04-12-2014, 11:00 PM | #1 |
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विवाह कविता : बहना की बिदाई
तू हैं कोमल गुलाब की कली, सूर्य की तीखी किरणों से बनी | तू चाँदनी सुनहरी, प्यारी बहना मेरी | जब तू चली जाएगी, तेरी याद बहुत सतायेगी | तेरे आने की आस दिल में ख़ुशी जगायेगी, कौन मेरी बकवास सुनेगा,कौन मुझे डाट लगायेगा | अब तो ये मन तूझे बार- बार फ़ोन लगायेगा | तू मिलने मुझसे चली आना वरना ये फ़ोन का बिल बहुत आएगा बिल बहुत आएगा || कर्णिका पाठक बहना की बिदाई हिंदी कविता | मेरी प्यारी बहना तेरी शादी की ख़ुशी बहुत हैं मुझे, पर तेरे जाने का गम भी कुछ कम नहीं | तेरे बिना कोई बात याद ही नहीं | प्यार हो या लड़ाई हर पल तुझसे ही सजा हैं, तेरे होने का अहसास ही मेरी ज़िन्दगी का यादगार लम्हा हैं | सोचा तेरी बिदाई को यादगार बना दूँ अपने दिल के अल्फाज़ो को कुछ पंक्तियों में सजा दू | |
04-12-2014, 11:08 PM | #2 |
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Re: विवाह कविता : बहना की बिदाई
कविता जी, वास्तव में आपकी कविता आपके मार्मिक मनोभावों को पूरी सच्चाई से बयान कर रही है. इस सुंदर रचना के लिए आपको बहुत बहुत बधाई.
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) |
05-12-2014, 11:08 AM | #3 |
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Re: विवाह कविता : बहना की बिदाई
आपकी सराहना मुझे आगे बढ़ने मदद करेगी|
धन्यवाद |
05-12-2014, 09:42 PM | #4 |
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Re: विवाह कविता : बहना की बिदाई
कविता जी आपने बहन की बिदाई का बहुत भावपूर्ण वर्णन किया है . आपकी कविताओं का हमे आगे भी इंतज़ार रहेगा ...
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हिंदी कविता, poem in hindi |
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