26-01-2015, 05:02 PM | #21 |
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
ज.सा.म. 2015 में शशि थरूर लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के सांसद व प्रसिद्ध लेखक शशि थरूर, जो पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत के बाद पुलिस पूछताछ के बाद पहली बार किसी समारोह में आये, भी महोत्सव में शिरकत कर रहे थे. उन्होंने वहां उपस्थित लोगों से विभिन्न विषयों पर बातचीत की. अवसर था थरूर की नयी पुस्तक "INDIA SHASTRA: Reflections on the Nation of Our Times" (इंडिया शास्त्र: राष्ट्र की वर्तमान स्थिति पर विमर्श) के विमोचन का. पुस्तक में थरूर के 100 लेखों का संग्रह प्रस्तुत किया गया है जिसमें उन्होंने मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद तक के समय की समीक्षा की है. शशि थरूर ने कई विषयों को ले कर मोदी सरकार की आलोचना की लेकिन आम जनता के मुद्दों से जुड़ाव के कारण सरकार के प्रदर्शन को ले कर उसकी प्रशंसा भी की. धर्म परिवर्तन तथा अन्य विवादास्पद मुद्दों पर बोलने वाले मंत्रियों सांसदों व समूहों (जैसे वीएचपी आदि) पर मोदी कोई बयान नहीं दे रहे हैं. हिन्दुत्ववादी शक्तियों के इस रवैये से विदेशी निवेशक दूर जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि 'स्वच्छ भारत अभियान' जिसे पीएम ने बड़े गाजे-बाजे के साथ शुरू किया था और जिसे जनता ने बहुत पसंद भी किया था सिर्फ एक सालाना फोटो सेशन बन कर ही न गुज़र जाये. आखिर हम इतना कूड़ा कहाँ डंप करेंगे. इसके लिए केंद्र स्तर पर व्यापक योजना बनाई जानी चाहिए. थरूर की पुस्तक को खरीदने के लिए लोगों में ज़बदस्त उत्साह देखने को मिला. उनके हस्ताक्षर वाली प्रति खरीदने के लिए उपस्थित समुदाय में बहुत जोश था.
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26-01-2015, 07:48 PM | #22 |
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
जयपुर साहित्य महोत्सव2015
ज.सा.म. 2015 में एक और विमोचन जहाँ शशि थरूर की पुस्तक की एक सौ प्रतियां एक घंटे के अंदर अंदर ही बिक चुकी थीं और जिस काउंटर पर थरूर अपनी पुस्तक पर हस्ताक्षर कर रहे थे, वहाँ लोगों में होड़ लगी थी. वहीँ हिंदी पुस्तकों की खरीद के प्रति लोगों में अधिक उत्साह देखने में नहीं मिल रहा था. हम बात कर रहे हैं एक हिंदी पुस्तक के विमोचन समारोह की. पुस्तक का नाम है "कुछ धुंधली तस्वीरें" जिसके लेखक हैं विश्वजीत पृथ्वीजीत सिंह और जिसके विमोचन के लिए उपस्थित थे हिंदी के प्रख्यात साहित्यकार, लेखक और कवि अशोक वाजपेयी. इस समारोह में गिनती के लोग दिखाई दे रहे थे. हिंदी के एक अन्य प्रमुख लेखक भी वहां उपस्थित थे. उन्होंने अपनानाम न लिखने की शर्त पर अपना विचार रखते हुए कहा कि यह सिर्फ ब्रैंड मार्केटिंग का कमाल है. थरूर की पुस्तक खरीदने वालों को न तो किताबों से कोई ख़ास लगाव है और न ही इससे कोई वास्ता है कि थरूर ने अपनी पुस्तक में क्या लिखा है? सच्चाई तो यह है कि वे युवा लड़के-लड़कियों में अपनी अपील के कारण बहुत लोकप्रिय हो गए हैं, विशेष रूप से अपनी पत्नी सुनंदा पुष्कर की मृत्यु से जुड़े विवाद के बाद. उन्होंने महोत्सव के बारे में कहा कि यहाँ पर आप अपने पसंदीदा व मशहूर लेखकों से आसानी से मिल सकते हैं और उनसे बात कर सकते हैं. विमोचन स्थल पर ही कॉलेज की एक छात्रा शशि थरूर की पुस्तक हाथ में लिए खड़ी थी. पूछने पर वाल बोली कि मैं उनसे (थरूर से) मिल कर आयी हूँ. वह कितने क्यूट हैं !! मैं पिछले वर्ष भी यहाँ आयी थी और झुम्पा लाहिरी से मिली थी और उनकी किताब “The lowland” खरीद कर ले गयी थी. मैंने उनके साथ एक सेल्फी भी खींची थी. “तो आपने उनकी किताब पढ़ ली?” “नहीं, मुझे किताब पढ़ने का समय ही नहीं मिला.” इस बार भी लेखको या बॉलीवुड के लोगों के साथ सेल्फी खिंचवाने की होड़ लगी थी.
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26-01-2015, 11:26 PM | #23 |
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
बहुत बहुत अच्छी जानकारियाँ मिली आपकी वजह से रजनीश जी अपने कहा था आगे की शुरुवात हो तब ही वो कार्य आगे बढ़ता है पर हरेक कार्य को गति चहिये जिसे(गति) आपने पूरा किया है रजनीश जी और ये सूत्र बड़ा रोचक हो गया . बहुत बहुत धन्यवाद .
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29-01-2015, 09:59 PM | #24 |
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
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ज.सा.म. 2015 में वहीदा रहमान वहीदा रहमान के सत्र के दौरान हल्की बूंदाबांदी के बीच युवा साहित्य प्रेमी बिना छाते के ही उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से सुनते रहे। जैसे ही वहीदा मंच पर आई तो उनकी फिल्म का गाना 'चौदहवीं का चांद हो या आफताब हो' बजा। सत्र में मौजूद लोगों ने वहीदा रहमान का तालियों की गड़गड़ाहट के साथ स्वागत किया। इस सत्र का नाम था- मुझे जीने दो, वहीदा रहमान के साथ वार्तालाप. इसमें वहीदा रहमान के साथ फिल्म इतिहासकार नसरीन मुन्नी कबीर और लेखक व फिल्मकार अर्शिया सत्तार उपस्थित थी. वहीदा ने बताया कि देवानंद उनके फेवरेट हीरो हैं। वहीदा रहमान ने बताया कि 1956 में जब उनकी पहली फिल्म सीआईडी रिलीज हुई थी, उस वक्त वह फिल्म उद्योग में काफी जिद्दी लड़की हुआ करती थीं। उन्होंने उस समय गुरु दत्त और सीआईडी के निर्देशक राज खोसला द्वारा नया नाम रखने की बात को अस्वीकार कर दिया. उन्हें लगता था की इस नाम में दर्शकों के लिए खिंचाव नहीं है (अर्थात यह नाम सेक्सी नहीं है). उन लोगों ने दिलीप कुमार, मधुबाला, मीना कुमारी, समेत कई कलाकारों के उदाहरण दिए. लेकिन वहीदा किसी कीमत पर नाम बदलने पर तैयार नहीं हुईं.
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29-01-2015, 10:02 PM | #25 |
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
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ज.सा.म. 2015 में वहीदा रहमान गुरुदत्त के बारे में उन्होंने बताया कि ‘ वे एक महान फ़िल्मकार थे. उनके साथ मेरे संबंध बेहतरीन रहे, उन्होंने ही मुझे सी आई डी फिल्म में ब्रेक दिया. लेकिन उनके साथ काम करना आसान नहीं था. वे एक-एक सीन के 50-50 री-टेक तक ले लिया करते थे. गुरुदत्त के साथ मैंने ‘कागज़ के फूल’ (1959) तथा ‘प्यासा’(1957) तथा ‘चोदह्वीं का चाँद’ नामक फिल्मों में भी काम किया. अपने फिल्मी सफर का जिक्र करते हुए कहा कि 'साहब, बीबी और गुलाम' में जब उनको सेकेंड लीड रोल के लिए ऑफर आया तो उन्होंने उसे ठुकरा दिया था। उस समय गुरुदत्त साहब ने उनसे कहा था कि आप एक बड़ी अदाकारा बन गई हो आप सेकेंड लीड रोल मत करो। यह पूछे जाने पर कि ‘साहब बीवी और गुलाम’ फिल्म के लिए वे इस रोल के लिए कैसे राजी हो गईं. इस पर उन्होंने बताया, “दरअसल, मैं लीड रोल ही करना चाहती थी लेकिन निर्माताओं ने मन कर दिया. उनका कहना था कि मैं लडकी जैसी दिखती हूँ जबकि इस रोल के लिए मैच्योर अभिनेत्री की जरुरत थी. अंततः मैं साइड रोल के लिए राजी हो गयी. यह रोल भी मुझे बहुत पसंद था. उपरोक्त फिल्मों के बाद वे देवानंद की ‘गाइड’ फिल्म को अपने करियर में मील का पत्थर मानती हैं. 50 वर्ष पहले बनी फिल्म अपने ज़माने से कहीं आगे की कहानी थी. वे अपने को इस फिल्म की नायिका रोज़ी के निकट पाती हैं. गुजरे जमाने की अदाकारा नंदा को अपना सबसे अच्छा मित्र बताया। नए सितारों में अभिषेक बच्चन उनके दोस्त हैं।
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31-01-2015, 03:34 AM | #26 |
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Re: जयपुर लिट्रेचर फेस्टिवल 2015 : 21 जनवरी से साहित
wow जो बातें हमे पता न थी रजनीश जी वो आपके द्वारा लिखी गई जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल से पता चली बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय रजनीश जी ,...मै आपकी बहुत अभारी हूँ की इस सूत्र को आपने आगे बढाकर इतनी विस्तृत जानकारियों से हमे अवगत कराया
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