाती है !” उसी तरह जिंदगी में भी अगर संघर्ष ना हो ,चुनौती ना हो तो आदमी खोखला ही रह जाता है, उसके अन्दर कोई गुण नहीं आ पाता ! ये चुनोतियाँ ही हैं जो आदमी रूपी तलवार को धार देती हैं ,उसे सशक्त और प्रखर बनाती हैं, अगर प्रतिभाशाली बनना है तो चुनोतियाँ तो स्वीकार करनी ही पड़ेंगी, अन्यथा हम खोखले ही रह जायेंगे. अगर जिंदगी में प्रखर बनना है,प्रतिभाशाली बनना है ,तो संघर्ष और चुनोतियो का सामना तो करना ही पड़ेगा !
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