11-02-2015, 11:37 AM | #1 |
Diligent Member
Join Date: Sep 2014
Posts: 1,056
Rep Power: 30 |
सजा
New Delhi: Arvind Kejriwal's spectacular victory in the Delhi election meant that two of his former associates turned critics, Kiran Bedi and Shazia Ilmi, faced searing criticism on social media. Mr Kejriwal's Aam Aadmi Party (AAP) won 67 seats in the 70-member Delhi assembly, leaving only three seats for its main rival BJP, and none for the Congress. Kiran Bedi and Shazia Ilmi, who joined the BJP last month, were dragged into a debate on twitter. "Pick a side and make it win. Don't try and pick the winning side. Maybe that's the lesson for folks like Kiran Bedi. Who knows!" tweeted comedian Vir Das. "Poor Kiran Bedi looking for a crane to tow her out of the Dilli disaster!" tweeted author Shobhaa De, referring to her famous nickname "Crane Bedi " from her days as traffic cop. Some tweets came out in her support: "Ma'am. In all Honesty, We Wanted you to Win." Kiran Bedi and Arvind Kejriwal worked together for Gandhian activist Anna Hazare's anti-corruption campaign in 2011, but drifted apart when Mr Kejriwal launched his political party. Former journalist Shazia Ilmi joined Mr Kejriwal and was counted among the top leaders of AAP along with Manish Sisodia, Yogendra Yadav and Prashant and Shanti Bhushan. But after AAP's disastrous national election debut, Ms Ilmi made her disenchantment with the party leadership clear. AAP alleged that she was upset at not being fielded from a seat of her choice. Both Kiran Bedi and Shazia Ilmi were scathing in their criticism of Arvind Kejriwal during the Delhi campaign. While Ms Bedi called him toxic, Ms Ilmi called him an opportunist. Today, Ms Ilmi said she did not regret leaving AAP, but could hardly stop the blast of tweets coming her way. "Think twice before you jump from one lane to another This includes traffic,supermarkets, even wait lines for a table Cheers," said one tweet. Another said, "Shazia Ilmi jumped from a life-boat to a sinking ship." किरण बेदी और शाजि़या इल्मी के पक्ष में बोलने वाले शायद यह कहकर इतिश्री कर लें कि राजनीति में सब कुछ चलता है। अगर राजनीति की गणित गलत हो गई तो बेचारी किरण बेदी और शाजि़या इल्मी क्या करें? अब किसे पता था कि दिल्ली में भाजपा का ठीक उसी तरह सफाया हो जाएगा जैसा कि कांग्रेस का हुआ था। अब यक्ष प्रश्न यह है कि लगातार विजय का झण्डा गाड़ने वाली भाजपा दिल्ली में धूल क्यों चाट गई? दिल्ली में ‘मोदी का जादू’ क्यों नहीं चल सका? क्या दिल्ली को विकास की ज़रूरत नहीं है? इसका पहला उत्तर यह है कि दिल्ली में जो भी रहता है वह नैतिक या अनैतिक, किसी भी ढंग से दोनों हाथ से नोट बटोर रहा था। मोदी के आने के बाद नोट बटोरने की इस प्रक्रिया में निःसन्देह बाधा आई है। हम हमेशा से यह कहते आए हैं कि जनता की जेब में हाथ डालने वाली सरकार जनता को बिल्कुल रास नहीं आती है। आप जनता से कहिए- हम चौड़ी-चौड़ी सड़कें बनवाएँगे, जनता बहुत अधिक खुश नहीं होगी। आप जनता से कहिए- हम आपके दोनों जेबों में नोट भर देंगे, जनता तुरन्त आपकी जयजयकार करने लगेगी। विष्णुजी की धर्मपत्नी का कौन सम्मान नहीं करता? दूसरा उत्तर यह है कि दिल्ली में लगभग पढ़े-लिखे और बुद्धिजीवी लोग बसते हैं। दिल्ली में बसने वाला ग़रीब भी सिर्फ़ अशिक्षित हो सकता है, किन्तु मूर्ख बिल्कुल नहीं। अब यह निर्विवाद रूप से स्पष्ट हो गया कि दिल्ली में बसने वाले सभी लोग बुद्धिजीवी हैं। हम हमेशा से यह कहते आए हैं कि हमारे देश में सरकार बुद्धिजीवियों के वोट ने नहीं, उन ग़रीबों के वोट से बनती आई है जिनके वोट को बड़ी आसानी के साथ किसी ओर भी हाँका जा सकता है। यदि हमारे देश में सभी बुद्धिजीवी हो जाएँ तो सरकार आम आदमी पार्टी की ही बनेगी, इसमें कोई सन्देह नहीं। ज्योतिष के अनुसार यदि आकलन किया जाए तो भाजपा को केवल दो पार्टियाँ ही टक्कर दे सकती हैं- कांग्रेस और आम आदमी पार्टी। हमारी ज्योतिषीय गणना के अनुसार आम आदमी पार्टी तो कांग्रेस को भी टक्कर देने में पूर्णरूपेण सक्षम है। अब आपके मन में ज़रूर यह प्रश्न उठ रहा होगा कि क्या आप किरण बेदी के विरुद्ध हैं जो उनके खि़लाफ़ ज़हर उगल रहे हैं? तो इसका उत्तर यह है कि बिल्कुल नहीं, क्योंकि पर्दे के पीछे की हक़ीकत क्या है- यह राज़ की बात सिर्फ़ हमें पता है, और किसी को नहीं। यदि आप इस सच्चाई को जान लें तो आज जो लोग किरण बेदी के खि़लाफ़ बोल रहे हैं, उनकी आँखों से आँसू बहने लगेंगे और वे किरण बेदी के पक्ष में बोलने लग जाएँगे। बहुत जल्द हम आपको इस सच्चाई से रूबरू करवाएँगे। कृपया इन्तेज़ार करें।
__________________
WRITERS are UNACKNOWLEDGED LEGISLATORS of the SOCIETY! First information: https://twitter.com/rajatvynar https://rajatvynar.wordpress.com/ |
11-02-2015, 02:41 PM | #2 |
Moderator
Join Date: Aug 2012
Posts: 1,810
Rep Power: 39 |
Re: सजा
जनादेश का जब कोई एसा उफान उठता है, सब की आकांक्षा भी बढ जाती है। देखना यह है की अब केजरीवाल क्या करते है। उन्हें जल्द से जल्द परिणाम दिखाना पड़ेगा।
__________________
|
Bookmarks |
|
|