21-11-2014, 11:23 PM | #1 |
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लघुकथा: कानूनप्रिय मंत्री
लेखक: रजनीश मंगा केन्द्रीय सरकार के मंत्री कानून प्रिय थे इसलिये उन्होंने अपने बाढ़ पीड़ित चुनाव क्षेत्र दौरा रद्द कर दिया. आप पूछेंगे – क्यों भला ? तो बात यह है, भाई साहब, कि अब यह प्रदेश, जिसमें उनका हलका भी शामिल है, ‘सूखा’ क्षेत्र (सूखाग्रस्त क्षेत्र नहीं) करार दिया गया था. सूखा यानि ड्राई, ड्राई यानि मद्यनिषेध वाला क्षेत्र. प्रदेश में पूर्ण नशाबंदी लागू कर दी गयी थी. इधर मंत्री महोदय का यह हाल था कि उन्हें रोटी-पानी मिले न मिले, दारू अवश्य मिलनी चाहिए. यदि वक़्त के तकाज़े को देखते हुये अपने बाढ़ग्रस्त क्षेत्र के दौरे पर जाते हैं तो दौरे के दौरान उन्हें दारू छोडनी पड़ेगी. एक तो वहाँ दारू नहीं मिलेगी और दूसरे पीने की अनुमति भी नहीं होगी. मजबूरी में कानूनप्रिय मंत्री ने बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का दौरा रद्द कर दिया. ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने अपनी पेशेवर सहानुभूति को सीलबंद किया और टीवी पर बाढ़ की तस्वीरें देखने लगे और उनका मुंहलगा चमचा उनकी मनपसंद ब्रेंड की व्हिस्की को गिलास में उंडेल रहा था.
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30-11-2014, 09:53 AM | #2 |
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Re: लघुकथा: कानूनप्रिय मंत्री
very nice story .........
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30-11-2014, 11:43 AM | #3 | |
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Re: लघुकथा: कानूनप्रिय मंत्री
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30-11-2014, 09:00 PM | #4 |
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Re: लघुकथा: कानूनप्रिय मंत्री
मेरी इस छोटी सी कहानी को पढ़ने और उस पर अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया दर्ज करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. हमारे देश में जब तक जनता के प्रतिनिधियों की मनोवृत्ति में परिवर्तन नहीं आता, तब तक प्रशासन में सुशासन आना कठिन है. परिवर्तन की ज़िम्मेदारी जनता की है.
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01-12-2014, 02:32 PM | #5 | |
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Re: लघुकथा: कानूनप्रिय मंत्री
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जी सही कहा आपने ,... जनता के प्रतिनिधि ओ में जब सत्ता की लालच और अभिमान आ जाता है तब ही एइसे रहीसी अंदाज़ उनके हो जाते हैं जो सरासर गलत है. जनता प्रतिनिधि इसलिए चुनती है की वो अपनी कुर्सी संभाले और जनता की सेवा करे किन्तु जनता के द्वारा चुने प्रतिनिधि जनता को ही अपना नौकर बना देते हैं ये हमारी कमनसीबी है . |
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