21-12-2014, 10:16 AM | #11 |
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Re: ये सात बातें गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ बनने
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21-12-2014, 10:17 AM | #12 |
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Re: ये सात बातें गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ बनने
गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने से भगवान श्री कृष्ण के इन कथन का क्या होगा जो उन्होंने गीता में बताया है। क्योंकि राष्ट्रीय ग्रंथ बनने के उन लोगों को भी गीता पढ़ना और सुनना पड़ सकता है जो इसमें श्रद्घा और आस्था नहीं रखते हों। वह भी कृष्ण के उन वचनों को सुनने और पढ़ने के लिए बाध्य हो सकते हैं जो कृष्ण को नहीं मानते।
तो क्या कृष्ण के वचनों को नजर अंदाज करके गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाया जाना उचित होगा?
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21-12-2014, 02:40 PM | #13 |
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Re: ये सात बातें गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ बनने
बहुत सुन्दर विषय यहाँ पर उठाया गया है. रोज नए शगूफे छोड़े जाते हैं. एक ग्रंथ जो सदियों से हमारे बीच है, जिसे भारत ही नहीं विदेशों में भी जाना जाता है, के राष्ट्रीयकरण की घोषणा करना सस्ती लोकप्रियता हासिल करने तथा वोट हासिल करने के टूल से अधिक कुछ नहीं है. गीता किन लोगों को पढनी चाहिए, यदि इस वार्ता को छोड़ भी दिया जाये, तो भी गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने का कोई औचित्य नहीं है? इस मूद्दे से सरकार का कोई सरोकार नहीं होना चाहिए.
अन्य घरों की तरह मेरे यहाँ भी श्रीमदभगवद्गीता की प्रति (बल्कि तीन सटीक प्रतियां) रखी है. साथ ही महात्मा गाँधी द्वारा रचित 'अनासक्तियोग' पुस्तक भी रखी है. अभी हाल ही में जनाब अनवर जलालपुरी साहब ने गीता का उर्दू काव्यानुवाद प्रस्तुत किया है. अतः हम कह सकते हैं कि बगैर सरकारी संरक्षण के भी गीता अपना महत्व बनाये रखने व बचाव करने में समर्थ है. सरकार उन चीजों के संरक्षण की ओर ध्यान दे जिन्हें पहले से 'राष्ट्रीय' घोषित किया हुआ है. उदाहरण के लिए 'बाघ' हमारा राष्ट्रीय पशु है, लेकिन क्या हो रहा है? हर वर्ष उसकी संख्या कम होती जा रही है. उसे चोरी छुपे मारा जा रहा है. सरकार इस ओर ध्यान क्यों नहीं देती?
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आ नो भद्रा: क्रतवो यन्तु विश्वतः (ऋग्वेद) (Let noble thoughts come to us from every side) Last edited by rajnish manga; 21-12-2014 at 03:37 PM. |
21-12-2014, 07:27 PM | #14 |
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Re: ये सात बातें गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ बनने
[QUOTE=Teach Guru;543457]ये सात बातें गीता के राष्ट्रीय ग्रंथ बनने में बाधक तो नहीं?
अगर गीता को राष्ट्रिय ग्रन्थ बनाया जाता है तो संविधान में लिखे धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटाया जाना पड़ेगा एइसा अगर वो कहते हैं तो वें ये बात भूल रहे हैं की गीता में जितने उपदेश भगवन कृष्ण के द्वारा दिए गए हैं उसमे कहीं भी किसी व्यक्तिविशेष के लिए नही कहा है न ही किसी अलग धर्म का नाम लिया गया है गीता तो आपने आप में धर्मनिरपेक्ष एक बेहद विस्तृत ग्रन्थ है जो हरेक मानव के लिए है न की किसी समुदाय के लिए है न किसी एक जाती के लिए है न ही किसी एक विशेष देश के लिए या सिरफ़ भारत के लिए लिखी गई है ये मानव कल्याण के लिए भगवन के द्वारा कहे गए शब्द हैं जो हरेक इन्सi के जीवन से जुड़े हैं क्यूंकि हरेक इन्सान के जीवन में समस्याएं आती ही आती हैं और उनका समाधान भगवद गीता में कर्म और भक्ति के माध्यम से बताया गया है ... और रजनीश जी अपने सही कहा इसका राष्ट्रीयकरण करे या न करे ये अपने आप में एक महँ ग्रन्थ है और सिरफ़ भारत में ही नही विदेशो में भी लोग गीता को बहुतश्रध्धा पूर्वक पढ़ते हैं . और एक बात कहना चाहूंगी की , स्वामी विवेकानंद जी ने ही सबसे पहली बार विदेश में जाकर गीता के बारे लोगो को बताया था और प्रवचन दिए थे गीता के श्लोक के बारे में जिसे विदेश में बेहद सम्मान मिला और दुनिया ने जाना गीता के बारे में ... Last edited by soni pushpa; 21-12-2014 at 07:54 PM. |
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