25-02-2015, 08:21 AM | #1 |
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आतंरिक सुंदरता
साभार: नीलम शुक्ला आजकल युवा बाहरी सौंदर्य को ही वास्तविक सौंदर्य मान उसके पीछे भागते हैं पर सच्चाई यही है कि बाहरी सौंदर्य आपकी नजरों को तो आकर्षित कर सकता है पर आपके दिमाग को वहीं भाएगा जो आंतरिक तौर पर सुंदर है। इसलिए बाहरी सौंदर्य के पीछे भागने से बेहतर है व्यक्ति के अंतर मन को पढ़े। इतिहास गवाह है कि दुनिया में कई असुंदर लोगों ने वो कारनामा कर दिखाया है जो कई बार बेहद खूबसूरत इंसान नहींकर पाते हैं। कुदरत का अटूट नियम है कि किसी व्यक्ति की पहली झलक उसके बाहरी प्रत्यक्ष रूप से ही बनती है। लेकिन असुंदर या कम सुंदर व्यक्तियों ने अपने जीवन में ऐसी अन्यतम उपलब्धियां अर्जित कीं कि वे भी अपने महत्वपूर्ण कार्यों से सुंदर लोगों की श्रेणी में गिने जाने लगे। इसलिए सौंदर्य की हमारी परिभाषा सिर्फ बाहरी सौंदर्य तक सीमित नहीं है। आंतरिक सौंदर्य ही किसी व्यक्ति को आकर्षक बनाता है। इसीलिए महान व्यक्ति हमें प्रिय लगते हैं। हम उनके आचरण और गुणों को देखते हैं और उनका बाहरी रूपाकार हमारे लिए मायने नहीं रखता।
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25-02-2015, 08:25 AM | #2 |
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Re: आतंरिक सुंदरता
सुंदरता आकर्षित करती है
मनोवैज्ञानिक डा. समीर पारिख कहते हैं कि सुंदरता हर किसी को मोहती है। किसी व्यक्ति का बाहरी सौंदर्य उसके संपर्क में आने वाले व्यक्ति को प्रभावित करता है और उसमें अनायास उत्साह, स्फूर्ति और उत्कट आकर्षण भाव का संचरण करता है। व्यक्ति चाहे नारी हो या पुरुष, उसके मन में सौंदर्य के प्रति आकर्षण सहज और स्वाभाविक है। इस तथ्य की पुष्टि इस बात से भी होती है कि कोई व्यक्ति कभी भी जानबूझकर असुंदर नहीं लगना चाहता। मनोविज्ञान की दृष्टि से देखें तो ये भी सुंदरता के प्रति उत्कट आकर्षण का ही नतीजा है। इस बात पर एक लंबी दार्शनिक बहस चलती रहती है है कि सौंदर्य वस्तु में होता है या दृष्टा की आंखों में लेकिन इस तथ्य से कोई इनकार नहीं कर सकता कि सौंदर्य में ही जीवन रस मौजूद होता है। वही हमें तत्काल दूसरों से जोड़ता है। मानव से मानव के बीच संवाद का ये पहला पुल है इसलिए बायोलॉजी से लेकर समाज तक इसकी ताकत बेमिसाल है। कसौटी पर बाहरी सौंदर्य जो लोग रूप पर टिके रह जाते हैं वे अपनी आंतरिक क्षमताओं की तलाश नहीं कर पाते। रूप उनके लिए एक ऐसा जाल बन जाता है जिसे तोडऩा आसान नहीं होता। इसके उलट शरीर से निर्विकार रह कर मन की ताकत पर एकाग्र रहने वाले लोग महानता के शिखर चढ़ जाते हैं। तो भी सामान्य लोग इन दोनों सुंदरताओं के बीच संतुलन साध कर अपने जीवन को सार्थक, आकर्षक और प्रिय बना सकते हैं। केवल अपने बाहरी व्यक्तित्व से आकर्षित करने वाले व्यक्ति पर हमारी पैनी निगाह टिकी रहती है। किसी भी छोटी-मोटी कमी या त्रुटि के कारण उसका आकर्षण हमारी नजरों में कम होने लगता है और कुछ समय बाद उसकी छवि धूमिल हो जाती है। इसकी अनगिनत मिसालें हम आए दिन देखते हैं। कोई अपराधी भले ही कितना रूपवान हो हमें आकर्षक नहीं लगता। लेकिन हमारे आसपास के सामान्य लोग भी हमारे आत्मीय बन जाते हैं। गुणों के सामने व्यक्ति का रूपाकार एक सीमा के बाद बेमानी हो जाता है और अंत में वही हमारे जीवन में बसता है जो हमारी आत्मा को छू लेता है। इसीलिए महापुरुषों ने भी बाहरी सुंदरता का बखान नहीं किया है बल्कि कई बार उसे व्यक्ति के विकास में बाधा भी माना गया है।
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25-02-2015, 08:29 AM | #3 |
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Re: आतंरिक सुंदरता
स्थायी महत्व दिलाता है आंतरिक सौंदर्य
सामाजिक कार्यकर्ता डा. रंजना कुमारी कहती हैं कि व्यक्ति का बाहरी सौंदर्य भले ही शुरुआती दौर में दूसरों को आकर्षित करता है पर अंत में आंतरिक सौंदर्य ही किसी व्यक्ति को हमारे जीवन में स्थायी महत्व दिलाता है। प्रेम, परोपकार, करुणा, सहानुभूति, ममता, क्षमा व त्याग आदि जैसी आंतरिक विशेषताओं व गुणों से संपन्न व्यक्ति ऐसा प्रभाव छोड़ता है कि उसका साधारण रंग रूप भी दूसरों पर गहरा असर छोड़ता है। व्यक्ति का बाहरी सौंदर्य दूसरों को एक बार आकर्षित तो कर सकता है पर आत्मीयता व घनिष्ठता कायम करने के लिए अंत में आंतरिक गुण ही काम आते हैं। बाहरी रूप आकांक्षाओं की कुछ हद तक पूर्ति कर सकता है लेकिन चारित्रिक गुण सामाजिक मूल्यों के विकास में योगदान देकर अपनी उपादेयता सिद्ध करते हैं। आंतरिक सौदर्य से मिली सफलता पर्सनाल्टी डेवलमेंट विशेषज्ञ रूचि गर्ग कहती हैं कि जिस तरह शारीरिक सुंदरता को उसकी उचित देखभाल से बढ़ाया जा सकता है ठीक उसी तरह आंतरिक सौंदर्य को निखारने-संवारने के लिए चारित्रिक गुणों की आवश्यकता होती है। महाकवि कालिदास, दार्शनिक सुकरात, हास्य सम्राट चार्ली चैपलिन, अब्राहम लिंकन, नेपोलियन आदि महापुरुषों ने अपनी बाहरी कुरुपता व साधारण कद काठी की भरपाई अपने-अपने क्षेत्र में अर्जित महान उपलब्धियों के जरिए की थी। ऐसी और भी कितनी ही महाविभूतियां हैं जो बाहरी सौंदर्य के मानदंडों पर कहीं भी नहीं ठहरतीं। लेकिन उनहोंने अपने आंतरिक गुणों व विशेषताओं की प्रखरता से ऐसा मुकाम हासिल किया जो उनको इतिहास पुरुष बना गया। आंतरिक सौंदर्य से भरपूर व्यक्ति के बाहरी चेहरे मोहरे वेश-भूषा व हावभाव पर इतना ध्यान ही नहीं जाता हम उसके आंतरिक व्यक्तित्व की चमक से इतने अभिभूत होते हैं कि वे हर हालत में हमें सुंदर ही लगते हैं। आंतरिक सौंदर्य का करें विकास आंतरिक सौंदर्य ही वास्तविक है। आस्था ही इस नैतिक चरित्र को विकसित करती है। नैतिकता और एकाग्रता से मस्तिष्क के विकारों को दूर किया जा सकता है। आंतरिक सौंदर्य बढ़े इसके लिए अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करके ही मस्तिष्क का भरपूर उपयोग किया जाए। बाहरी सौंदर्य जहां दिग्भ्रमित करता है वहीं आंतरिक सौंदर्य एकाग्र होकर सोचने विचारने और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ता है। इसलिए बाहरी खूबसूरती के मोहपाश में जकड़े रहने से अच्छा है अपना आंतरिक सौंदर्य बढ़ाए क्योंकि यही आपके जीवन को एक अलग दिशा दे सकता है।
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25-02-2015, 12:02 PM | #4 |
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Re: आतंरिक सुंदरता
सबसे पहले तो आपका बहुत बहुत धन्यवाद रजनीश जी आपने इतना सुन्दर विषय यहाँ रखा .
आपकी बात १००% सही है किन्तु कई जगह देखा है मैंने की सबकुछ जानते हुए भी लोग अधिकांशतः सुन्दरता के लिए पागल होते हैं. वो सब लकी इन्सान होंगे जो बदसूरत होते हुए भी समाज में पूजे गए या उन्हेंजीते जी सम्मान मिला hoga. पर मै इस बात से सहमत हूँ की कुछ समय के लिए सुन्दरता अछि लगती है जब उसी सुन्दरता के साथ यदि गंदगी हो गलत मानसिकता हो तब वो इन्सान किसी को अच्छा नहीं लगता पर उस अंत को आते और अच्छा बुरा का फर्क पता चलते तक कई बार लोगो का जीवन समाप्त हो जाता है तब जाकर इंसान की अच्छाई को लोग समझ पाते है और तब लोग बदसूरत को अच्छा समझे तो भी क्या फायदा ? जीते जी तो लोगो ने उसे बदसूरत समझकर नकारा होता है न . |
27-02-2015, 04:44 PM | #5 | |
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Re: आतंरिक सुंदरता
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27-02-2015, 06:09 PM | #6 |
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Re: आतंरिक सुंदरता
हम यह मानते हैं कि व्यक्ति की अच्छाई जन्मजात, संस्कारगत, परिवेशगत या देश-काल की अनुभूतियों पर आधारित हो सकती है. हो सकता है व्यक्ति को उसकी अच्छाई के अनुसार या अच्छाई के आधार पर वांछित मान्यता, प्रशंसा अथवा धन-सम्पदा न मिले लेकिन जो आत्मिक संतोष और दैवी आनंद प्राप्त होता है वह दिखावे की नहीं बल्कि अनुभूति की बात है. दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है की जिस प्रकार यह माना जाता है की शिक्षा (वैयक्तिक एवम् सामाजिक हवाले से) कभी व्यर्थ नहीं जाती, उसी प्रकार व्यक्ति की अच्छाई भी कभी व्यर्थ नहीं जाती.
[/size][/QUOTE] जी रजनीश जी , व्यक्ति की अच्छाई कभी बेकार नहीं जाती, क्यूंकि आज दुनिया भले कितनी ही आगे बढ़ जाय पर अच्छाई , सच्चाई और सच्चे इंसान की जरुरत सबको रहेगी ही रहेगी किन्तु सवाल खुद की अनुभूति की जहाँ तक है उससे खुद इन्सान को तो आत्मसंतोष मिलता है , पर सवाल जहाँ ये है की आत्मिक सुन्दरता को ही क्या सम्मान मिलता है तो वह बस इतना कहूँगी की हर जगह ये मुमकिन नहीं क्यूंकि आज के समय में बहुत मुश्किल है इंसानी आन्तरिकता को पहचानना और उसकी सराहना करना या उसे सम्मान देना क्यूंकि खूबसूरती का आकर्षण हर किसी को खींचता ही है,.. कुछ विरले ही होते हैं जो बदसूरत होते हुए भी मानव समाज में सम्मान प्राप्त कर ते हैं . |
27-02-2015, 11:44 PM | #7 |
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Re: आतंरिक सुंदरता
सुन्दरता एक ऐसी चीज है जिसके प्रति आकर्षण को कोई भी व्यक्ति नहीं रोक सकता , हमारी आँखों को कोई चीज अच्छी लगती है तो ना चाहते हुए भी हमारा ध्यान उस ओर चला ही जाता है । पर ये भी सच ही है कि बाहरी सुन्दरता चाहे कितनी ही क्यों ना हो व्यक्ति के पास , अगर उसका मन अच्छा नहीं है तो वो व्यक्ति आँखों को कुछ समय के लिये आकर्षित जरूर करेगा पर हमेशा के लिये ये आकर्षण नहीं बना रह सकता ।
हमारा सम्बन्ध किसी व्यक्ति से सिर्फ उसके सुन्दर चहरे के वजह से नहीं बना रह सकता , सुन्दरता के वजह से हो सकता है कि हम उस व्यक्ति से एक बार बात कर लें , या दोस्ती कर लें....पर सिर्फ सुन्दर चहरे की वजह से कोई भी रिश्ता नहीं निभाया जा सकता । रिश्ते तो सिर्फ व्यक्ति के अच्छे गुणों की वजह से ही निभाये जा सकते हैं । हाँ , आजकल लोग सुन्दरता को महत्व देते हैं , पर जहाँ बात रिश्तों की आती है , मैंने देखा है कि लोग सिर्फ बाहरी चमक ना देख कर व्यक्ति के गुणों को तर्जीह देते हैं । और ये सच है कि हम सभी सुन्दर दिखना चाहते हैं , क्योंकि सुन्दरता व्यक्ति का आत्मविश्वास बढाती है । लेकिन सिर्फ सुन्दर दिखना और अवगुणी होना कोई मायने नहीं रखता.... क्योंकि वक्त के साथ हर चीज बदलती है ,सुन्दरता बदलती है , लोगों की नजर में सुन्दरता के पैमाने भी बदलते हैं , पर अच्छाई एक ऐसी चीज है जो कभी old Fashion नहीं होती ।
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28-02-2015, 12:26 AM | #8 | |
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Re: आतंरिक सुंदरता
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